चीन के साथ भारत का तनाव लद्दाख सीमा पर बरकरार है। कई चरणों की बातचीत के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। एक तरफ चीन बातचीत कर रहा है तो दूसरी ओर सीमा पर अपनी ताकत बढ़ाने का काम कर रहा है। चीन की ओर से सेंट्रल, सिक्किम और पूर्वी सेक्टरों में सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया है। चीन ने यहा जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल साइट्स को मजबूत किया है। यूएवी की संख्या बढ़ा दी है । तिब्बत में अपने एयरबेसों का विस्तार किया है। दुनिया का ध्यान लद्दाख के एलएसी की ओर खींच कर चीन से दूसरी ओर यह सब खुराफात की है। मामले की जानकारों की मानेतो चीन ने पूर्वी लद्दाख में पीएलए को और मजबूत किया और उसकी ताकत भी बढ़ाई है। सूत्रों की माने तो भारतीय सैन्य कमांडर्स हिमाचल प्रदेश के काउरिक पास से लेकर अरुणाचल प्रदेश में टेल क और कक तक एलएसी पर चीन द्वारा सैनिकोंकी तैनाती से चिंतित हैं। गोपनीयता बरकरार रखने की शर्त पर सूत्रों ने बताया कि बीते एक महीने में चीन ने काउरिक पास के उस ओर चुरुप गांव में सड़क निर्माण कर रही है। उत्तराखंड के बाराहोती मैदानों के उत्तर में स्थित तंजुम ला मे चीन अपने सैनिकों के लिए कंटेनर वाले घर बना रहा है। डेमचोक एलएसी से 82 किलोमीटर दूर शिकूआन्हे और गार गुंसा एयरपोर्ट सैनिकों और और युद्धक सामग्रियों को लाने ले जाने का बड़ा केंद्र है। सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और पूर्वी लद्दाख में गलवान सेक्टर पर अधिक फोकस है। सर्विलांस में इजाफे का सबूत छांगमू में कॉम्युनिकेशन टावर्स का निर्माण है, जो सिक्किम में सेबुला एलएसी से 27 किलोमीटर दूर है। भारत (सिक्किम)-भूटान-चाइना के त्रिसंगम पर 2017 में 73 दिनों तक तनातनी रही थी।