China On India: चीन ने भारत को बताया उभरती शक्ति, रूस से बेहतर और मजबूत संबंध बनाने पर जोर

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चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग।

China On India: चीन ने भारत को लेकर बड़ा बयान देते हुए नई दिल्ली के साथ संबंध बढ़ाने की बात भी कही है। इसी के साथ उसने भारत को जहां उभरती शक्ति बताया वहीं रूस से चीन के संबंध और बेहतर व मजबूत बनाने पर जोर दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने आज यह बातें कहीं। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी गतिरोध के बीच चीन का इस तरह बयान ड्रैगन के भारत से अच्छे रिश्तों का संकेत है।

रूस, भारत व चीन उभरते प्रमुख देश

माओ निंग ने रूस की नई विदेश नीति पर किए गए सवाल के जवाब में कहा कि रूस, भारत व चीन उल्लेखनीय प्रभाव वाले उभरते हुए प्रमुख देश हैं। उन्होंने कहा कि चीन अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर गहन व जटिल परिवर्तनों का सामना कर रहा हैं।

तीनों देश दुनिया को दे सकते हैं एक सकारात्मक संकेत

भारत में चीन दूतावास के प्रवक्ता वांग जिआओजियान ने ट्वीट कर े लिखा, रूस, भारत और चीन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ संचार व सच्चे बहुपक्षवाद का बचाव करने के साथ ही संयुक्त रूप से वैश्विक चुनौतियों का जवाब देकर दुनिया को एक सकारात्मक संकेत दे सकते हैं।

चीन-रूस के नए संबंध किसी तीसरे पक्ष को निशाना बनाने के लिए नहीं

माओ निंग ने यह भी कहा कि रूस और चीन एक नए प्रकार के संबंधों को विकसित करने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया, इसमें आपसी सम्मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व व सहयोग शामिल है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता यह भी साफ किया कि ये द्विपक्षीय संबंध किसी तीसरे पक्ष को निशाना बनाने के लिए नहीं है और न ही ये किसी अन्य देश को ये प्रभावित करते हैं।

राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किया था रूस का दौरा

बता दें कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में रूस का दौरा किया था और इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मसलों को लेकर कई अहम बिंदुओं पर समझौता किया था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन व जिनपिंग ने मिलकर दोनों देशों के संबंधों का भी खाका तैयार किया था।

पुतिन ने दी नई विदेश नीति के मसौदे को मंजूरी

पुतिन ने आज नई विदेश नीति के मसौदे को मंजूरी दे दी। इसमें भारत-चीन के साथ रूस ने मजबूत संबंध बनाने की बात कही है। रूस ने कूटनीतिक तौर पर भारत के साथ अच्छे संबंध बनाने पर जोर दिया है। 42 पन्नों के दस्तावेज में चीन-भारत के साथ संबंधों का अलग-अलग जिक्र किया गया है। इस विदेश नीति में यूरेशियन महाद्वीप पर स्थित शक्ति और विकास के अनुकूल संप्रभु वैश्विक केंद्रों के साथ संबंधों और समन्वय को गहरा करने के महत्व पर जोर दिया।

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