चीन ने तिब्बत के ऊंचाई वाले इलाके में ‘उड़ता अस्पताल’ तैनात किया है। सूत्रों के मुताबिक भारत के साथ गलवान घाटी जैसे संघर्ष के दौरान कम से कम सैनिक मारे जाएं, इसके लिए चीन की सेना ने यह कदम उठाया है। लद्दाख में भारतीय सेना की जोरदार तैयारी और गलवान घाटी में मुंहतोड़ जवाब से घबराए चीन ने अब पहली बार तिब्बत में अपना ‘उड़ता अस्पताल’ तैनात किया है।इस ‘उड़ते अस्पताल’ की मदद से चीन अपने घायल सैनिकों को हजारों किलोमीटर की दूरी पर स्थित अस्पतालों तक पहुंचा पाएगा। माना जा हा है कि चीन को यह डर सता रहा है कि अगर भारत के साथ संघर्ष होता है तो उसे मेडिकल सहायता की तत्काल जरूरत पड़ सकती है।वही अमेरिकी नेवी के सातवें बेड़े में शामिल एयरक्राफ्ट अमेरिकी युद्धपोत NIMITZ रविवार को अंडमान निकोबार दीप समूह पहुंचा है सूत्रों के मुताबिक NIMITZ अब अंडमान
और निकोबार दीप समूह के पास ही हिंद महासागर में गस्त लगाएगा दरअसल, भारत की सीमा से सटे इस इलाके में चीनी सेना की स्वास्थ्य
सुविधाएं बहुत खराब हैं और उसे मजबूरन Y-9 मेडिकल एयरक्राफ्ट को तैनात करना पड़ा है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सेना के युद्धाभ्यास के दौरान तीन अधिकारी बुरी तरह से घायल हो गया था। इस घायल अधिकारी को बेहतर इलाज के लिए 5200 किमी दूर स्थित अस्पताल ले जाने के लिए Y-9 मेडिकल एयरक्राफ्ट को भेजा गया। इस प्लेन से अधिकारी को शिजिंग के अस्पताल ले जाया गया।
चीनी रक्षा से जुड़े हुए विशेषज्ञों की मानें तो गलवान जैसी झड़प में बचाई जा सकेगी जान। वहीं विशेषज्ञों की मानें तो इस प्लेन का मकसद
ऊंचाई वाले इलाकों खासतौर पर भारतीय सीमा पर स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाना है। भारत और चीन की हजारों किलोमीटर लंबी सीमा है और कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं है। 15-16जून को गलवान घाटी में खूनी संघर्ष में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थेे जबकि चीन के 40 से ज्यादा सैै सैनिक इस झड़प में मारे गए थे हालांकि चीन नेे इसके बारे में कोई खुलासा नहीं किया है इसको लकर चीन के अंदर विरोध भी शुरू हो गया है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियांं भी मानती हैं कि इस खूनी झड़प में 40 से ज्यादा चीनी सैनिक हताहत हुए थे। चीनी सेना के वरिष्ठ अधिकारीी मानते है कि अगर मेेडिकल की सुविधा होती तो कई चीनी सैनिकों की जान बचाई जा सकती थी
सूत्रों के मुताबिक गलवान जैसी झड़प की सूरत में स्वास्थ्य सुविधाओं का बेहतर होना जरूरी है, इससे मृतकों की संख्या को कम से कम किया जा सकता है। ‘Y-9 उड़ता अस्पताल है और यह गंभीर रूप से घायल सैनिकों की जान बचाने में बेहद मददगार साबित होगा। इसके अलावा हिमालयी इलाके में भारत से लगी सीमा पर कई अस्पतालों को फर्स्ट एड सहायता के लिए हायपर बेरिक ऑक्सीजन चेंबर से लैस किया गया है। चीन इस इलाके में मौजूद अपने सभी अस्पतालों को आधुनिक बना रहा है। इस प्लेन को कॉर्डियोग्राम मॉनिटर, रेस्पिरेटर और अन्य उपकरणों से लैस किया गया है। मतलब साफ है कि चीन को भारत का दम पता चल चुका है ।चीन की हरकतों को देखते हुए भारत ने उसे मुंहतोड़ जवाब दिया है। गलवान घाटी में हिंसा के बाद भारत ने उसे पस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। और इसको लेकर चीन अपने कमजोर कड़ी को मजबूत करना चाहता है।