न ईदिल्ली। भारत का चीन के साथ एलएसी पर विवाद चल रहा है। एक ओर जहां चीन भारत के साथ बातचीत के टेबल पर आ रहा है वहीं दूसरी ओर चीन घुसपैठ भी करता है। इन हर कतों के अलावा भी चीन एक कदम और आगे बढ़कर हमारे देश के बड़ेनेताओं प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्रियों, सांसदों, विधायकों सहित कई और अहम लोगों की जासूसी कराने में लगा है। एक अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट मेंदावा किया गया है चीनी सरकार और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी टेक्नॉलजी कंपनी के माध्यम से चीन अपनी इस नापाक हरकत का अंजाम दे रहा है। इस काम को जेनहुआ डेटा इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी कंपनी अंजाम दे रही है, जिसे हाइब्रिड वारफेयर का नाम दिया गया है। जिन लोगों की जासूसी की जा रही है उनमें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके परिवार के सदस्य, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, अशोक गहलोत, अमरिंदर सिंह, उद्धव ठाकरे, नवीन पटनायक, शिवराज सिंह चौहान, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी, रेलमंत्री पीयूष गोयल, चीफ आॅफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत, सेना के कम से कम 15 पूर्व प्रमुखों, चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया एसए बोबडे, सीएजी जीसी मूर्मू, स्टार्टअप टेक उद्यमी जैसे भारत पे के संस्थापक निपुण मेहरा, आॅथब्रिज के अजय तेहरान, देश के बड़े उद्यमी रतन टाटा और गौतम अडाणी जैसे लोगों शामिल हैं। यहां तक कि इनके अलावा भी देश की प्रमुख हस्तियों पर भी चीन की नजर है। वह महत्वपूर्ण ओहदों पर बैठे नौकरशाह, जज, वैज्ञानिक, विद्वान, पत्रकार, अभिनेता, खिलाड़ी, धार्मिक हस्तियों तक भी अपनी नजर बनाकर रख रहा है। चीन ने अपनी पहुंच सिर्फ यहां तक ही नहीं सिमित रखी है। चीन ने उन लोगों के भी डेटाबेस कलेक्स्ट किए हैं जो आर्थिक अपराध, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, ड्रग्स तस्करी, सोना, हथियार या वन्यजीव तस्करी जैसे अपराधों से जुड़े हुए हैं। यह भारत के लिए चिंता का विषय है। इस तरह से डेटाबेस जुटाना चीन के खौफनाक इरादों की ओर इशारा है। भारत को चीन से सचेत रहने की जरूरत है। जेनहुआ ने चाइनीज इंटेलिजेंस, सेना और सिक्यॉरिटी एजेंसियों के साथ काम करने की बात कही है। अखबार ने दावा किया कि दो महीने से अधिक समय तक बिग डेटा टूलस क ेमाध्यम से जेनहुआ आॅपरेशंस के मेटा डेटा की जांच की और विशाल लॉग फाइल्स से जासूसी की जद में आए भारतीयों के नाम हासिल किए। कंपनी इसे ओवरसीज की इन्फॉर्मेशन डेटाबेस नाम दिया है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, आॅस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, यूनाइटेड अरब अमीरात का डेटा भी है।