China BRI: चीन की बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल हुआ नेपाल, भारत के लिए चिंताजनक

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China BRI: चीन की बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल हुआ नेपाल, भारत के लिए चिंताजनक
China BRI: चीन की बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल हुआ नेपाल, भारत के लिए चिंताजनक

China Belt and Road Initiative, (आज समाज), बीजिंग: नेपाल, चीन की मेगा परियोजना बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) में शामिल हो गया है जो नई दिल्ली के लिए चिंता का विषय है। दरअसल, नेपाल ने बीजिंग में बीआरआई को लेकर एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे चीन के लिए नेपाल में बड़ी पैठ बनाने का रास्ता साफ हो गया।

नेपाल विदेश कार्यालय का बयान

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चुनाव बाद पहले पड़ाव नई दिल्ली को बनाने की परंपरा को तोड़कर चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचे हैं। वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मिलकर काम करने और सौदे को अंतिम रूप देने के लिए सोमवार से चीन में हैं।

बेल्ट एंड रोड सहयोग की रूपरेखा पर हस्ताक्षर

बुधवार को नेपाली पीएम ने बीआरआई में शामिल होने को लेकर अपनी सहमति जताई। नेपाल विदेश कार्यालय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर बताया कि चीन और नेपाल ने बेल्ट एंड रोड सहयोग की रूपरेखा पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अलावा विदेश कार्यालय ने कोई और विवरण साझा नहीं किया।

नेपाल-चीन समझौते का मतलब…

समझौते से परिचित सूत्रों का कहना है कि नेपाल-चीन समझौते का मतलब है कि दोनों देश प्रत्येक परियोजना के विवरण की योजना को लेकर एक-दूसरे के बीच समन्वय नहीं करेंगे। इससे चीन के लिए इन परियोजनाओं को वित्तपोषित करने का रास्ता भी साफ हो गया है। इससे यह भी क्लियर हो गया है कि बीजिंग प्रत्येक परियोजना को किस प्रकार वित्तपोषित करेगा।

2017 में व्यक्त की थी सैद्धांतिक सहमति 

गौरतलब है कि वर्ष 2017 में नेपाल ने चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमति व्यक्त की थी। बीआरआई चीन का सड़कों, परिवहन गलियारों, हवाई अड्डों और रेल लाइनों का एक ऐसा नेटवर्क है जो चीन को एशिया, यूरोप और उससे आगे के देशों से जोड़ता है।

हालांकि, पिछले सात वर्षों में उन्हें क्रियान्वित करने के उचित ढांचे की कमी के कारण कोई प्रगति नहीं हुई है। काठमांडू को इस मुद्दे पर राजनीतिक सहमति बनाने में भी संघर्ष करना पड़ा। ऐसा लगता है कि ताजा समझौते से अब इसका समाधान हो गया है।

बीआरआई चीन की ‘ऋण कूटनीति’

चीन का बीआरआई एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, लेकिन साथ ही इसे अक्सर चीन की ‘ऋण कूटनीति’ कहा जाता है, क्यों कि इससे कई देश कर्ज के जाल में फंस गए हैं। इस परियोजना की आड़ में चीन, अर्थव्यवस्था के लिहाज से छोटे देश में क्रेडिट पर एक बड़ा प्रोजेक्ट बनाता है और जब देश ऋण या ब्याज वापस नहीं कर पाता है, तो बीजिंग या उस परियोजना को जीवन भर के लिए अपने हाथ में ले लेता है या अपने विस्तारवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कोई सौदा कर लेता है।

नेपाल कांग्रेस चीनी ऋणों के खिलाफ 

चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का इतिहास राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं की अनदेखी करने और अन्य देशों की संप्रभुता का उल्लंघन करने का भी रहा है। नेपाल सरकार और विपक्ष के कई नेता पहले से ही संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था में बढ़ते कर्ज संबंधी चिंताओं से चिंतित हैं। पीएम ओली की पार्टी की प्रमुख सहयोगी नेपाल कांग्रेस ने चीनी ऋणों द्वारा वित्तपोषित किसी भी परियोजना का कड़ा विरोध किया है।

भारत द्वारा चिंता के बावजूद परियोजना को आगे बढ़ाया 

चीन ने नेपाल के दूसरे सबसे बड़े शहर पोखरा में हवाई अड्डे की परियोजना को 200 मिलियन डॉलर से अधिक का ऋण देकर वित्तपोषित किया था। भारत द्वारा गंभीर चिंता जताए जाने के बावजूद नेपाल ने परियोजना को आगे बढ़ाया और पिछले साल हवाई अड्डे को खोल दिया। हालांकि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की कमी के कारण हवाई अड्डे को घाटे का सामना करना पड़ा है।

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