सड़क की स्थिति में आ चुके बच्चों को मिलेगी अब नई पहचान

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Children who have come in road condition will now get a new identity
इशिका ठाकुर,करनाल:
चिल्ड्रन इन स्ट्रीट सिचूएशन यानि सड़क की स्थिति में आ चुके बच्चों के पुनर्वास के साथ-साथ उन्हें मिल सकेगी समाज में नई पहचान। चिल्ड्रन इन स्ट्रीट सिचूएशन यानि सामाजिक परिवेश से दूर सड़क की स्थिति में आ चुके बच्चों के पुनर्वास को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा संज्ञान लिया है जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने आदेश लागू किए हैं कि जो बच्चे सामाजिक परिवेश से दूर सड़क की स्थिति में आ चुके हैं ऐसे बच्चों के लिए पुनर्वास की योजना बनाकर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़कर नई पहचान दी जाए। इसके लिए करनाल जिला प्रशासन ने कमर कस ली है।

प्रदान किए जाएंगे आधार नंबर

Children who have come in road condition will now get a new identity

इस पर जानकारी देते हुए करनाल उपायुक्त अनीश यादव ने कहा कि जो बच्चे सड़क की स्थिति में आ चुके हैं ऐसे बच्चों के पुनर्वास के लिए अलग-अलग स्थानों पर शिविर लगाकर आधार मशीन से बच्चों को आधार नम्बर प्रदान करने की प्रक्रिया पूरी करेंगे। पांच साल से अधिक आयु के बच्चों के आधार की त्रुटियां ठीक करवाई जाएंगी और एक मॉडल पॉलिसी के तहत पुनर्वास के काम में सभी संबंधित विभाग सक्रियता से सहयोग करेंगे।  उपायुक्त अनीश यादव से पूछे गए एक सवाल के जवाब में बोलते हुए उन्होंने कहा की पुलिस विभाग को भी स्पष्ट रूप निर्देश जारी किए गए हैं कि ऐसे परिवारों के खिलाफ जे.जे. एक्ट के अनुच्छेद 75 व 76 के तहत प्राथमिकी दर्ज करवाएं, जो अपने बच्चों से भीख मंगवाते हैं। ऐसे बच्चों की सूचना चाईल्ड वैल्फेयर कमेटी को भी दें। इसी प्रकार बच्चों की तस्करी रोकने वाली पुलिस की ईकाई, स्ट्रीट सिचूएशन चिल्ड्रन के रेस्क्यू को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

बच्चे कूड़ा बीनने वाले बच्चों को सुनियोजित तरीके से दिया जाएगा काम

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एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए जिला उपायुक्त अनीश यादव ने कहा कि जो बच्चे कूड़ा बीनने में लगे हैं उन्हें एक सुनियोजित तरीके से काम दिया जाए ताकि वे वेस्ट को बेचकर अपनी आजीविका कमा सकें। जिला प्रशासन द्वारा सड़क की स्थिति में आ चुके बच्चों के लिए शिक्षा, उनके स्वास्थ्य की जांच तथा जन्म प्रमाण पत्र और नाइट शेल्टर प्रधान किया जाएगा। करनाल जिला उपायुक्त ने ऐसे बच्चों के माता-पिता को समझाने के लिए सादी वर्दी में महिला और पुलिस दोनो तरह के कर्मचारी जाएंगे। इस कार्य के लिए नगर निगम को भी जिम्मेदारी दी गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिया गया फैसला निश्चित तौर पर सड़क की स्थिति में आ चुके बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर कदम साबित हो सकता है।