Chhath 2024: नहाय खाय के साथ सूर्योपासना का 4 दिवसीय पर्व छठ शुरू

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Chhath 2024: नहाय खाय के साथ सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ शुरू
Chhath 2024: नहाय खाय के साथ सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ शुरू

Chhath Festival 2024, (आज समाज), नई दिल्ली: नहाय खाय के साथ आज सूर्योपासना का महापर्व छठ शुरू हो गया। पहला दिन नहाय खाय होता है, इसलिए आज चना दाल, चावल यानी भात और लौकी की सब्जी खाना महत्वपूर्ण होता है। इन सभी चीजों को बनाने के लिए बनाने व खाने तक हर जगह को पवित्रता शुद्ध रखना बहुत जरूरी होता है। आठ नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ का समापन होगा।

  • पहले दिन नहाय-खाय
  • दूसरे दिन खरना
  • तीसरे दिन सायंकालीन अर्घ्यदान
  • चौथे दिन सूबह अर्घ्य के बाद पारण और समापन

व्रती उगते सूर्य की पूजा करके करते हैं सात्विक भोजन

ज्योतिषों के अनुसार छठ के सभी मुहूर्त सूर्योदय व सूर्यास्त के समय पर डिपेंड करते हैं। उनका कहना है कि कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय खाय होता है। व्रती इस दिन पवित्र नदियों व सरोवरों में स्नान व ध्यान करके उगते सूर्य की पूजा करते हैं और इसके बाद बिना प्याज व लहसुन के सात्विक भोजन (लौकी, चने की दाल, कद्दू की सब्जी व भात आदि) ग्रहण करते हैं।

जानें क्या है सात्विकभोजन का महत्व

नहाय खाय वाले दिन सात्विक भोजन में ऐसी चीजों को शामिल किया जाता है जिससे छठ का व्रत रखने वाले महिला व पुरुष को भूख और प्यास कम लगे। यही वजह है कि व्रतियों के लिए बगैर लहसुन के सब्जी खाना जरूरी बताया गया है। लौकी के साथ इस दिन कद्दू की सब्जी बनाने का भी विशेष महत्व होता है। चना दाल भात के साथ खाई जाती है।

इसलिए जरूरी है कद्दू खाना

ज्योतिषों का कहना है कि छठ पूजा सूर्य के साथ ही प्रकृति, पानी, हवा व उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है। इस महापर्व पर उगते सूर्य के साथ अस्त होते सूर्य की भी पूजा की जाती है। उनका कहना है कि नहाय खाय वाले दिन कद्दू खाने से शरीर में जल की कमी नहीं होती है। कद्दू 36 घंटे के निर्जला व्रत के दौरान आवश्यक पोषण तत्वों की भरपाई करने में मदद करता है।

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