Chaudhary Mahendra Singh Ahlawat : चौधरी महेंद्र सिंह ने एक साधारण से असाधारण बनने की यात्रा तय की

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एक साधारण से असाधारण बनने की यात्रा तय की चौधरी महेंद्र सिंह ने
एक साधारण से असाधारण बनने की यात्रा तय की चौधरी महेंद्र सिंह ने
  • विपरीत परिस्थितियों में  बीस बीघा जमीं की जोत से बुलन्दियो तक पहुंचाया परिवार को
Aaj Samaj (आज समाज), Chaudhary Mahendra Singh Ahlawat ,प्रवीण वालिया, करनाल, 24 दिसंबर :दुनिया मे  कुछ लोग साधारण होते हुए भी असाधारण होते है, जो तदबीर से तकदीर बदलते है। ऐसे असाधारण थे चौधरी महेंद्र सिंह। जो जमीं के पुत्र थे। अंतिम समय भी खेत में काम किया। बच्चों को मेहनत ईमानदारी, कठोर इरादे के संस्कार दिये। कर्म योगी के रूप मे जन्म से लेकर संघर्ष किया। बच्चो को लायक बनाया। उस पिता का पद पाने के लिए देवता भी तरसते है  जिनके बच्चे राम की तरह होते हैं ।आज जेनेसिस जैसा शिक्षा का एम्पायर चौधरी महेंद्र सिंह के आशीर्वाद की देन  है। जहाँ से लोगो का जीवन बदला।उनके आशीर्वाद की छाँव तले हजारो बच्चे अपना जीवन संस्कार और सुखद भविष्य से भर रहे है।  कर्मयोगी शख्सियत थे पुण्य दिवंगत आत्मा पूज्य स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह अहलावत । आज इस मौके पर इस पुण्य आत्मा को भारी मन से सभी ने श्रद्धांजली दी ।

महज दो वर्ष की आयु में चौधरी महेंद्र सिंह अहलावत जी के सिर से पिता रामचरण अहलावत का साया उठ गया था। उनका पालन पोषण बेहद विकट परिस्थितियों में हुआ। कुछ समय पश्चात चौधरी महेंद्र सिंह जी की माता श्रीमती जमना अहलावत जी एक रोग के चलते नेत्रहीन हो गई। जैसे तैसे उनकी बुआ ने उनका पालन पोषण कर बड़ा किया था। परिवार की जिम्मेदारी जल्दी ही कंधों पर आने की वजह से भले वह अच्छी शिक्षा हासिल नहीं कर सके। बचपन में ही उनके हाथों में खेत का हल संभालने की नौबत आई और वह दिन रात जुटे रहे। कड़ी मेहनत का परिणाम था कि उन्होंने विरासत में मिली महज 20 बीघे जमीन को 125 बीघे तक पहुंचाया और अपनी दो बेटियों और तीन बेटों को सुशिक्षित बनाया।

इन्हीं में उनके पुत्र जितेंद्र सर। जितेंद्र सर आप सब जानते हैं कि एक संस्थान में शिक्षक से जेनिसिस के सफर तक कैसे पहुंचे और कितने ही बच्चों को उस मंजिल तक पहुंचाया,जहां तक पहुंचने का सपना हर बच्चे और उनके परिवार का होता है। सही अर्थों में यह सब संभव हुआ चौधरी महेंद्र सिंह जी की बदौलत,जिन्होंने अपने बच्चों को यह सबक सिखाया कि अपने सपनों के साथ दूसरों के सपनों को पूरा करने के लिए जीवन जीना अधिक महत्व रखता है। खेतों में हल चलाने वाले आम किसान से  ट्रैक्टर और मर्सडीज तक के मालिक बने चौधरी महेंद्र सिंह के जीवन काल में यही विशेषता रही कि उनमें छोटे बड़े,अमीर गरीब और जाति सामुदाय का भेदभाव का अंश नहीं मिलता। यही कारण था कि उनकी अंतिम यात्रा में हिंदु-मुस्लिम,धार्मिक,सामाजिक,शैक्षणिक सहित अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधि, गणमान्य लोग एवं राजनेता शामिल हुए।