Aaj Samaj (आज समाज), Chaudhary Devi Lal’s birthday,मनोज वर्मा,कैथल: पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा आज आयोजित होने वाली सम्मान दिवस रैली में इस बार भी जाएंगे। इस समय सभी राजनीतिक दलों से दूरी बनाए हुए माजरा ने फैसला लिया है कि वे कमेरे वर्ग के नेता पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल को नमन करने रैली में जाएंगे। अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए माजरा ने कहा कि चौधरी देवीलाल का जन्म दिवस प्रदेश के लोग पूरे जोश के साथ मनाते है। उनका भी चौधरी देवीलाल के प्रति एक विशेष लगाव रहा है। उनके आंदोलनों में शामिल होकर चौधरी देवीलाल के संघर्ष को देखा है। इसीलिए अब जब कैथल में उनके जन्म दिवस पर सम्मान दिवस मनाया जा रहा है तो उनका कर्तव्य बनता है कि वे इसमें जाएं। इसीलिए वे इसमें जाएंगे और लाखों के साथ चौधरी देवीलाल को नमन करेंगे। उनके इस रैली में जाने को इनेलो में शामिल होने से न जोड़ा जाए। यह सम्मान दिवस है। पिछले साल फतेहाबाद में आयोजित सम्मान दिवस में भी वे शामिल हुए थे। हरियाणा बनाने, देश की आजादी में चौधरी देवीलाल का अहम रोल रहा है।
चौधरी देवीलाल ने अनेकों काम किए हैं। साइकिल से रेहड़ी, टेलीविजन तक से टोकन माफ करना, कर्जा माफ करना, बुढ़ापा पैंशन लागू करने जैसे फैसले लागू किए। जिस कारण आज भी करोड़ों लोगों का भला हो रहा है। इसीलिए उनके सम्मान दिवस में जाना फख्र की बात है। इसे राजनीति से न जोड़ा जाए। इनेलो में जाने की अटकलों पर माजरा ने कहा कि इस फैसले को राजनीति से न जोड़ें। जजपा द्वारा ताऊ देवीलाल के जन्मदिवस पर रैली के निमंत्रण पर जाने या न जाने के फैसले माजरा ने कहा कि उनके चौधरी अभय चौटाला, चौधरी बीरेंद्र सिंह, रणदीप सुरजेवाला, जयप्रकाश, अशोक अरोड़ा व संपत सिंह के साथ अच्छे संबंध हैं। इनेलो कार्यकर्ताओं से भी अच्छे संबंध हैं। जेजेपी के नेताओं से अच्छे संबंध नहीं हैं। माजरा ने कहा कि जजपा ने ताऊ देवीलाल के जन्मदिवस पर कभी रैली नहीं की।
पहली रैली राजस्थान में वोट काटने व वोट बटोरने के लिए कर रहे हैं। किसी दल में शामिल होने के सवाल पर माजरा ने कहा कि चुनाव आने पर सभी राजनीतिक दल कोई न कोई फैसला लेते हैं, वे भी समय आने पर फैसला लेंगे। कलायत से चुनाव लडऩे को लेकर उन्होंने कहा कि यह सही है कि वे एक साल से तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इस तैयारी का असर कहां हो जाए, कहा नहीं जा सकता। माजरा ने कहा कि अभी तय नहीं हुआ है कि वे चुनाव कहां से लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में किसान तंग है। मुख्यमंत्री कुछ कहते हैं, कृषि मंत्री कुछ कहते हैं। पता किसी को नहीं कब से धान व बाजरे की खरीद होगी। केंद्र सरकार भी इनकी कुछ नहीं सुन रही। ऐसे में किसान मंडियों में फसल लेकर बेहाल है। भाजपा को सब कुछ मंगल दिखाई दे रहा है, जबकि किसान मंडियों में खून के आंसू रोने पर मजबूर है।
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