- नहीं लगी क्लास और न थे शिक्षक फिर कैसे प्रौढ हो रहे शिक्षित
- 1100 करोड़ का बजट, हो रही खानापूर्ति , 2000 हजार मानदेय पर काम कर रहे प्रेरकों को हटाया: मांढी
(CharkhiDadri News) बाढड़ा। राजकीय प्राथमिक पाठशाला में नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत प्रौढ़ लोगो की परीक्षा का आयोजन करवाया गया। सबसे हैरानी की बात यह है कि इन प्रौढ़ो को किसी अक्षर ज्ञान नहीं करवाया फिर भी उनसे सारक्षता परीक्षा लेकर प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं। यह बात शिक्षा प्रेरक संघ के प्रदेशाध्यक्ष मा.विनोद माण्ढी ने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस 8 सितम्बर, 2009 के अवसर पर प्रधानमंत्री महोदय द्वारा भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से साक्षर भारत मिशन का आगाज किया गया था।
इस योजना में देशभर में प्रत्येक गांव में एक महिला और एक पुरुष मोटिवेटर की नियुक्ति की गई थी। प्रेरकों ने गांव में निरक्षर व्यक्तियों का सर्वे किया और जो 14 वर्ष तक के निरक्षर थे उनको नजदीक के राजकीय विद्यालय में भिजवाने का काम किया। 14 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को अक्षर ज्ञान करवाया और अक्षर ज्ञान के साथ साथ बेसिक बुनियादी कौशल जानकारी देने का काम किया। प्रेरकों को शिक्षा हेतु ट्रेनिंग भी दी गई थी और उन्होंने लाखों निरक्षर लोगों को साक्षर करने का काम किया था। शिक्षा प्रेरकों का काम जमीनी स्तर पर देखने को भी मिल रहा था। मा. विनोद माण्ढी ने बताया कि वर्तमान हरियाणा भाजपा सरकार ने 6 जून 2017 को सभी 5100 शिक्षा प्रेरको को बजट का हवाला देकर बाहर कर दिया।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की तीसरी वर्षगांठ के जश्न के दौरान 29 जुलाई 2023 को नई दिल्ली में नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के लोगो, नारा/टैगलाइन- जन जन साक्षर और लोकप्रिय नाम- उल्लास (अंडरस्टेंडिंग ऑफ लाइफलॉन्ग लर्निंग फॉर ऑल इन सोसाइटी) को लॉन्च किया , परन्तु बादे के मुताबिक प्रेरकों को वापस नहीं लिया गया । 1100 करोड़ का बजत भी रखा गया परन्तु उसमें न तो साक्षर करने वाले रखे गए और न ही कोई किसी की जिम्मेवारी लगाई गई।
पहले से ही कार्य की अधिकता से परेशान विरोध कर रहे प्राथमिक शिक्षकों को नोडल अधिकारी बना दिया गया। सरकार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि जब 1100 करोड़ का बजट रखा गया है तो उसका प्रयोग कहा किया जा रहा है। प्रत्येक स्कूल के लिए 700 रुपये तक का बजट रखा गया परन्तु 300 रुपये की सामग्री भी नही भेजी गई। सरकार को इसका जवाब देना चाहिए की जब परीक्षा ली जा रही तो उनको साक्षर किसने किया।
ये सब नही हुआ तो फिर जनता के पैसे की बर्बादी क्यों की जा रही है। सरकार एक तरफ लाखों युवाओं को रोजगार देने की बात की जा रही तो वही मात्र दो हजार प्रति माह मानदेय पर काम करने वाले प्रेरकों को बाहर क्यों कर दिया गया। उन्होंने कहा कि जब भी सरकार से किसी ने अपना हक मांगने की कोशिश की तो उनको लाठियों से पीटने का काम किया या फिर बिना कारण कर्मचारियों को बाहर कर दिया गया।
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