CharkhiDadri News : दुल्हन के दादा ने घोड़ी पर बिठाकर बनवारा निकाला, बेटे-बेटी एक समान का संदेश दिया

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The bride's grandfather took out the mare on the mare, gave the message of the same son and daughter
गांव कारी धारणी में घोड़ी पर बैठाकर बनवारा निकालती दुल्हन सुर्या।
  • जिले के एक परिवार ने रूढि़वादी परंपरा को तोड़ते हुए अपनी बिटिया की शादी की रस्मों को वैसे ही निभाया,जैसे बेटों की निभाई जाती

(CharkhiDadri News) बाढड़ा। गांव कारी धारणी निवासी कप्तान कुरड़ाराम के दलाल समाज के परिवार ने समाज की रूढि़वादी परंपरा को त्यागते हुए बेटी सुर्या की मंगलवार को होने वाली शादी से पहले उसके सारे रस्म-रिवाज लडकों की भांति किए। सूबेदार मेजर सत्येंद्र दलाल की पुत्री सुर्या की शादी 12 नवंबर एकादशी रात्रि को संपन्न हुई है। परिवार ने सुर्या की शादी में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया है।

रविवार रात को उनके दादा कैप्टन कुरड़ाराम ने उनको घोड़ी पर बैठाकर बनवारा निकाला। स्वजनों ने सुर्या को घोड़ी पर बैठाकर बैंड बाजे के साथ रस्म निभाया। जिसमें सभी परिजनों ने नाच-गाकर जश्न मनाया। वहीं शादी से पहले परिवार द्वारा निभाई जा रही रस्मों को देखकर सुर्या गदगद नजर आ रही हैं। दुल्हन सुर्या ने बताया की उनके परिवार में बेटियों को पूरा मान और सम्मान मिलता है। परिवार ने कभी भी उसके और उसके भाइयों के बीच कोई भेदभाव नहीं किया है। उसकी शादी में लडक़ों के जैसे ही पुरे रस्म-रिवाज निभाया जा रहा है।

समाज के बदलते परिवेश और शिक्षा के विकास के कारण अब रूढि़वादी परंपराओं को जनता धीरे-धीरे तिलांजलि देने लगी है। एचसीएस अधिकारी मनोज दलाल ने कहा कि बदलाव का दौर है देश व विदेश का नेतृत्व आज बेटियों के हाथ में है। अशिक्षा के कारण जहां पहले बेटियों को समाज में बोझ समझा जाता था। वहीं अब शिक्षा और जागरुकता की वजह से जनता की सोच में बदलाव देखने को मिल रहा है। आधुनिक दौर में शिक्षा के प्रसार-प्रचार से समाज में आई जागरूकता से बेटियों को भी बेटों के बराबर सम्मान मिलने लगा है। चरखी दादरी जिले का कारी धारणी गांव इन बातों के लिए अपनी विशेष पहचान रख रहा है।

सोच से लिंगानुपात में सुधार हुआ

शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहने वाला चरखी दादरी जिला लिंगानुपात के मामले में अंतिम चरण में था जिसके बाद सामाजिक संगठनों ने संयुक्त प्रयास किया तो अबकी बार सुधार हुआ है। मोदी सरकार पार्ट टू के कार्यकाल में कार्यक्रम अधिकारी गीता सहारण ने घटते लिंगानुपात से निपटने और आमजन को बेटियों के प्रति जागरूक करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की मुहीम चलाई थी. जिसके बाद जिले में लिंगानुपात बढ़ा। पहले जिले में एक हजार लडक़ों पर अन्य जिलों के मुकाबले कम लड़कियां थीं।

वहीं इस अभियान के बाद एक हजार लडक़ों पर लड़किया दर्ज की गई हैं। जिले में अब बेटियों को पूरा मान और सम्मान दिया जा रहा है, जो पूरे देश के सामने अनूठा उदाहरण है। जिला कार्यक्रम अधिकारी गीता सहारण ने सभी अभिभावकों से अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करते हुए उनके जीवन को संवारने का आह्वान किया।

समाज के बदलते परिवेश ने मानसिकता बदली

बाढड़ा: अपने लाल की भांति लाडो का किया लाढ़ चाव समाज के बदलते परिवेश के कारण बनी माता पिता की मानसिकता है। शादी से पूर्व बेटी की एक साथ निकाला बनवारा अपने आप में उदाहरण है। डीजे बाजे के साथ निकले बनवारे की रस्म क्रिया में ठुमके भी जमकर लगे। बेटी की शादी में बिना भेदभाव के हो रहे सभी लाढ़ चाव इस दलाल गोत्र के परिवार ने समाज को उत्कृष्ट संदेश दिया।

समाज के बदलते परिवेश और शिक्षा के विकास के कारण अब रूढि़वादी परंपराओं को जनता धीरे धीरे तिलांजलि देने लगी है जहां पहले बेटियों को समाज में बोझ समझा जाता था वही अब शिक्षा व जाग्रति से जनता की सोच में बदलाव देखने को मिल रहा है। आधुनिक दौर में शिक्षा के प्रसार व प्रचार से समाज में आई जागरूकता से बेटियों को भी बेटों के बराबर सम्मान मिलने लगा है। चाहे शिक्षा की बात हो चाहे सम्मान की अब लोग बेटियों को बेटों के बराबर सम्मान व हक़ देने लगे है। दादरी जिले का बाढड़ा क़स्बा इन बातो के लिए अपनी विशेष पहचान रख रहा है।

लडक़ा लडक़ी एक समान का संदेश दिया

बाढड़ा: कारी धारणी में रहने वाले सूबेदार सत्येंद्र सिंह के परिवार ने भी समाज की रूढि़वादी परंपरा को त्यागते हुए एमकाम, एमबीए तक शिक्षिक बेटी सुर्या की आज मंगलवार को होने वाली शादी से पूर्व उसके सारे लाड चाव लडको की भांति किया। परिवार ने प्रिया की शादी में किसी प्रकार का भेदभाव नजर नहीं आ रहा है। परिजनों ने सुर्या को घोड़ी पर बैठाकर बैंड बाजे के साथ उसकी बिंदोरी निकाली जिसमे सभी परिजनों ने नाच गाकर जश्न मनाये।

शादी से पूर्व परिवार द्वारा निभाई जा रही रस्मो को देखकर गदगद नजर आ रही दुल्हन सुर्या ने बताया की उनके परिवार में बेटियों को पूरा मान व सम्मान मिलता है। परिवार ने कभी भी उसके व उसके भाइयो के बीच कोई भेदभाव नहीं किया। उसकी शादी में लडक़े के जैसे ही पूरे लाड़ व चाव किये जा रहे है। उनके दामामद भी अधिवक्ता हैं जो लोहारु के नजदीक गोठड़ा गांव के हैं औश्र उन्होंने दान दहेज से दूर केवल नारीयल व एक रुपये में विवाह करने का फैसला किया है।

 

 

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