(CharkhiDadri News) चरखी दादरी। अर्श वर्मा पुलिस अधीक्षक चरखी दादरी ने बताया कि भारत में, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के अंतर्गत कुत्तों को लडऩे के लिए उकसाना गैरकानूनी है। इन अवैध डॉग फाइटिंग के दौरान कुत्तों को तब तक लडऩे के लिए लगातार उकसाया जाता है जब तक कि दोनों कुत्तों में से एक गंभीर रूप से घायल न हो जाए या मर न जाए। उन्होंने कहा कि डॉग फाईटिंग जानवरों की पीड़ा के प्रति असंवेदनशीलता, हिंसा के प्रति उत्साह और कानून के प्रति अनादर को बढ़ावा देता है।
कुत्तों की लड़ाई में अवैध दवाओं की बिक्री को बढ़ावा मिलता है
कुत्तों की लड़ाई अवैध जुए का साधन बन गया है। यह मुनाफ़ा कुत्तों की लड़ाई को संगठित अपराध के माहौल के साथ-साथ सडक़ों पर भी आम बनाता है। कुत्तों की लड़ाई में अवैध दवाओं की बिक्री को बढ़ावा मिलता है । डॉग फाइटिंग को अन्य प्रकार की हिंसा से भी जोड़ा गया है – यहाँ तक कि हत्या से भी।
सडक़ पर लड़ाई के बाद, कुत्तों को अक्सर पुलिस और पशु नियंत्रण अधिकारियों द्वारा मृत या मरते हुए पाया जाता है। इसलिए लोगों को इस धारणा में विश्वास रखना चाहिए कि जानवर हमारे मनोरंजन करने के लिए नहीं हैं इस संदर्भ में 8 अप्रैल को राष्ट्रीय डॉगफाइटिंग जागरूकता दिवस (हृष्ठस्न्रष्ठ) मनाया जाता है।
डॉगफाइटिंग क्या है?
डॉगफाइटिंग एक प्रकार का रक्त खेल है जिसमें कुत्तों को दर्शकों के मनोरंजन और लाभ के लिए एक दूसरे से लडऩे के लिए मजबूर किया जाता है। पुलिस अधीक्षक ने कड़ा संज्ञान लेते हुए कहा कि डॉग फाइटिंग कराना और खतरनाक प्रतिबंधित कुत्ता पालना या रखना अपराध है यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
इसके अलावा पशु क्रूरता अधिनियम के तहत यदि कोई व्यक्ति पशु-पक्षियों के विरुद्ध क्रूरता करता है तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जाएगी। इसके लिए जिले में अभियान की शुरूआत कर दी है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर यदि कहीं कोई कुत्तों की फाइट या पशु क्रूरता करता या कराता हुआ दिखाई दिया तो उसके खिलाफ भी कानूनी कार्यवाही की जाएगी। पुलिस की सोशल मीडिया पर पैनी नजर है।
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