Charkhi Dadri News : मेजर ध्यानचंद के जीवन चरित्र से प्रेरणा लें युवा: रविंद्र सांगवान

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Youth should take inspiration from the life character of Major Dhyanchand: Ravindra Sangwanc
विधार्थियों को संबोधित करते रविन्द्र सांगवान।

(Charkhi Dadri News) चरखी दादरी। भारतीय हॉकी के सबसे दिग्गज खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद को सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ खिलाडिय़ों में से एक माना जाता है जिन्होंने भारत के लिए हॉकी खेला है। दूसरे विश्व युद्ध से पहले के वर्षों में हॉकी के खेल पर अपना वर्चस्व कायम करने वाली भारतीय हॉकी टीम के स्टार खिलाड़ी ध्यानचंद एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे। जिन्होंने 1928, 1932 और 1936 में भारत को ओलंपिक खेलों में लगातार तीन स्वर्ण पदक जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ध्यानचंद को इस खेल में महारत हासिल थी और वो गेंद को अपने नियंत्रण में रखने में इतने निपुण थे कि वो हॉकी जादूगर और द मैजिशियन जैसे नामों से प्रसिद्ध हो गए।

यह जानकारी आर्यन कोचिंग सेंटर परिसर में राष्ट्रीय खेल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान संचालक मास्टर रविंद्र संागवान ने युवाओं को दी। हॉकी के जादूगर नाम से पूरे विश्व में विख्यात मेजर ध्यानचंद की जयंती उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने व स्टाफ सदस्यों तथा युवाओं ने मेजर ध्यानचंद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। मास्टर रविंद्र सांगवान ने बताया कि मेजर ध्यानचंद ने तत्कालीन ब्रिटिश भारतीय सेना के साथ अपने कार्यकाल के दौरान हॉकी खेलना शुरू किया और 1922 और 1926 के बीच, उन्होंने कई सेना हॉकी टूर्नामेंट और रेजिमेंटल खेलों में भाग लिया।

जब 1932 के ओलंपिक के लिए भारतीय टीम का चयन किया गया था, तब ध्यानचंद के लिए कोई ट्रायल की जरूरत नहीं थी और इस बार टीम में उनके भाई रूप सिंह भी शामिल थे। लॉस एंजेलिस खेलों में भारतीय टीम की कमान उन्हें सौंपी गई। अपने कप्तान के खेल से प्रेरित होकर भारतीय टीम ने फिर से अपना वर्चस्व कायम रखा और फाइनल में मेजबान जर्मनी को 8-1 से हराकर, स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। इस बार भी टीम अजय रही। टीम की कमान संभालते हुए ध्यानचंद ने फाइनल मुक़ाबले में तीन गोल किए, भले ही विपक्षी टीम ने उन्हें रोकने के लिए किसी न किसी रणनीति का सहारा लिया हो लेकिन ध्यानचंद को रोकना नामुमकिन साबित हुआ। मैदान पर अपनी गति बढ़ाने के लिए उन्होंने मैच के दूसरे हाफ में नंगे पैर खेला।