- संस्कृत भाषा ही हिंदुस्तान को एकजुट रखने के प्रति कटिबद्ध: धर्मबीर
(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। लोकसभा सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि संस्कृत हमारी प्राचीन माृभाषा हीं नहीं बल्कि हमारे महापुरुषों को विश्व को दिया गया अनमोल गहना है। केन्द्र व प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य गीता व संस्कृत भाषा के ज्ञान को घर घर तक पहुंचना है जिस पर हमारा पूरा ध्यान केंद्रित है। कन्या गुरुकुल से संस्कारयुक्त शिक्षित छात्राएं माडर्न समाज में एक अनमोल हीरे के समान ज्ञान का प्रचार करेंगी।
यह बात उन्होंने कन्या गुरुकुल पंचगावां के अध्यक्ष ओमप्रकाश पंचगावां की अध्यक्षता में वार्षिकोत्सव समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार ने संस्कृत भाषा, आर्य समाज की शिक्षण संस्थाओं को अब तक का बड़ा बजट व देश के सभी स्कूल कालेजों में रिक्त पदों को भरने का काम किया है। उन्होंने गुरुकुल संस्था को पांच लाख रुपये काअनुदान राशी देने की घोषणा की।
विधायक उमेद पातुवास ने कहा कि संस्कृत भाषा कोई जटिल नहीं है लेकिन हमारी आधुनिकता की मानसिकता ने हमें अंग्रेजी हावभाव का गुलाम बना दिया है। हमें अपने बच्चों को पश्चिमी सभ्यता से दूर रखते हुए महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
एसडीएम मनोज दलाल ने कहा कि कन्या गुरुकुल की स्थापना में महाशय मंसाराम व राजा महताब सिंह जैसे महापुरुषों की पूरी जमापूंजी से हुई है और यह प्रदेश की हजारों छात्राओं को शिक्ष्ति कर चुका है जो देश-विदेश में गुरुकुल से मिले ज्ञान को बांट कर समाज को प्रकाशमय करने में जुटी है। समापन कार्यक्रम में कन्या गुरुकुल प्रबंधन समिति अध्यक्ष ओमप्रकाश पंचगावां ने कार्यक्रम में पधारे मुख्य अतिथि समेत सभी को स्मृति चिन्ह भेंट का सम्मानित किया। कार्यक्रम में समाजसेवी छतरसिंह जगरामबास ने एक लाख की राशि दान में देने की घोषणा की।
कार्यक्रम में एचपीएससी के पूर्व सदस्य महेन्द्र शास्त्री, दी केन्द्रिय सहकारी बैंक चेयरमैन सुधीर चांदवास, भाजपा पिछड़ा वर्ग जिलाध्यक्ष व जिला पार्षद सुनील हड़ौदी, एटीओ कश्मीर सिंह, अध्यक्ष ओमप्रकाश पंचगावां, भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ट रविंद्र गुप्ता, विरेन्द्र गुप्ता दादरी, हनुमान शर्मा, एचसीएस इंद्रसिंह, रामकिशन फौजी, सतबीर शर्मा कादमा, गोशाला कमेटी अध्यक्ष विजय पंचगावां, जयबीर ठेकेदार, मा. तरुण शर्मा, अनिल बेरला, बलवान आर्य, रणधीर सिंह घिकाड़ा, आचार्या सुमित्रा देवी, सतबीर शास्त्री, सविता श्योराण, सरपंच राजेश श्योराण, सीताराम शर्मा, पूर्व चेयरमैन संदीप बाढड़ा, हरीसिंह गोपी, आजाद सिंह छिल्लर, बलवान आर्य, हवासिंह नांधा, रणधीर पीटीआई सूमेर सिंह जांगड़ा, ब्रहमपाल बाढड़ा, सरपंच राजेश पंचगावां इत्यादि मौजूद थे।
पश्चिमी सभ्यता का हाविपन देश की संस्कृति के स्वास्थ्य को पहुंचा रहा नुकसान
पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान ने कहा कि मनुष्य का आहार-विहार वैदिक परंपराओं के अनुसार रहे तो भारतीयों को कोरोना वायरस आदि से डरने की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि मांसाहार मनुष्य जाति के लिए नहीं बना है। पाश्चात्य प्रभाव में आकर अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आर्यसमाज व संस्कृत का मुख्य उद्देश्य समाज को संस्कारयुक्त तौर पर मजबूत बनाना है।
आर्य समाज गौ संवर्धन के लिए विशेष अभियान चला रहा है
झज्जर गुरुकुल के आचार्य विजयपाल ने बताया कि गाय को माँ के समान पूज्य तथा श्रद्धा रखने वाली असंख्य जनता की तरफ से आर्य समाज सरकार से यह मांग करता है कि सम्पूर्ण गौवंश की रक्षा के लिए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाये। गौ संवर्धन अभयारण्य स्थापित करके लाखों बछड़ों, बैलों, सांड़ व वृद्ध गायों को संरक्षण दिया जाये व गौपालन के लिए गाय की नस्ल सुधारकर उसे उपयोगी बनाया जाये तथा गाय पालने वाले किसानों को विशेष अनुदान राशि प्रदान करके उत्साहित किया जाये।
गाय पालन को आर्थिक स्थिति से जोड़ते हुए कहा कि गांव में लघु उद्योगों में विशेष रूप से तेल घानी का कोल्हू या अन्य लघु उद्योग जिनमें बैलों का उपयोग हो सके वे लघु उद्योग स्थापित किये जायें। प्रत्येक गांव में बंजर या शामलाती जमीन पर गौरक्षा एवं गोपालन केन्द्र स्थापित किये जायें और गायों के गोबर व गोचर से जैविक खाद एवं कीटनाशक औषधि तैयार की जायें। सरकार द्वारा जंगली जानवरों एवं पक्षियों के लिए स्थापित किये जाने वाले राष्ट्रीय पार्कों की तरह गौवंश के लिए भी राष्ट्रीय पार्क बनाये जायें जिनमें उनके लिए पानी, चारा व रहने के लिए स्थान की व्यवस्था की जाये। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि गौमाता की रक्षा और संवद्र्धन के लिए हम सब कम से कम एक गाय का पालन अवश्य करे।