Charkhi Dadri News : मुरारीलाल रसिवासिया आयुर्वेदिक कॉलेज में स्वर्ण प्राशन संस्कार का सफल आयोजन

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Successful organization of Golden Prashan Sanskar at Murarilal Rasivasia Ayurvedic College.
बच्चों को स्वर्ण प्राशन दवा की बूंद पिलाते डा. कैलाश कुमार कड़ेला व उनकी टीम।

(Charkhi Dadri News) चरखी दादरी। मुरारीलाल रसिवासिया आयुर्वेदिक कॉलेज, डॉ. आर.के. आदर्श स्कूल (प्राथमिक विंग), चरखी दादरी और मुरारीलाल रसिवासिया आयुर्वेदिक कॉलेज में डा. कैलाश कुमार कड़ेला और उनकी टीम ने डा. अनीता यादव के मार्गदर्शन में स्वर्ण प्राशन संस्कार का सफल आयोजन किया। स्वर्ण प्राशन एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो नवजात से लेकर 16 वर्ष तक के बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में सुधार के लिए तैयार की जाती है।

कार्यक्रम में कुल 85 बच्चों ने स्वर्ण प्राशन की बूंदों का सेवन किया

इस कार्यक्रम में कुल 85 बच्चों ने स्वर्ण प्राशन की बूंदों का सेवन किया। इस सेवा का लाभ अब प्रत्येक माह के पुष्य नक्षत्र के दिन उपलब्ध होगा। स्वर्ण प्राशन संस्कार बच्चों के स्वास्थ्य और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और यह आयुर्वेद की प्राचीन विधियों का आधुनिक अनुसरण है। स्वर्ण प्राशन के कई लाभ हैं, जिनमें बच्चों की पाचन शक्ति और भूख में सुधार, रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास, वजन में अच्छी वृद्धि, और मौसमी बीमारियों से बचाव शामिल हैं। डॉ. कैलाश कुमार कड़ेला और उनकी टीम ने इस अवसर पर बच्चों और उनके माता-पिता को स्वर्ण प्राशन के इन लाभों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्वर्ण प्राशन बच्चों की स्मरण शक्ति को भी सुधारता है और शारीरिक व मानसिक विकास में सहायक होता है।

स्वर्ण प्राशन बच्चों की पाचन शक्ति को बढ़ाता है, जिससे उनका पाचन तंत्र मजबूत होता है और भूख में सुधार होता है। इसके सेवन से बच्चों का वजन संतुलित और स्वस्थ रूप से बढ़ता है। इसके अलावा, स्वर्ण प्राशन मौसमी बीमारियों से बचाव करता है, जिससे बच्चों को बार-बार बीमार होने की संभावना कम हो जाती है। इस आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है, जिससे वे विभिन्न बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं।
कार्यक्रम के अंत में, डॉ. अनीता यादव ने सभी उपस्थित लोगों का धन्यवाद किया और भविष्य में भी इस प्रकार के आयुर्वेदिक कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि स्वर्ण प्राशन संस्कार का यह सफल आयोजन मुरारीलाल रसिवासिया आयुर्वेदिक कॉलेज की समर्पित टीम के प्रयासों का परिणाम है।

जो माता-पिता अपने बच्चों को स्वर्ण प्राशन का सेवन कराना चाहते हैं, वे प्रत्येक पुष्य नक्षत्र पर मुरारीलाल रसिवासिया आयुर्वेदिक कॉलेज में आ सकते हैं। इस पहल से आयुर्वेद की महत्ता और इसके प्रभावी उपचार पद्धतियों का प्रचार-प्रसार हो रहा है, जिससे अधिक से अधिक लोग इसके लाभ उठा सकते हैं। आयुर्वेद की यह प्राचीन परंपरा आधुनिक समय में भी बच्चों के संपूर्ण विकास में सहायक सिद्ध हो रही है।