- अगर स्त्री मजबूत होगी तो समाज भी मजबूत होगा
(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। समाज को तब तक विकसित नहीं किया जा सकता, जब तक महिलाएं हर क्षेत्र में स्वतंत्र और सशक्त न हो जाएं, क्योंकि महिलाओं के सहयोग बिना सशक्त समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
महिला दिवस पर अपने विचारों में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय प्रवक्ता संतोष मांढी का कहना है कि दुनियाभर में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन को नारी शक्ति के संघर्ष और ताकत का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि पहली बार इस दिन 1908 में अमेरिका में कामकाजी महिलाओं ने कम वेतन, लंबे कार्य घंटे और मतदान के अधिकार की मांग को लेकर न्यूयॉर्क में प्रदर्शन किया।
इस साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की थीम एक्सीलरेट एक्शन रखी गई है, जिसका मतलब तेजी से कार्य करना है
इसके बाद संसार के प्रत्येक कोने में महिला समानता की आवाज उठने लगी और आखिरकार 8 मार्च 1975 को संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य महिलाओं के प्रति समाज में सम्मान की भावना उत्पन्न करना और उन्हें सबके समान अधिकार दिलाना है , महिलाओं को उनकी अच्छी कार्यशैली के लिए सम्मानित करना है। नारी को सशक्त करने के लिए हर साल महिला दिवस पर एक विशेष थीम जुड़ी होती है, जो उस दिन के लिए बहुत बड़ी भूमिका रखती हैं। इस साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 की थीम एक्सीलरेट एक्शन रखी गई है, जिसका मतलब तेजी से कार्य करना है।
यह थीम हमें बताती है कि हमें अपने ऊपर बहुत मेहनत और तेजी से काम करने की जरूरत हैं। महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने, लोगों को जागरूक करने और पीडि़तों को मदद देने वाली सुविधाओं को मजबूत करने पर बड़ा कदम उठाने की जरूरत है। इस थीम का उद्देश्य है कि आज भी दुनियाभर में महिलाएं वेतन असमानता, लैंगिक भेदभाव, घरेलू हिंसा और कार्यस्थल पर असमान अवसरों का सामना कर रही हैं उन पर जल्दी से कदम उठाएं जाए।
समाज में आज भी घरेलू हिंसा, लैंगिक भेदभाव, शिक्षा में असमानता, दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी बुराइयां मौजूद हैं
प्रवक्ता संतोष माण्ढी का मानना है कि अगर हम किसी समाज को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले हमें महिलाओं को सशक्त बनाना होगा। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को उनके अधिकार, शिक्षा, रोजगार और स्वतंत्रता वास्तविक रूप से देना ताकि वे अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जी सकें। महिलाएं किसी भी प्रकार से कमजोर नहीं हैं। आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, फिर भी कई चुनौतियाँ उनके सामने खड़ी हैं। समाज में आज भी घरेलू हिंसा, लैंगिक भेदभाव, शिक्षा में असमानता, दहेज प्रथा, बाल विवाह जैसी बुराइयां मौजूद हैं। जब तक इन बुराईयों को पूरी तरह से खत्म नही किया गया तो अच्छे समाज व राष्ट्र की कल्पना नही की जा सकती है , क्योंकि नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है। वह जीवनदायिनी है, प्रेम की मूर्ति और रिश्ते संवारने वाली शक्ति है।
महिलाओं ने इतिहास में हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है, चाहे वह शिक्षा हो, राजनीति हो, विज्ञान हो, खेल हो या युद्ध का मैदान
भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति, ममता, और त्याग का स्वरूप माना गया है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है, यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता: यह वाक्य स्पष्ट करता है कि बहुत लंबे समय से नारी के महत्व को रेखांकित किया जाता रहा है। वैसी तो महिलाओं को सम्मान देने के भारतवर्ष में नदियों तक के नाम महिलाओं के नाम पर हैं और उन्हें गंगा, सरस्वती, गोदावरी आदि नाम देकर उनकी पूजा तक की जाती रही है, परंतु वास्तविकता इसके कोसों दूर है। महिलाओं ने इतिहास में हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी है, चाहे वह शिक्षा हो, राजनीति हो, विज्ञान हो, खेल हो या युद्ध का मैदान।
महिलाओं हर क्षेत्र अपनी शक्ति, साहस, धैर्य और शौर्य का प्रदर्शन किया है , परन्तु इसके बावजूद पुरुष प्रधान समाज उसे कमजोर समझकर उसे अनेक बंधनों में बांधने का प्रयास करता रहा है। आज कहने को देश में पंचायती राज में महिलाओं को अधिकार दिया गया है , परन्तु महिला प्रतिनिधि आज भी परदे में हैं और पुरुष अपनी बीमार मानसिकता के चलते स्वयं सत्ता पर काबिज है, जिसे किसी भी प्रकार से उचित नहीं कहा जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के संघर्ष, उपलब्धियों और योगदान को पहचानने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि हमें महिला सशक्तिकरण को लेकर कई सारे कदम उठाने की जरूरत है, क्योंकि महिला, एक मां, बहन, बेटी, बहु कई रुपों में अपना कर्तव्य निभाती हैं और संस्कारी एवं सभ्य समाज का निर्माण करती है। वास्तव में नारी सूरज की सुनहरी किरण और प्रेम का आगार है। हम सभी को महिलाओं का महत्व समझना चाहिए एवं उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए।
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