(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। गांव के युवाओं के साथ कबड्डी, कुश्ती खेलने की इच्छा अधूरी रहने के मलाल के चलते एक युवा के सिर पर ऐसा जुनून सवार हुआ कि उन्होंने आर्थिक स्थिति ठीक होते ही गांव लौटकर खुद का भव्य स्टेडियम तैयार कर दिया। जिले के एकमात्र निजी स्टेडियम में शहरों जैसी खेल सुविधाएं पाकर ग्रामीण क्षेत्र के दो सौ लडके लड़कियां सेना, अर्धसैनिक बलों व निजी कंपनियों में अच्छे पदों पर तैनात हैं वहीं यहां संचालित अलग अलग एकेडमियों मे गुर सीखकर अलग अलग खेलों में इस क्षेत्र का नाम रोशन कर रहे हैं।
गांव कालुवाला निवासी नीरज चौधरी युवावस्था से ही कबड्डी, कुश्ती में रुचि रखते थे लेकिन वह ट्रंासपोर्ट व्यवसाय में शामिल होकर गोआ चले गए। वर्ष 2007 में वह अपने पैतृक गांव पहुंचे तथा यहां पर प्रतिवर्ष कुश्ती दंगल के लिए पांच लाख रुपये की राशि दान देने की परंपरा शुरु की जो आज भी चल रही है। गांव के युवाओं के लिए उन्होंने स्वयं के खर्चे पर खेल स्टेडियम निर्माण की पहल की तो कालुवाला ग्राम पंचायत ने अपनी शामलाती भूमि के 14 एकड़ भूमि दान में देने का फैसला किया जिस पर नीरज चौधरी के कोष से जिले का एकमात्र निजि राशि से आज भव्य स्टेडियम बनकर तैयार खड़ा है और क्षेत्र के युवाओं को आधुनिक खेल सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है।
इसमें 400 मीटर का दौड़ ट्रेक है वहीं सभी प्रकार के एथलेटिक्स सुविधा उपलब्ध हैं। स्टेडियम परिसर में बास्केटबाल, वालीबाल, दौड़ व कबड्डी के चार खेल मैदान तैयार किए गए हैं। इनमें डे नाईट खेल आयोजन के लिए पूरी तरह लाईटों की व्यवस्था हैं जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की लाईटें लगाई गई हैं। यहां दिन रात्रि अभ्यास के लिए लगभग एक दर्जन गांवों के लडक़े लड़कियां यहां पहुंच कर विशेष प्रशिक्षकों की देखरेख में अभ्यास कर रही हैं। यहां पर बुजर्गो के लिए अलग से ओपन जिम स्थापित है जिसमें गांवों के बुजुर्ग व महिलाएं आकर सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। जिले में बड़े स्तर का सरकारी स्टेडियम न होने पर खेल विभाग की रेजिडेंटेंसल एकेडमी भी यहीं चल रही है। जिला परिषद चेयरमैन मंदीप डालावास व जिला पार्षद इंजीनियर सुनील हड़ौदी ने कहा कि नीरज चौधरी के प्रयासों से क्षेत्र के युवाओं में खेल के प्रति अलग ही विचाारधारा तैयार हुई है। वह खेलों का सारा खर्च अब भी खुद उठाते हैं वहीं गोशााला व अन्य धार्मिक संस्थाओं में दिल खोलकर दान देने से पीछे नहीं रहते।
यहां से प्रशिक्षित 200 सेना में, 50 गोल्ड मेडलिस्ट
जिले के एकमात्र निजी स्टेडियम मे शहरों जैसी खेल सुविधाएं पाकर ग्रामीण क्षेत्र के दो सौ लडके लड़कियां सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ समेत अर्धसैनिक बलों व निजी कंपनियों में अच्छे पदों पर सेवारत हैं। स्टेडियम परिसर में ही बाहर से आए हुए बच्चों के रहने के लिए आधुनिक भवन व उचित भोजन का प्रबंध हैं वहीं इंडियन, नेवी व वायुसेना से जुड़ी खेल टीमें भी यहां पर समय समय पर अभ्यास करती हैं। यहां पर कड़ा प्रशिक्षण पाकर 50 से ज्यादा लडक़े लड़कियां नैशनल व स्टेट लेवल में गोल्ड मैडल जीत चुके हैं। यहां से प्रशिक्षित तीन दर्जन से अधिक युवा देश के अलग अलग क्षेत्रों में कोच के पद पर युवाओं का भविष्य संवार रहे हैं। यहां पर नीरज चौधरी ने ही 7 विशेष कुशल कोचों के अलावा मैडिकल ट्रेनर, ग्राऊंडमैन व महिलाओं के लिए अलग से स्टाफ की तैनाती की हुई है।
खुद जो सुविधा नहीं मिली, उसे हर ग्रामीण युवा को उपलब्ध करवाना ही लक्ष्य
समाजसेवी नीरज चौधरी का ट्रंासपोर्ट क्षेत्र में बड़ा कारोबार संचालित हैं लेकिन उनकी जड़ें आज भी गांव की मिट्टी से जुड़ी हैं। उन्होंने बताया कि वह स्वयं खेल से नहीं जुड़ पाए क्योंकी जिस समय खेलकूद की उम्र थी वह अपने कामकाज के सिलसिले में बंबई व गोआ में चले गए लेकिन वर्ष 2005 में उन्होंने वापस आकर एक लाख की कुश्ती दंगल से ईनामी स्पर्धा आरंभ की। उसके बाद गांव में प्रतिवर्ष खेल स्पर्धा आयोजित करने के अलावा वर्ष 2007 से 14 एकड़ में भव्य खेल स्टेडियम का निर्माण करवाया गया है जिसमें हर तरह की खेल सुविधा मौजूद हैं। उनका सपना है कि उनको बाल्यकाल में जिन सुविधाओं से वंचित रहे हैं क्षेत्र का युवावर्ग उन सुविधाओं से महरुम ना रहे इसीलिए ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं के लिए खेल सुविधाओं के लिए कभी भी धन की कमी नहीं आने दी जाएगी।