Charkhi Dadri News : पर्यावरण संरक्षण को लेकर मियावाकी पद्धति से दादरी जिला बनेगा हरा-भरा, 35 प्रजातियों के लगेंगे लाखों पौधे : सुनील सांगवान

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Regarding environmental protection, Dadri district will become green with Miyawaki method, lakhs of saplings of 35 species will be planted: Sunil Sangwan.
  • नेशनल हाईवे के अलावा, स्कूलों व पंचायती जमीन पर भी मियावाकी तकनीक से पौधे लगाने की है योजना

(Charkhi Dadri News) चरखी दादरी। जापानी तकनीक मियावाकी से अब दादरी जिले को हरा-भरा बनाया जाएगा। पर्यावरण संरक्षण को लेकर मियावाकी पद्धति से अब स्कूल-कॉलेजों के अलावा नेशनल हाईवे के साथ व पंचायती जमीन पर 35 प्रजातियों के लाखों पौधे लगाए जाएंगे। पूर्व जेलर व दादरी के विधायक सुनील सांगवान द्वारा रोहतक जेल की तर्ज पर दादरी में अनेक स्थानों पर मियावाकी तकनीक से पौधे लगाने की कवायद शुरू कर दी है। जल्द ही दादरी जिला को हरा-भरा बनाने के लिए मियावाकी योजना के तहत कार्य धरातल पर शुरू हो जाएगा।

विधायक सुनील सांगवान ने सोमवार को वन विभाग द्वारा कई स्थलों पर लगाये पौधों का निरीक्षण किया और मियावाकी तकनीक बारे अधिकारियों से दादरी जिला को हरा-भरा बनाने के लिए चर्चा की। विधायक ने वन व शिक्षा विभागों के अधिकारियों को रोहतक जेल में मियावाकी तकनीक से लगाये संघन जंगलों का निरीक्षण कर, उसी तर्ज पर पौधे लगाने के निर्देश दिये।

पर्यावरण संरक्षण के लिए मियावाकी पद्धति दादरी क्षेत्र की हवा बदलने का काम करेगी

साथ ही वन विभाग के अलावा शिक्षा व पंचायत विभाग से खाली जमीन का ब्यौरा मांगा। ताकि आगामी दिनों में मियावाकी तकनीक से पौधारोपण किया जा सके। विधायक सुनील सांगवान ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए मियावाकी पद्धति दादरी क्षेत्र की हवा बदलने का काम करेगी। उन्होंने बताया कि स्कूल-कालेजों के अलावा नेशनल हाईवे 152 डी के जलेबी चौक, हाईवे के साथ लगती जमीनों के अलावा पंचायती जमीन पर मियावाकी पद्धति से पौधे लगाये जाएंगे। विधायक ने इस संबंध में उपायुक्त राहुल नरवाल से भी मियावाकी पद्धति द्वारा पौधे लगाने की योजना बारे भी बातचीत की।

विधायक सुनील सांगवान ने बताया कि मियावाकी तकनीक से छोटे-छोटे जंगल बनाए जा सकते हैं, जिससे वातावरण में भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन मिलेगी। उन्होंने कहा कि वनों की कटाई के कारण हरियाली में कमी आई है। परिणाम स्वरूप वातावरण में भी असंतुलन पैदा हुआ, जिसके चलते जानवर विलुप्त होने लगे हैं। जलवायु परिवर्तन हो रहा है तथा नमी में कमी आ रही है। भू-जल स्तर गिरता जा रहा है और इसके साथ ही तापमान बढ़ रहा है। इस स्थिति में यह तकनीक बेहद कारगर साबित हो सकती है।

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