(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। प्रदेश के दक्षिणी रेतीले क्षेत्र में पिछले दो माह से वर्षा न होने से क्षेत्र में बड़े रकबे पर बिजाई ही नहीं हो पाई वहीं कपास को छोडक़र बाजरे व ग्वार के पौद्यें भी भीषण गर्मी व सिंचाई के अभाव में प्रथम चरण में ही दम तोड़ रहे हैं। इससे अकेले दादरी जिले में एक चौथाई जमीन खाली नजर आ रही है। किसानों द्वारा बोई गई फसलों के दम तोडऩे से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही हैं।
प्रदेश में मानसुन के दौर में अनुमानित से भी कम बरसात आने से दक्षिणी हरियाणा का वातावरण पूरी तरह गर्मा रहा है और क्षेत्र का आमजन अप्रेल माह से लगातार भीषण गर्मी में तप रहा है। मई के नोतपा के दौरान बिजली आपूर्ति में कमी से किसानों की उस समय की कपास व सब्जी की फसलें पूरी तरह प्रभावित हुई है वहीं बाद में तो समय पर वर्षा न होने से बरानी फसल बिजाई तो ना के बराबर हो पाई वहीं नहरी या ट्यूबवैल सिंचाई से जून या जुलाई माह में बोई गई बाजरे व ग्वार की फसलों के पौद्ये मुरझा गए हैं और धीरे धीरे कर दम तोड़ रहे हैं जिससे किसानों के होश फाख्ता हो गए हैं।
अकेले दादरी जिले में 2 लाख 73 हजार एकड़ कृषि योग्य भूमि है जिस पर 48 हजार एकड़ में कपास, 1 लाख 30 हजार एकड़ में बाजरा, 12 हजार एकड़ में ग्वार समेत पशु चराई समेत अन्य भूमि को छोड़ लगभग 60 हजार से 80 हजार एकड़ भूमि पर या तो बिजाई ही नहीं हुई या फिर उसपर सिंचाई न होने से भूमि में पैदा होते ही फसलों के पौद्ये गर्म मिट्टी की चपेट में आते ही दम तोड़ रहे हैं। जिला कृषि विषय विशेषज्ञ डा. चंद्रभान श्योराण ने बताया कि खरीफ सीजन की फसलें पूर्णतया वर्षा पर निर्भर होती हैं। अबकी बार गर्मी ज्यादा होने से कपास व सब्जी की फसलों पर मई जून में ही प्रतिकूल प्रभाव आ चुका है वहीं अब ग्वार, बाजरे की फसलें भी सिंचाई के अभाव में प्रभावित नजर आ रही हैं।
महंगे भाव के खाद बीज बेकार गए, किसानों को दोहरा नुकसान
किसान समुंद्र सिंह, सतपाल श्योराण, रामसिंह गोपी, शीशराम नंबरदार इत्यादि ने बताया कि खरीफ सीजन का मौजूदा दौर कृषि के लिए बहुत बुरा साबित हो रहा है। अप्रेल मई माह में नहरी, ट्यूबवैल सिंचाई से बोई गई कपास व टमाटर, ककड़ी, प्याज, गोभी, भिंडी इत्यादि फसलें पूरी तरह खराबे की भेंट चढ गई वहीं जून जुलाई में समय पर वर्षा न आने से बजारा व ग्वार की फसलें भी या तो बोई नहीं गई या महंगे खाद बीज इस्तेमाल कर बोई गई वह अब वर्षा न होने व बिजली में कमी आने से सिंचाई न होने से पौद्ये मुरझा कर दम तोड़ रहे हैं। इससे किसानों को बड़ा दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है जो न्यायसंगत नहीं है।
सूखाग्रस्त घोषित कर 50 हजार प्रति एकड़ मुआवजा घोषित करे सरकार
भाकियू अध्यक्ष हरपाल भांडवा, किसान सभा अध्यक्ष मा. रघबीर श्योराण काकड़ौली, पूर्व सरपंच गिरधारी मोद, रणधीर सिंह हुई इत्यादि ने बताया कि केन्द्र व प्रदेश सरकार जानबूझ कर किसान व कृषि क्षेत्र की उपेक्षा बरत रही है। आज किसानों को महंगे भाव के खाद-बीज इस्तेमाल कर नाममात्र भाव पर फसलें बेचनी पड़ रही है वहीं मौजूदा खरीफ सीजन में प्रदेश के दक्षिणी रेतीले की कपास व सब्जी की फसलें पहले ही बर्बाद हो गई वहीं अब ना तो वर्षा आई और ना ही पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाई जिससे ग्वार बाजरे की फसलें भी बिजाई के इंतजार में ही सीजन गुजार दिया है। प्रदेश सरकार को अविलंब प्रभाव से प्रभावित रकबे का स्पेशल सर्वे करवा कर इस क्षेत्र को सुखाग्रस्त घोषित कर प्रभावित किसानों को कपास उत्पादक एकड़ पर 50 हजार व कपास ग्वार उत्पादक पीडि़त किसानों को 30 हजार का मुआवजा घोषित करना चाहिए। प्रदेश सरकार ने जल्द ही इस क्षेत्र की सुध नहीं ली तो भाकियू व किसान सभा सडक़ों पर उतर कर रोष प्रदर्शन करेगी।
बीमा कंपनियों से भरपाई का प्रयास
प्रदेश के वित्त मंत्री जयप्रकाश दलाल ने बताया कि वर्षा में कमी के कारण भिवानी, चरखी दादरी, नारनौल जिले की फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव आने की जानकारी मिली है। खरीफ सीजन की फसलों की रक्षा व किसान के हितों की सुरक्षा के लिए सरकार पूरी तरह कटिबद्ध है। दो दिन पूर्व ही सीएम नायब सिंह सैनी के साथ विशेष बैठक कर पंद्रह जिलों को कृषि सुरक्षा चक्र में शामिल करते हुए सभी फसलों का बीमा करवाने का फैसला किया है जिसका अधिकतम पीमियम सरकार खुद वहन करेगी। प्रदेश सरकार ने पांच सौ करोड़ से अधिक लागत से नहरों का नवीनीकरण करने के अलावा नहरी पानी आपूर्ति को बढावा दिया है। प्रदेश सरकार के शासन में किसान गरीब मजदूर व कमेरे वर्ग के हितों के लिए अनेक लाभ कारी योजनाएं आरंभ की हैं।