Charkhi Dadri News : विधानसभा चुनाव को लेकर सक्रिय हुए राजनैतिक दलों के नेता

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Leaders of political parties became active regarding the assembly elections, fight for tickets between Congress and BJP, small and big leaders became active regarding the arrival of survey teams of the high command, Ransingh Mann, Jagatsingh Badhra and Somveer Ghasola are ahead in the race.
कस्बे का मुख्य क्रांतिकारी चौक।

(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अक्टूबर माह में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा, कांग्रेस, जजपा व इनेलो जैसे दलों के भावी प्रत्याशियों ने धरातली मेहनत के अलावा अब दिल्ली, चंडीगढ पहुंच कर बड़े नेताओं के दरबार में परिक्रमा शुरु कर दी है।

2005 के बाद कांग्रेस को जिले में विस सीटों पर जीत नसीब नहीं

दादरी भले ही वर्ष 2017 में अस्तित्व आया हो लेकिन 2005 के बाद इस जिले के दोनों विधानसभा सीटों पर अब तक कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई है लेकिन अब की बार विधानसभा में कांग्रेस के बेहतरीन प्रदर्शन से इस दल में भविष्य देख रहे भावी प्रत्याशियों के युवा चेहरों पर रौनक लौट आई है वहीं किरण चौधरी के भाजपा में जाने से कई स्थानीय नेताओं के लिए भी विधानसभा का द्वार खुलने में आसानी होगी। जिले में जजपा व इनेलो में जहां पार्टी संगठन के प्रति निष्ठा ही प्रमुख पैमाना है वहीं सभी कांग्रेस व भाजपा जैसे राष्ट्रीय दलों में सर्वे के आधार पर मैदान में टिकट देकर भेजने का फैसला लिया जाएगा जिससे नेताओं ने ग्राम स्तर पर अपनी टीमों को एक तरह से प्रशिक्षित कर उतार दिया है।

दादरी जिले को वर्ष 2017 से पहले भिवानी जिले के एक उपमंडल में पहचाना जा रहा है वहीं यहां के मतदाताओं पर पूर्व सीएम स्व. बंसीलाल व स्व. देवीलाल परिवार का विशेष प्रभाव देखने को मिला है। वर्ष 2005 में बाढड़ा से धर्मबीर सिंह व दादरी से मेजर नृपेन्द्र सांगवान विजयी हुए थे उसके बाद बाढड़ा में लगातार तीन बार कांग्रेस टिकट लेकर पहुंचे पूर्व सीएम स्व. रणबीर सिंह  महेन्द्रा को हार का सामना करना पड़ा  वहीं दादरी से उसके बाद मैदान में दूसरी बार उतरे मेजर नृपेन्द्र सिंह, सतपाल सांगवान व तीसरी बार प्रत्याशी मेजर नृपेन्द्र सिंह को निराशा ही हाथ लगी। किसान बाहुल्य बाढड़ा क्षेत्र में हर चुनाव में जाट मतदाता व उसके जाट प्रत्याशी का दबदबा देखने को मिला है। मौजूदा लोकसभा चुनाव में दादरी जिले की दोनों सीटों पर कांग्रेस का डंका बजाया गया वहीं बाढड़ा में रिकार्ड मत लेकर चार माह बाद होने चुनाव में जीत के लिए एक तरह से नींव रखने का काम किया है।

बाढड़ा का मौजूदा समय में जजपा विधायक नैना चौटाला के लोकसभा चुनाव में व्यस्त होने के कारण वह दो माह से विस क्षेत्र से दूर है लेकिन जजपा अध्यक्ष डा. अजय चौटाला व उनके पुत्र पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला ने पिछले दिनों पूर्व ही कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर उनको मजबूती से चुनाव लडऩे का संकेत दे दिया है। उनकी ही पूर्व पार्टी इनेलो से पूर्व प्रत्याशी विजय पंचगावां, पूर्व विधायक रणबीर सिंह मंदौला, सत्यवान शास्त्री भी पार्टी को मजबूत बनाने में जुटे हैं। भिवानी दादरी जिलों में टिकट वितरण में प्रभाव डालने वाली पूर्व सीएम बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी के भाजपा में शािमल होने से कांग्रेस के हुड्डा ग्रूप को अबकी बार चहेतों व संगठन में लंबे समय से जुड़ाव रखने वाले पदाधिकारियों को मैदान में जाने का मौका मिला सकता है। पिछले तीन बार के विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद मौजूदा लोकसभा चुनाव में भारी मतों के अंतर ने कांग्रेस पदाधिकारियों में नई संजीवनी डाल दी है।

इन चेहरों की टिकट वितरण में होगी अग्रिपरीक्षा

पिछले तीन बार के प्रत्याशी रणबीर सिंह महेन्द्रा के वयोवृद्ध होने के कारण लोकसभा चुनाव में उनके पुत्र अनिरुद्ध चौधरी को कांग्रेस हाईकमान ने पूरी जिम्मेवारी दी हुई थी लेकिन उनके तोशाम से चुनाव लडऩा पहली पसंद होने के कारण अब बाढड़ा विधानसभा सीट से उनके अलावा मौजूदा समय में दक्षिणी हरियाणा की 1977 में स्लैब प्रणाली के जन्मदाता रहे रणसिंह मान, पूर्व विधायक कर्नल रघबीर सिंह छिल्लर भूतपूर्व सैनिकों के साथ जुड़ाव व नृपेन्द्र मांढी की भी टिकट के लिए हुड्डा दरबार में लगातार सक्रियता बढी है। जिला कांग्रेस प्रभारी के सामने डेढ दर्जन लोगों ने चुनाव लडऩे की दावेदारी तो पेश कर दी लेकिन उनमें से मात्र चार के पास ही कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता है। इसके अलावा कांग्रेस के प्रदेश संगठन सचिव रहे जगतसिंह बाढड़ा को श्योराण क्षेत्र के सबसे बड़े गांव से सरपंच जिला पार्षद, बैंक चेयरमैन, बैंक निदेशक जैसे पदों से आमजन से जुड़ाव रखने के कारण टिकट की दौड़ में मजबूत समझा जा रहा है।

इसके अलावा समाजसेवा में जुटे क्रेशर यूनियन संयोजक सोमबीर घसौला ने कांग्रेस पार्टी का हाथ थाम कर सारे समीकरणों को बिगाड़ दिया है क्योंकि वे कांग्रेस हाईकमान के संपर्क में होने के साथ-साथ एक बाढड़ा हलके से मजबूत चेहरा भी माना जा रहा हैं। इनके अलावा पूर्व किसान नेता राजू मान, कस्टम अधिकारी सत्यप्रकाश सांगवान भी दौड़ में बताए जा रहे हैं।भाजपा में पेयजल, शिक्षा व किसानों के मुआवजे दिलवाने में जुटे रहे किसान मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र मांढी के पास बड़ा वोटबैंक होने के कारण पार्टी उनकी उपेक्षा नहीं कर सकती लेकिन पिछले विधानसभा में भाजपा को तीसरे पायदान पर रहने व लोकसभा में नौ सीटों पर पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में वोटों की सबसे बुरी दुर्गती होने से पार्टी किसी नए चेहरे को अवसर देने में भी सर्वे करवा सकती है।

सीएम मनोहर लाल की अगुवाई में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतर चुके उमेद पातुवास जो अब सांसद धर्मबीर सिंह के खेमे में है उनके समर्थक भी अबकी बार किसी बड़े नेता के इशारे पर चुनाव लडऩे के लिए पसीना बहा रहे हैं वहीं जिला प्रमुख मंदीप डालावास को भी पार्टी संगठन मैदान में लाने का विचार कर सकता है।  दादरी के चुनावी रण में विकास कार्यो में अग्रणी रहने वाले अनुभवी चेहरे पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान, बबीता फौगाट, पूर्व जिलाध्यक्ष एडवोकेट रामकिशन शर्मा, सुनील शर्मा डुडीवाला समेत आधा दर्जन नेता कमल के निशान से चुनाव में उतरने को बेताब है वहीं कांग्रेस पार्टी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान, पूर्व विधायक मेजर नृपेन्द्र सिंह, युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अनिल धनखड़, मनीषा सांगवान, सुरेन्द्र परमार समेत अनेक चेहरे पार्टी में अपना भविष्य खोज रहे हैं।

परिवर्तन की पहचान बना बाढड़ा का क्रांतिकारी चौक

दादरी जिले की बाढड़ा सीट आजादी के बाद से ही परिवर्तन की पहचान मानी जाती है और यहां से लगातार दूसरी बार कोई प्रत्याशी नहीं जीत पाया है। वर्ष 1999 में इनेलो प्रत्याशी रणबीर सिंह मंदौला, वर्ष 2004 में कांग्रेस प्रत्याशी धर्मबीर सिंह, वर्ष 2009 में इनेलो प्रत्याशी कर्नल रघबीर छिल्लर, 2014 में भाजपा प्रत्याशी सुखविंद्र मांढी व 2019 में जजपा प्रत्याशी नैना चौटाला विजयी रही हैं। मौजूदा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भाजपा प्रत्याशी से 27 हजार से अधिक मत पाने के कारण कई नए चेहरे भी टिकट की लाईन में लगे नजर आ रहे हैं।