(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। भाजपा टिकट वितरण में उपेक्षा से आहत होकर किसान मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष व पार्टी की सदस्यता से त्यागपत्र देने व उनके समर्थकों द्वारा भाजपा के पूतला फूंकने के बाद अब पूर्व विधायक सुखविंद्र मांढी ने आज 10 सितंबर को सायं के समय अपने फार्महाऊस पर विधानसभा क्षेत्र के समर्थकों की बैठक बुलाई है जिससे भाजपा की नींद उड़ गई है। इस बैठक में वह कार्यकर्ताओं से सलाह मशवरा कर निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे या किसी दल या प्रत्याशी का खुला समर्थन करेंगे इस पर सबकी नजरें लगी हुई हैं।
भाजपा की टिकट पर वर्ष 2014 में अपने जीवन के पहले चुनाव में ही पूर्व सीएम स्व. बंसीलाल के बड़े पुत्र रणबीर सिंह महेन्द्रा व इनेलो के तात्कालीन विधायक कर्नल रघबीर सिंह छिल्लर को हराकर प्रदेश की विधानसभा में सबसे छोटी आयु के प्रतिनिधि के तौर पर जीत हासिल करने वाले सुखविंद्र मांढी को वर्ष 2019 में दूसरे चरण में जीत नसीब नहीं हुई लेकिन भाजपा सरकार व संगठन में उनका पूरा हस्तक्षेप देखने को मिला। भाजपा ने उनको किसान मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष की बड़ी जिम्मेवारी भी दी लेकिन पिछले सप्ताह जारी हुई विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा टिकटार्थियों की सूचि में उनकी जगह उमेद पातुवास को मैदान में आने के बाद उनका धेर्य जवाब दे गया और उन्होंने आनन फानन में अपने पद व भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देकर दिल्ली में डेरा डाल लिया है।
इसके अगले ही दिन उनके समर्थकों ने रोषस्वरुप उनके समर्थकों द्वारा भाजपा के पूतला फूंकने के बाद के बाद अब चुनावी माहौल में नया कदम उठाने का संकेत दे दिया है। पूर्व विधायक सुखविंद्र मांढी ने आज 10 सितंबर को अपने फार्महाऊस पर विधानसभा क्षेत्र के समर्थकों की बैठक बुलाई है जिससे भाजपा की नींद उड़ गई है। इस बैठक में वह अपने अनुभवी व लंबे समय से जुड़ाव रखने वाले धरातली कार्यकर्ताओं से सलाह मशवरा कर निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे या किसी दल या प्रत्याशी का खुला समर्थन करेंगे इस पर सभी राजनैतिक दलों की नजरें टिकी हुई हैं। पूर्व विधायक सुखविंद्र मांढी का परिवार 1952 से लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता रहा है। इनके दादा तीन बार विधायक रहने के अलावा उनके चाचा नृपेन्द्र सिंह मांढी अब तक के रिकार्ड मतों से जीत अपने नाम से कर चुके हैं वहीं और इनका मजबूत वोटबैंक माना जाता है लेकिन मौजूदा चुनावी दौर में भाजपा ने पूर्व विधायक सुखविंद्र मांढी व कांग्रेस द्वारा इस घर की उपेक्षा कर एक भी चेहरे को टिकट न देने से कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल है।