- डीएपी की 30 हजार बैगों की किल्लत के बावजूद गेहूं की नब्बे फिसदी बिजाई हुई
(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। उपमंडल क्षेत्र में रबी सीजन की लगभग 90 प्रतिशत बिजाई कार्य पूरा हो गया है वहीं अब किसान का सरसों व गेहूं की फसलों की प्रथम सिंचाई कार्य शुरु हो गया है। दादरी जिले में रबी सीजन के पिछले सीजन के मुकाबले किसानों को डीएपी के लगभग 30 हजार बैगों की कम आपूर्ति के बावजूद मजबूर किसानों को अपनी सरसों, गेहूं, चने की बिजाई लगभग पछेते दौर में ही करनी पड़ी। रबी सीजन में अब तक सरसों 1 लाख 50 हजार व गेहूं 91250 एकड़ में बिजाई पूरी की गई है।
प्रदेश के दक्षिणी हरियाणा के रेतील क्षेत्र में रबी सीजन में गेहूं के मुकाबले सरसों को ज्यादा प्राथमिकता से बिजाई की जाती है क्योंकी वह कम सिंचाई व लागत से उच्च उत्पादन देती रही है लेकिन पहली बार अबकी सीजन में सरसों का बड़ा दायरा सिकुड़ गया है वहीं किसानों ने गेहूं पर अधिक भरोसा जताया है। कई किसान इसके लिए सरसों के यौवन के दौर में पौद्यों की जड़ों पर मरगोजे व टहनी में सफेदे का रोग लगने से उत्पादन में कमी मान रहे है वहीं कई जागरुक किसान रबी सीजन में सरसों की बिजाई के समय अचानक पैदा हुए डीएपी संकट को दोषी ठहरा रहे हैं।
कृषि विभाग के मौजूदा आंकलन पर नजर डाली जाए तो वर्ष 2023-2024 के रबी सीजन में सरसों का 1 लाख 88 हजार एकड़, गेहूं का 82 हजार एकड़ व हरे चारे के लिए 4150 एकड़ बिजाई की गई थी वहीं मौजूदा रबी सीजन में अब तक सरसों 1 लाख 50 हजार व गेहूं 91250 एकड़, पशुचारे के रुप में 12750 एकड़ में बिजाई पूरी की गई है। कृषि बाहुल्य दादरी जिले में वर्ष 2024 में 1 लाख 91 हजार बैग यानि यानि 9565 मिट्रिक टन की आपूर्ति की गई थी वहीं मौजूदा सीजन वर्ष 2024 में 1 लाख 61 हजार 372 बैग यानि 8068 मिट्रिक टन की ही आपूर्ति हो पाई है और अकेले जिले की सहकारी समितियों को 30 हजार कम बैगों पर ही संतोष करना पड़ा है।
कृषि भूमि के लिए एक सकारात्मक पहल है
किसान संगठन क्षेत्र की भूमि की ऊर्वरा शक्ति को देखते हुए व गेहूं सरसों पर रेतीले क्षेत्र में मार्च माह की गर्मी के समय को देखते हुए डीएपी की बिजाई को जरुरी मान कर ज्यादा से ज्यादा डीएपी की आपूर्ति की अपील करते रहे लेकिन सरकार समय पर आपूर्ति करने में विफल रही। जिला कृषि विषय विशेषज्ञ डा. चंद्रभान श्योराण ने बताया कि पिछले वर्ष के मुकाबले भले ही कृषि डीएपी की कम आपूर्ति हुई हो लेकिन किसानों ने जागरुकता से जैविक खाद व एनपीके का बहुत प्रयोग किया है। यह कृषि भूमि के लिए एक सकारात्मक पहल है। अबकी बार सरसों के मुकाबले गेहूं का रकबा बढऩा किसानों की पसंद का फैसला है।
कभी लंबी लाईनें, कभी थाने में धरना तो कभी इंतजार में ही गुजर गए दो माह
उपमंडल क्षेत्र में अक्टूबर का प्रथम सप्ताह से ही सरसों की बिजाई जल्दी शुरु हो जाती है क्योंकी बाजरा कटाई के बाद भूमि की सिंचाई होने से किसानों में सर्दी के ज्यादा आगमन से पहले ही अपनी फसल को बोने की होड़ मच जाती है लेकिन नवंबर माह का पूरा सप्ताह गुजरने के बाद तक गेहूं तो दूर सरसों की बिजाई पूरी नहीं हो पाई है। अक्टूबर में सरसों व नवंबर में गेहूं की समय बोई गई फसल अप्रैल माह की तेज गर्मी से पहले पकने की उम्मीदें बंध जाती हैं वहीं देरी से बोई गई फसलों पर अंतिम समय में गर्मी की मार ज्यादा सहनी पड़ती है।
पिछले खरीफ सीजन में पहले सूखे की चपेट व फिर उम्मीद से अधिक वर्षा होने से ग्वार, बाजरा व कपास की फसलों के उत्पादन में साठ फिसदी गिरावट हुई है। अब किसानों में रबी सीजन कृषि की सरसों व गेहूं की फसलों की उम्मीद टिकी है क्योंकी पहली बार डीएपी की इतने बड़े स्तर पर किल्लत हुई है। प्रदेश सरकार सितंबर, अक्टूबर व नवंबर माह के अंतिम सप्ताह तक ही जिले में लगभग 1 लाख 60 हजार बैगों की आपूर्ति के बाद से ही चुप्पी साधे हुए है। अक्टूबर के चौथे सप्ताह व अब नवंबर तक प्रथम सप्ताह तक पर्याप्त मात्रा में डीएपी आने का आश्वासन देती रही जिससे किसानों की सरसों की बिजाई भी देरी हो गई लेकिन यह आश्वासन दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक केवल झूठा का पुलिंदा साबित हुआ है।
भाकियू अध्यक्ष हरपाल सिंह भांडवा ने बताया कि सरसों की बिजाई के समय उपमंडल में मात्र बीस हजार बैग आने से खाद से वंचित रहे कई किसानों ने मजबूरीवश हिसार, भिवानी व दादरी से महंगे भावों पर डीएपी मंगवाई वहीं कई को लंबी लाईनों, पुलिस स्टेशनों में धरना प्रदर्शन करने व इंतजार के बाद बिना खाद ही सरसों की बिजाई करनी पड़ी। सरसों की बिजाई से समस्या से निपटे ही नहीं थे कि फिर गेहूं के लिए डीएपी की फिर जरुरत आने पर और किसानों ने बिना हार उतारे फिर से डीएपी के लिए दूसरे शहरों में जाकर दो दो बैग लाने को मजबूर होना पड़ा है।
दूसरे जिलों से मंगवा कर आपूर्ति करवाई
भाजपा विधायक उमेद पातुवास ने कहा कि रबी सीजन की बिजाई के दौरान समस्त उत्तरी भारत में ही डीएपी संकट बना हुआ था लेकिन सरकार दक्षिणी हरियाणा में अतिरिक्त आपूर्ति करती रही है। किसानों ने धैर्य बरती है जिससे उनकी लगभग डीएपी की डिमांड पूरी की है वहीं आगामी समय में यूरिया खाद उपलब्ध रहेगी। प्रदेश सरकार किसान के हितों के लिए पूरी तरह सजग है।