• मार्च माह में हाईकोर्ट ने रोका था डायरेक्टर सहित तीन अधिकारियों का वेतन
  • काकड़ौली हठ्ी में चकबंदी की स्कीम को मिली सहमति, आगामी एक माह में सार्वजनिक रास्ते होंगे चयनित

(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। गांव काकड़ौली हठ्ी में पिछले बीस वर्षो से न्यायलयों में चक्कर लगा रही चकबंदी कार्य को पूरा करने के लिए प्रशासन ने पूरी कमर कस ली है और आज चकबंदी, राजस्व विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में ग्रामीणों के समक्ष चकबंदी की नई स्कीम प्रकाशित कर उसको मंजूरी दी गई। दोनों पक्षों ने आपसी भाईचारे से चकबंदी कार्य पूरा करवाने का संकल्प लिया गया तथा चकबंदी विभाग ने मई माह में गांव के सभी सार्वजनिक व एक गांव से दूसरे गांव को जोडऩे वाले रास्तों के लिए भूमि चयनित करने का फैसला लिया।

चकबंदी विभाग द्वारा नए नियम शर्तो के साथ ग्रामीणों से सलाह मशवरा से तैयार की गई स्कीम का प्रकाशन किया गया

गांव काकड़ौली हठ्ी के राजकीय स्कूल में सरपंच इंदराज की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में डीआरओ राजकुमार भौरिया, तहसीलदार सज्जन कुमार यादव, चकबंदी तहसीलदार दर्पण कंबोज सहित राजस्व, चकबंदी व पंचायत विभाग के अधिकारियों ने गांव में नई स्कीम से चकबंदी कार्य संचालित करने का फैसला लिया। चकबंदी विभाग के एसीओ बलवान सिंह ने काकड़ौली हठ्ी की कुल 1900 एकड़ में सार्वजनिक रास्तों से लेकर एक गांव से दूसरे गांवों को जोडऩे के लिए चार, पांच व छह करम के आकार के रास्तों की जानकारी सांझा की। इस दौरान गांव के मध्य के सीमित रास्ते की बजाए गांव के चारों तरफ रिंग रोड़ के रुप में फिरनी तैयार करने पर सहमति बनी। चकबंदी विभाग द्वारा नए नियम शर्तो के साथ ग्रामीणों से सलाह मशवरा से तैयार की गई स्कीम का प्रकाशन किया गया जिसका भूमालिकों द्वारा अवलोकन कर हस्ताक्षरयुक्त सहमति दी गई।

डीआरओ राजकुमार कंबोज व चकबंदी अधिकारी दर्पण कंबोज ने बताया कि गांव की चकबंदी आजादी के बाद तीन बार रद्द हो गई है जिससे गांव का विकास रुका हुआ है। हाईकोर्ट के आदेश पर अब सभी अधिकारी व ग्रामीण एकजुटता से चकबंदी कार्य को पूरा करने में जुट जाए ताकि जल्दी से जल्दी कार्य को पूरा किया जा सके। नई स्कीम में सभी विकास योजनाएं, सार्वजनिक रास्तों के लिए निर्धारित नियमों के तहत भूमालिकों की कृषि भूमि कटौती की गई है। गांव के आम रास्तों को मई माह में चयनित कर दिया जाएगा और दूसरे चरण में कृषि भूमि की पैमाईश कर मौके पर ही भूमालिक को कब्जा दिया जाएगा। आम सभा में मौजूद सभी ग्रामीणों ने चकबंदी विभाग को तन मन धन से मदद करने का भरोसा दिया। उनके अलावा पूर्व सरपंच मांगेराम, मनफूल सिंह आर्य, मा. सतपाल सिंह, ईश्वर सिंह पिलानिया, तकदीर श्योराण, सत्यपाल आर्य, कपूर सिंह, देवीलाल नंबरदार, जयबीर काकड़ौली, शमशेर सिंह पिलानिया, धर्मेन्द्र सिंह, सूबेदार अतरसिंह, सुर्यप्रकाश, रामफल सिंह, सूबेसिंह, राममेहर इत्यादि मौजूद रहे।

चकबंदी वाले गांव मे विकास के द्वार खुलेंगे

चकबंदी के लिए आयोजित आमसभा में पहुंचे राजस्व विभाग के तहसीलदार सज्जन कुमार यादव व एसीओ बलवान सिंह ने कहा कि चकबंदी का होना गांव के विकास के लिए जरुरी है। मौजूदा समय में जिन गांवों में चकबंदी नहीं है वहां पर सार्वजिक रास्तों से लेकर सरकारी विभागों के भवनों की समस्या बनी हुई है वहीं कई गांवों में तो स्कूल कालेज, शमशान घाट या आंगनवाड़ी भवन से लेकर पशु अस्पताल के लिए बजट आने के बावजूद जगह की कमी के कारण राशी वापस भेजनी पड़ जाती है। आपके गांव के लोगों के लिए चकबंदी बहुत जरुरी है क्योंकी भूमि आनलाईन प्रक्रिया में आएगी तो सरकार की कई योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा। उनके आह्वान पर ग्रामीणों ने जल्दी से जल्दी पारदर्शी तरीके से चकबंदी करवाने का फैसला लिया।

हाईकोर्ट विभाग के डायरेक्टर सहित तीन के खिलाफ ले चुका है सख्त फैसला

गांव काकडोली हठी मे चकबंदी विभाग ने वर्ष 2003 मे चकबंदी कार्य आरंभ किया था जो बहुत ही धीमी गति से होने पर काकडोली हठी के तात्कालिन सरपंच मनफूल सिंह आर्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गांव में चकबंदी न होने का मामला उठाया और इससे कृषि क्षेत्र, आवागमन के रास्ते न होने व सरकारी विकास योजनाएं बाधित होने पर तुरंत इस काम को पूरा करने की मांग की। हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 मे चकबंदी विभाग के डायरेक्टर को तलब कर जवाब मांगा तो उन्होंने एक साल में बचा हुआ रिकार्ड तैयार कर मौका निशानदेही करवाने का समय मांगा लेकिन निर्धारित समय में वह अपने कार्य को पूरा करने में नाकाम रहे।

इस पर ग्रामीणों ने दोबारा याचिका दायर की तो चकबंदी विभाग ने आनन फानन में बचा हुआ रिकार्ड तैयार कर भूमालिकों की कब्जा कार्रवाही शुरू कर दी जिसमें आवागमन के रास्ते मात्र दो करम होने, कृषि भूमि निशानदेही पर अनिमियता बरतने पर कुछ लोग विरोध में उतर गए। उन लोगों ने जिला प्रशासन को शिकायत दर्ज कराई कि मौजूदा रिकार्ड के आधार पर चकबंदी स्वीकार्य नहीं है और उन्होंने कब्जा देने आई टीम को बैरंग लौटा दिया। इसके बाद ग्रामीणों ने पहले उपायुक्त व फिर रोहतक मंडल आयुक्त पंकज यादव के न्यायालय ने सुनवाई की जिसमें मौजूदा चकबंदी रिकॉर्ड को रद्द घोषित कर नए सिरे से करने का आदेश जारी किया।

इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा और हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की लंबी सुनवाई के बाद 9 जनवरी 2023 को आखिरकार सयुंक्त खंडपीठ ने चकबंदी के मौजूदा रिकार्ड को रद्द करने का आदेश देते हुए आगामी छह माह में विभाग को गांव में बैठकर सारा काम पूरा करने का आदेश दिया था लेकिन एक साल गुजरने के बाद भी चकबंदी विभाग व हरसेक विभाग के मध्य ही उलझ कर रह गई है। चकबंदी विभाग ने दोबारा अपील कर उनकी छह माह वाली समयसीमा बढाकर तीन साल का समय देने की गुहार लगाई लेकिन अधिवक्ता अजय बिजारणियां व ग्राम पंचायत के अधिवक्ता विजय शर्मा ने विभाग पर जानबूझ कर देरी बरतने का आरोप लगाया। इसके बाद हाईकोर्ट ने अधिकारियों को कड़ी लताड़ लगाते हुए विभाग को तीन साल का समय देने की बजाए 10 अगस्त 2024 तक काम पूरा करने का निर्देश दिया है।

विभाग तीसरी बार भी कोई रिकार्ड तैयार नहीं कर पाया और फिर से एक साल का समय मांगा। ग्रामीणों के वकील ने न्यायलय को अवगत करवाया कि चकबंदी विभाग अभी तक कब्जा देना तो दूर एक साल में रिकार्ड तक तैयार नहीं कर पाया है। इसके बाद गांव में बैठकर स्कीम तैयार करने व अन्य कार्य तो शुरु होने पर संदेह बना हुआ है जिससे ग्रामीणों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायधीश हरकेश मनुजा ने कहा कि वर्ष 2023 से मार्च 2025 तक चकबंदी विभाग केवल एक स्कीम का प्रकाशन कर जल्दी करने का दावा कर रहा है जो उनकी कार्यशैली के खिलाफ कठोर फैसला लेने के लिए विवश कर रहा है इसीलिए आगामी आदेश तक चकबंदी विभाग के डायरेक्टर, एसीओ व कानूनगो की आगामी आदेश तक आधा वेतन कुर्क करने का आदेश दिया हुआ है।

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