Charkhi Dadri News : जाट बाहुल्य बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र में 57 साल में कांग्रेस को मात्र दो बार, देवीलाल व बंसीलाल समर्थकों के नाम रही 90 फिसदी जीत

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In Jat dominated Badhra assembly constituency, Congress won only twice in 57 years, 90 percent victory was in the name of Devi Lal and Bansilal supporters.
मुख्य क्रांतिकारी चौक।

(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। प्रदेश के अंतिम छोर पर बसे बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र की जनता को परिवर्तन का सूचक माना जाता है। प्रदेश के गठन के बाद 1967 से वर्ष 2024 तक के राजनैतिक इतिहास पर नजर डाली जाए तो यहां की भूमि कांग्रेस के लिए बंजर ही साबित हुई है और यहां पर देवीलाल, बंसीलाल समर्थकों को ही ज्यादा जीत मिली है। इस सीट पर पेराशूट प्रत्याशी ज्यादा भाग्यशाली रहा है वहीं कोई भी विधायक दूसरी बार जीत दर्ज नहीं कर पाया है। भले ही मौजूदा समय में यहां पर जजपा प्रत्याशी नैना चौटाला विधायक है लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में 28 हजार मत ज्यादा होने से कांग्रेस की टिकट के लिए लगभग सत्तर चेहरों की कतार लगी हुई है।
कृषि व सैनिक बाहुल्य बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र की जनता यहां की रेतीली मिट्टी की तरह भावनात्मक तौर पर बहुत कमजोर है।

प्रदेश के गठन के बाद से अब तक यहां पर बिजली संचालित ट्यूबवैल सिंचाई व पिछले कुछ समय से नहरी पानी ने किसान को गरीबी की दलदल से बाहर कर समृद्धि के रास्ते पर बढाने का काम किया है। किसान के बेटे कृषि के अलावा सेना में ज्यादा भर्ती हैं वहीं यहां के मतदाता मुखरता व क्रांतिकारी विचारधारा के कारण कई सरकारों से सीधा टकराव ले चुके हैं। पिछले 57 साल के इतिहास पर नजर डालें तो यहां का मतदाता कांग्रेस के खिलाफ व देवीलाल, बंसीलाल समर्थित क्षेत्रीय दलों के पक्ष में ज्यादा मतदान करता रहा है। यहां पर कई बार पेराशुट प्रत्याशी भी कामयाब रहा है।

1967 में झोझूकलां निवासी मेजर मीरसिंह निर्दलीय तौर पर प्रथम विधायक चुने गए तो 1968 में वह विशाल हरियााणा पार्टी से चुने गए लेकिन उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनकी धर्मपत्नि लज्जारानी फिर भारी बहुमत से चुनी गई हैं। इस सीट पर सबसे अधिक पूर्वमंत्री अतर सिंह मांढी, रणसिंह मान व चंद्रावती का आमने सामने मुकाबला होता रहा है लेकिन पहली बार तीनों का परिवार अब कांग्रेस में शामिल होकर टिकट की लाईन में है। वर्ष 1967 से लेकर 2019 तक की बात करें तो बाढड़ा हलके से 13-13 विधायक चुने गए हैं। ज्यादातर पुरुष ही विधानसभा में पहुंचे हैं। भले ही अन्य क्षेत्रों में किसी महिला को विधानसभा में जाने का अवसर तक नहीं मिला है लेकिन बाढड़ा हलके से वर्ष 1972, 1982 और 2019 में महिला विधायक चुनी गई हैं।

एक दूसरे के खिलाफ लडऩे वाले सभी एक ही दल में, सूचि पर टिकी नजरें

विधानसभा क्षेत्र के मतदाओं ने कांग्रेस पर बहुत कम भरोसा जताया है लेकिन अबकी बार लोकसभा चुनाव में मतों के बड़े अंतर के बाद कांग्रेस की टिकट के लिए लंबी लाईन लग चुकी है। 60 आवेदक तो कांग्रेस कार्यालय में आवेदन जमा करवा चुके हैं वहीं दो दर्जन नेता पिछले एक सप्ताह से दिल्ली डेरा डाले हुए हैं। इस बार पूर्व सीपीएस रणसिंह व उनके पुत्र राजू मान, पूर्व विधायक नृपेन्द्र सिंह मांढी, पूर्व विधायक कर्नल रघबीर छिल्लर, कांग्रेस वरिष्ठ नेता जगतसिंह बाढड़ा, हरियाणा स्टोन क्रेशर एसोसिएशन अध्यक्ष सोमबीर घसौला, शिक्षाविद्व समाजसेवी नीरज चौधरी, पूर्व सरपंच सुरेश धनासरी, महादेव बलाली इत्यादि टिकट की दौड़ में है। भाजपा में किसान मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र मांढी, समाजसेवी उमेद पातुवास व जिला परिषद चेयरमैन मंदीप डालावास, जजपा से पूर्व जिलाध्यक्ष नरेश द्वारका तथा इनेलो से जिलाध्यक्ष विजय पंचगावां व जिला पार्षद सुभाष लाडावास दावा जता रहे हैं।

बिजली पानी, रोजगार का मुद्दा आज भी हावि

विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण परिवेश से जुड़ा है और क्षेत्र में कोई बड़ा उद्योग धंधा नहीं होने से लोगों की आजीविका केवल कृषि पर ही निर्भर है। भाजपा सरकार में नहरी पानी में वृद्धि के लिए करोड़ की राशी से टेल तक पानी पहुंचाने व बिजली घरों की क्षमता बढाने के बावजूद आज भी कृषि क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाग्रस्त फसलों का बकाया मुआवजा किसानों व सरकार के गले की फांस बना हुआ है। सरकार की कई योजनाओं से किसानों व युवाओं को लाभ नहीं मिलने से बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या बन गई है। क्षेत्र में कोई कृषि, दुग्ध या कोई बड़ा उत्पादन कारखाना संचालित हो जाए तो युवाओं को रोजगार का रास्ता नसीब हो जाए। वर्ष 2000 के बाद लगभग सभी दलों की सरकारें आई और चली गई लेकिन दक्षिणी हरियाणा में गिरते भूमिगत जलस्तर को ऊंचा उठाने के लिए भूमिगत वाटर रिचार्ज योजना फाईलों में दबकर रह गई है। क्षेत्र के किसान संगठनों द्वारा बार बार सरकार से लंबित मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन चलता रहा है।