- देश की जीडीपी में हिंदु मंदिर अर्थव्यवस्था का योगदान 2.32 प्रतिशत: अनिल कौशिक
(Charkhi Dadri News) चरखी दादरी। पिछले लंबे समय से धार्मिक उन्माद विडंबना और बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की सारी सीमाओं के चरम पर है। देश हिंदु बाहुल्य होने के बावजूद भी विपक्षियों के दरवाजे पर इमाम, मौलवी, पादरी वेतन की मांग हेतु व लाभ पाने के लिए कतारों में हैं। वही दूसरी तरफ नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के आंकड़े कहते हैं कि देश की जीडीपी में मंदिरों का योगदान ही 2.32 प्रतिशत है।
देश में लगभग कुल 18 लाख मंदिर है, जिनमें से देश भर में हिंदुओं के 33 हजार विशेष मंदिर हैं
यह तर्क सहित टिप्पणी हिंदुस्तान जनकल्याण आर्गेनाईजेशन के चेयरमैन अनिल कौशिक हालुवासिया ने प्रैस को जारी की विज्ञप्ति में की। उन्होंने कहा कि देश में लगभग कुल 18 लाख मंदिर है, जिनमें से देश भर में हिंदुओं के 33 हजार विशेष मंदिर हैं। इसके साथ ही हिंदुओं की आस्था के प्रतीक 52 शक्तिपीठ और 12 ज्योतिर्लिंग हैं।अनिल कौशिक हालुवासिया ने कहा कि नेशनल सैंपल सर्वे कार्यालय से प्राप्त आकड़ों के मुताबिक देश में धार्मिक यात्रा पर हिंदू हर वर्ष 4.74 लाख करोड़ रुपए खर्च करते है और पूरे देश में हिंदू धार्मिक यात्राओं से 8 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है।
कौशिक ने कहा कि इसमें भी अमरनाथ और वैष्णो देवी से कमाने वाले 90 प्रतिशत लोग तकरीबन मुस्लमान है। सोमनाथ मंदिर से भी 60 प्रतिशत कमाई करने वाले मुस्लमान है।हालुवासिया ने कहा कि कुछ लोग हिंदू धर्म को नीचा दिखाने के लिए बार बार ये तर्क देते हैं कि आखिर मंदिर बनाने से क्या होगा तो वो ये जान लें कि फूल, तेल, दीपक, इत्र, चूडिय़ां, सिंदूर, पूजापाठ सामग्री और चित्र बेचकर करोड़ों लोग अपना जीवन चला रहे है। अगर आप अपने आसपास भी गौर करें तो पाएंगे कि एक छोटा मंदिर कम से कम 25 लोगों को रोजगार दे रहा है और देश के हिंदु धार्मिक स्थलों पर ज्यादातर मुश्किल धर्म के लोग अपना व्यवसाय चला रहे हैं और करौडो़ रुपये कमाते आ रहे।
मंदिरों और हिंदुओं के टैक्स से मौलवियों, पादरियों का पेट भर रहा है।
काशी विश्वनाथ में व्हीलचेयर वाले भी हर दिन हजार रुपए कमाते है। देश के तमाम मंदिरों में चंदन लगाने वाले लगभग हर दिन 700 से एक रुपए कमाते है। देश में 3.5 लाख मस्जिदें हैं लेकिन इनसे कोई रोजगार पैदा नहीं होता है, बल्कि कई राज्यों में मौलवियों को सरकारी खजाने से वेतन मिलता है जिससे सरकारी खजाने पर ही बोझ बढ़ता है। मंदिरों और हिंदुओं के टैक्स से मौलवियों, पादरियों का पेट भर रहा है। कावड़ यात्रा में ज्यादातर धन मुस्लिम ही कमाते हैं।
उन्होंने कहा कि राजनीति लाभ के लिए अधिकतर विपक्षी व मुस्लिम लोग हिंदू धर्म के प्रति भगवा आतंकवाद, व हिंदुओं के खिलाफ षड्यंत्र रचते रहते हैं। हिंदुस्तान जनकल्याण आर्गेनाईजेशन के चेयरमैन अनिल कौशिक हालुवासिया ने कहा कि वह भी अपने धार्मिक स्थलों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के लिए भारत सरकार से मांग करते है या फिर देश की मस्जिदें, मदरसे, गिरजाघरों पर भी सरकारी नियंत्रण हो।
हालुवासिया ने कहा कि सनातन धर्म के पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता को सविंधान की धारा -30 की आड़ में हिंदु बच्चों के शिक्षण संस्थानों के पाठयक्रम से दुर रखा गया है। उन्होंने कहा कि अगर हिंदु अपनी वैदिक शिक्षा व गुरुकुल चलाते पाए जाते है तो उन्हें दंडित किया जाता है। वहीं उसके विपरीत मुस्लिम व क्रिश्चियन अपने धार्मिक मदरसे व कोनवेंट स्कूल चला रहे हैं। हालुवासिया ने कहा कि वह भारत सरकार से भगवत गीता को स्कूलों के पाठयक्रम में शामिल करने के लिए आह्वान करते है, ताकि हमारी आने वाली जनरेशन अपने धार्मिक संकृति को जानकारी ले सकें।
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