Charkhi Dadri News : शंकर कालोनी में कलश यात्रा के साथ किया गणेश महोत्सव का आगाज

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Ganesh Mahotsav started with Kalash Yatra in Shankar Colony
कलश यात्रा निकालती महिलाएं।

(Charkhi Dadri News) चरखी दादरी। स्थानीय शंकर कालोनी में गणेश महोत्सव का आयोजन विधिवत पूजा अर्चना व कलश यात्रा के साथ किया गया। स्थानीय कालेज रोड स्थित श्रीराम मंदिर परिसर से कलश यात्रा आरंभ हुई। सैकडों की संख्या में महिला श्रद्धालुओं द्वारा अपने सिरों पर कलश धारण किया गया। इसके उपरांत नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुए यह यात्रा गुजरी। इस दोरान मांगलिक गीतों, भजनों के माध्यम से गणपति महाराज के आगमन की खुशी सभी ने व्यक्त की। श्रद्धालुओं द्वारा इस यात्रा का जगह जगह पर फूलो ंकी वर्षा के साथ स्वागत किया गया। अंत में नगर के शंकर कॉलोनी कलश यात्रा पहुंची। यह आगामी 15 सिंतबर तक श्रीमदभागवत कथा का आयोजन किया जाएगा। इसे कथा वाचक करिश्मा भट्ट द्वारा सभी को सुनाया जाएगा। प्रथम दिन आंनद शास्त्री ने समस्त विधि विधान से पूजा अर्चना को संपन्न करवाया।

प्रथम दिन कथा वाचक करिश्मा भट्ट ने कहा कि जीवन की हर परिस्थति दुख, सुख को एक समान मान अपने कर्तव्यों का पूर्ण समर्पण से निर्वहन करना ही सच्ची प्रभु भक्ति है। जीवन में हर स्थिति में तटस्थ रहकर ही मानव अपने जीवन की संपूर्णता व प्रभु को पा सकता है। भारतीय संस्कृति व परंपराओं का सारा सार श्रीमद भागवत में समाया हुआ है। यह वह ज्ञान गंगा है जिसमें डुबकी लगाने वाला मानव जीवन महासमर से मुक्त हो जाता है। श्री कृष्ण का जीवन समर्पण, मानवता के प्रति प्रेम, त्याग, तपस्या का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। उनके नाम की महिमा अपार समुद्र के समान है। सच्चे मन से श्री कृष्ण नाम का जाप करने से तीनों प्रकार के ताप राग, द्वेष व मोह सदा के लिए मिट जाते है। करिश्मा भट्ट ने कहा कि कर्माे के आधार पर व्यक्ति के वर्तमान व भविष्य का निर्धारण होता है। संचित कर्माे व प्रारब्ध के अनुसार जीव को सुख, दुख भोगने पड़ते है। उन्होने कहा कि संसार में कुछ भी अकारण नही है। स्वंय भगवान भी कर्म विधान, सृष्टि के नियमों की पालना करने के लिए त्रेतायुग में श्रीराम के रूप में अवतार लेते है।

ऋषियों के आग्रह, नारद के श्राप के कारण उन्हे वन-वन भटकना पडता है। सृष्टि के रचयिता परमात्मा किसी को दुख, सुख नही देता बल्कि कर्मों की स्वचालित व्यवस्था उसने बनाई है। कर्मों के अनुसार जीव सुख, दुख भोगता है लेकिन भक्ति, विवेक, ज्ञान मार्ग पर चलने से जीवन में निष्काम कर्म भावना का उदय होता है। निष्काम कर्म भावना के चलते मनुष्य जीव कर्म बंधन से मुक्त हो जाता है। उसके लिए सुख, दुख, राग, द्वेष, मोह, माया, ममता, आशक्ति का कोई अर्थ नही रह जाता। निष्काम कर्म भावना दूसरे शब्दों में जीव की मुक्ति का मार्ग है। निष्काम भाव आने के बाद हम कर्मों में संलिप्त नही होते बल्क कर्म होते हुए देखते है। इस दौरान बच्चों द्वारा भजन, कविता, सांस्कृतिक गतिविधियों के जरिए भगवान गणपति की महिमा का गुणगान किया गया। आयोजकों द्वारा उन्हें पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर सुशीला, डॉ सुनीता, निर्मला, सोनिया जानकीपुष्पा कान्ता शान्ति राधा सीतल डिम्पल सहित समस्त कलोनी वासी उपस्थित थे।