Charkhi Dadri News : किसान फसल बिजाई में पूरी सजगता बरतें

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Farmers should be fully alert while sowing crops
गेहूं सरसों की फसल का फाईल फोटो
  • एमएसपी में वृद्धि से दक्षिणी हरियाणा में बढेगा गेहूं सरसों का रकबा

(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। सरसों की अगेती बिजाई के लिए मौसम अनुकूल है। भरपूर पैदावार लेने के लिए किसान भाई अगेती किस्मों की बिजाई करें। 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक सरसों की बिजाई का उपयुक्त समय है। केन्द्र सरकार की एमएसपी में वृद्धि से दक्षिणी हरियाणा में रकबा बढने की संभावना है।

कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अगेती बिजाई के हालातो में आरएच 725, आरएच 749, आरएच 8812, आरएच 8812 (लक्ष्मी), आरएच 9304(वसुंधरा), आरएच 30, आरएच 1706 आदि बिजाई के लिए सिफरिशशुदा किस्में हैं। तिलहन (सरसों) फसल को सल्फर तत्व की आवश्यकता होती है जिससे तेल की मात्रा बढऩे के साथ साथ दाना सुडौल होता है इसलिए सरसों डीएपी खाद को थोड़ा कम करके सल्फर का भी प्रयोग करें।

अगर डीएपी की जगह एसएसपी का प्रयोग करते हैं तो अतिरिक्त सल्फर डालने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि एसएसपी में सल्फर तत्व मौजूद होता है। सिफारिश से अधिक खाद ना डालें, संतुलित खादों का प्रयोग करें क्योंकि हमारा लक्ष्य काम खर्च में ज्यादा और गुणवत्तापूर्ण पैदावार लेना है। तिलहन, दलहन अथवा खाद्यान्न कोई भी फसल हो इनकी अगेती बिजाई करने से ही भरपूर पैदावार मिलती है। किसान भाई बिजाई के समय के अनुरुप ही किस्मों का चयन करें। अगेती बिजाई करनी हो तो अगेती किस्में ही लें और अगर किसी मजबूरीवस पछेत हो भी जाए तो पछेती बिजाई वाली किस्में ही लें। संतुलित खादों का प्रयोग करें।

गेहूं सरसों की फसलों के एमएसपी दामों में हुई बढ़ोतरी, किसानों का बढ़ेगा रूझान

केंद्र सरकार की कैबिनेट ने बुधवार को रबी 2025-2026 को एमएसपी दरें निर्धारित करने में उत्तरी समेत दक्षिणी क्षेत्र में बोई जाने चने, गेहूं व सरसों जैसे खाद्धय अनाज व चने जैसी दाल, दलहन की फसलों के एमएसपी दरों में बढोतरी कर किसानों को बड़ा तोहफा देने का काम किया है। गेहूं में 150 रुपये की बढ़ोतरी के अलावा नगदी फसल की मौजूदा दर में 300 रुपये की वृद्धि के साथ ही किसानों का इन फसलों की तरफ और रूझान बढ़ेग।

हरियाणा प्रदेश में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन होता है लेकिन सरकार ने गेहूं के बजाय मोटे अनाज की एमएसपी को ज्यादा प्राथमिकता दी है। केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों से जिन फसलों को ज्यादा महत्वपूर्ण श्रेणी में शामिल क्रिय है उनमें मूंग, चना हैं। ये दोनों फसलें बाढडा कस्बे में उगाई गई दलहन की मुख्य फसलें हैं। ये मुख्यत: दक्षिणी हरियाणा के रेतीले इलाकों वाले हिसार, भिवानी, दादरी, नारनौल रेवाड़ी जिलों में ही उत्पादित होती हैं।

सर्दी के सीजन जिले में बोई जाने वाली चने, गेहूं व सरसों की फसलें खरीफ की कपास के मुकाबले लागत कम व बीमारी भी कम आती है। प्रदेश सरकार की भावांतर योजना ने तो इन फसलों में नई जान डाल दी है। जिससे किसान को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण के बाद अपने अनाज की बिक्री के बजाय घर बैठे व बिना बेचे ही भावांतर योजना का लाभ मिल रहा है। प्रदेश में रबी सीजन में गेहूं पर 150 व सरसों पर 300 रुपये की बढ़ोतरी से किसान उत्साहित हैं। सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने किसानों को बड़ा तोहफा देने का काम किया है।

रेतीले क्षेत्र में मूंग व बाजरे का बढ़ेगा रकबा

डा. चंद्रभान श्योराण।

दादरी के वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ डा. चंद्रभान श्योराण ने कहा कि केंद्र सरकार ने गेहूं सरसों फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में आप्रत्याशित बढ़ोतरी की है। जिसे अब गेहूं के 2275 से बढ़ाकर 2425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। जिससे किसानों में खुशी का माहौल है। इससे इलाके में सरसों का क्षेत्र चढ़ेगा। सरसों की उत्पादन की लागत कम है और थोड़े समय में पककर तैयार हो जाता है। फलस्वरूप न्यूनत्म समर्थन मूल्य बढऩे से किसानों की आय में इजाफा होगा। ऐसे में सरकार द्वारा सरसों, गेहूं की एमएसपी बढ़ाना सार्थक कदम है। सरसों का समर्थन मूल्य 5950 रुपये किसान के लिए है महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। सरसों के दामों में वृद्धि वहीं सरसों में तीन सौ रुपये की बढ़ोतरी होने और रूझान बढ़ेगा।

हर फसल की दी सुरक्षा गारंटी: जेपी दलाल

प्रदेश के पूर्व वित्त व कृषि मंत्री जेपी दलाल।

प्रदेश के पूर्व वित्त व कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने जून माह में मूंग, कपास व बाजरे जैसी जिन तीन फसलों की वरियता श्रैणी में रखा है वह तीनों हमारे क्षेत्र में उत्पादित होती हंै। पूरी सिंचाई व पकने के बाद भावांतर से खरीद की गारंटी सरकार की है। 16 अक्टूबर को सरकार ने रबी सीजन की गेहूं, सरसों की फसलों में 150 से तीन सौ रुपये तक वृद्धि की है जो बहुत ही सराहनीय फैसला है। पिछले वर्षों से सरकार द्वारा दालों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक कदम उठाए है। इसी कड़ी में मूंग, चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढोतरी करना किसान के लिए महत्वपूर्ण कदम है। इन फसलों की बिक्री सरकारी से अधिक निजि स्तर पर होने लगी है। पिछले तीन सालों से तो इन दोनों को विदेशों में भी भेजा जाने लगा है।

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