Charkhi Dadri News : बुराई पर अच्छाई की जीत का सबसे बड़ा उदाहरण है दशहरा: श्रीभगवान

0
92
Dussehra is the biggest example of victory of good over evil Shri Bhagwan
अपने मन से बुराईयों को जड़ खत्म करने की शपथ दिलाते अध्यापकगण।

(Charkhi Dadri News) चरखी दादरी। दशहरे के पर्व पर स्थानीय आर्यन कोचिंग सेंटर परिसर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता संचालक मास्टर श्रीभगवान ने की। आयोजन के दौरान स्टाफ व युवाओं द्वारा अपने जीवन में सामाजिक कुरूतियों व बुराईयों के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाने का संकल्प धारण किया। इसके साथ ही नकारात्मक भावों के खिलाफ लडऩे व इस भावना को अपने अ्रंर्तमन से समस्त बुराईयों को उखाड़ फेंकने की शपथ ली।

संचालक मास्टर श्रीभगवान ने कहा कि बुराई पर अच्छाई की जीत का सबसे बड़ा उदाहरण है दशहरा। दशहरा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन के महत्वपूर्ण आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा भी देता है। यह सिखाता है कि सच्चाई, धर्म, और न्याय का मार्ग हमेशा सफल होता है। कठिनाइयों के बावजूद अपने कर्तव्यों का पालन करते रहना चाहिए। जीवन में चाहे कितनी भी चुनौतियां आएं, हमें धर्म, सत्य और अच्छाई के मार्ग पर अडिग रहना चाहिए।

ये त्योहार हमें सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली हो, अंत में सत्य और धर्म की ही जीत होती है

उन्होंने बताया कि विजयादशमी, जिसे दशहरा के नाम से जाना जाता है, भारत में मनाया जाने वाला एक महत्त्वपूर्ण त्योहार है। यह दिन रावण पर भगवान राम की विजय का प्रतीक है। शहरा अनेक सामाजिक, नैतिक संदेश देता है। ये त्योहार हमें सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली हो, अंत में सत्य और धर्म की ही जीत होती है। रावण का अंत गवाह है कि अधर्म और अहंकार का अंत निश्चित है। भगवान राम की जीवन गाथा हमें धैर्य, करुणा, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा का महत्व सिखाती हैं। दशहरा हमें बुरी आदतें त्यागने और सद्गुण अपनाने का संदेश भी देता है। हर मनुष्य को अपने अंदर के रावण, यानी- गुस्सा, घमंड, लालच, जलन को खत्म करने की सीख देता है।

उन्होंने युवाओं से आहवान किया कि किसी भी क्षेत्र की दिशा व दशा को सुधारने में हमेशा से ही युवा सोच व जोश एक अहम कारक रहा है। यह अत्यंत सकारात्मक है कि आज का युवा हर एक विषय को बहुत ही सुलझे तरीके से सोचता व समझता है। खास कर सामाजिक बुराईयों व कुरूतियों के खिलाफ हर मंच पर मुखर होकर अपनी आवाज को उठाता है, हांलाकि हमारी परंपराओं का पालन करते हुए उसकी सोच व आवाज में किसी भी प्रकार की कोई अभद्रता न दिखाई दे जो कि समाज के बुजुर्गों को अखरे इस बात का ध्यान अवश्य ही युवाओं को रखना चाहिए।

पुरानी पीढी जो कि बदलते वक्त के साथ आज भी पुरातन विचारों के साथ जी रही है उनकी अच्छाईयों को ग्रहण करते हुए वक्त के अनुसार हुए बदलाव से परिचित करवाए व जितना अधिक हो सके सभी के सामंजस्य व तालमेल मिलाकर सभी चले।इस अवसर पर जेपी वर्मा, बालकिशन शर्मा, मंजीत मांढी, अभिषेक, पूजा, अनिता, रानी सहित समस्त स्टाफ व विद्यार्थी उपस्थित थे।