Charkhi Dadri News : ग्राम पंचायतों के खातों में करोड़ों रुपयों के बावजूद गांवों की गलियों में भरा गंदा पानी

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Despite crores of rupees in the accounts of Gram Panchayats, streets of villages filled with dirty water
कस्बे का खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय।

(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। प्रदेश सरकार के नए फैसलें से ई टेंडर के कारण अधर में लटकी विकास योजनाओं को जल्द ही नए पंख लगेंगे। इससे उपमंडल समेत बाढड़ा, झोझूकलंा, बोंदकलां, दादरी जैसे चारों खंड की ग्राम पंचायतों के पास 20 करोड़ सहित लगभग 40 करोड़ सहित लबालब बजट राशि होने के बावजूद नियमों के नाम पर कुंडली मारे बैठी पंचायत समिति के खातों से अब जल्द ही नई योजनाओं के अस्टीमेटों को तैयार करने का काम युद्धस्तर से शुरु हो गया है।

इससे गांव की गलियों में गंदा पानी निकासी, कच्ची गलियों का निर्माण, पेयजल की टूटी लाईनों के नवीनीकरण जैसी योजनाएं पूरी होने की उम्मीद बनी है। प्रदेश सरकार के विकास एवं पंचायत विभाग द्वारा टेंडरिंग सिस्टम को खत्म कर पांच लाख की बजाए अब 21 लाख तक की विकास योजनाओं को अब सीधे सरपंच, पंचायत समिति चेयरमैन द्वारा खर्च करने की शक्तियां देने के बाद अब विभाग व नवनिर्वाचित्त पंचायत मुखिया भी पिछले लंबे समय से विवाद में फंसी राशी को जल्दी से जल्दी खर्च करने में जुटे हैं।

प्रदेश सरकार के विकास एवं पंचायत विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने 4 मार्च 2022 को अपने पूर्व के फैसलें को रद्द कर पंचायतीराज विकास योजनाओं के लिए भविष्य में केवल दो लाख तक की राशि स्वयं खर्च करने की शक्ति निर्धारित करते हुए इससे अधिक की राशि केवल ई टेंडरिंग करने का दिशानिर्देश जारी किया गया।

इस आदेश पत्र के बाद ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों के प्रशासकों ने तो विभागीय मजबूरी मानते हुए स्वयं ही मनमर्जी की राशि खर्च कर दी लेकिन वर्ष 2023 में नई पंचायतों के गठन के तुरंत बाद ही अब पुराने पत्र के तहत उनको केवल 2 लाख तक की राशि खर्च करने का फैसला लागू कर दिया था जिसके बाद में नवनिर्वाचित पंच, सरपंच, बीडीसी व जिला पार्षदों ने राज्य स्तर पर विरोध शुरु किया तो विभाग में हडक़ंप मच गया और सरकार ने उनकी शक्तियों में विस्तार करते हुए पांच लाख तक की राशि खर्च करने का आदेश दे दिया।

सरकार के नए आदेश के बाद नवनिर्वाचित पंच, सरपंचों ने ग्रामीण विकास योजना में रुचि लेनी शुरु कर दी लेकिन अब लगभग समस्या के समाधान के लिए पांच लाख से अधिक की राशि की जरुरत पड़ती है जो केवल ई टेंडर से ही संभव है। इससे यह सारा कामकाज पंचायतीराज के तकनीकी विभाग के पास चला गया है और सरपंचों ने इसमें शामिल होना तो दूर बल्कि गांव के मुख्य द्वार पर भरे गंदे पानी की निकासी तक भी कदम उठाने से पूरी तरह अपने आपको दूर कर लिया है।

पंचायत विभाग व पंचायत प्रतिनिधियों के आपसी रस्साकसी में आमजन सरकारी सुविधाओं का लाभ तो दूर मुलभूत समस्याओं से पाने के लिए तरस रहा है। पिछले दिनों सीएम नायबसिंह सैनी द्वारा सरपंच एसोसिएशन के साथ बैठक आयोजित कर उनकी सभी मांगों को स्वीकृति देते हुए विकास योजना में पांच लाख की बजाए 21 लाख से ऊपर की योजनाओं के लिए टेंडर को स्वीकृति का फैसला लेकर पंचायत प्रतिनिधियों को बड़ा तोहफा दिया है।

इस बारे में बीडीपीओ मनोज कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि राज्य सरकार अब 21 लाख तक के कामकाज को ग्राम पंचायतों के माध्यम से ही करवाएगी वहीं इससे बड़ी योजनाओं को अस्टीमेट के आधार पर ई टेंडर से करवाया जा रहा है। नए आदेश से सभी पंचायत प्रतिनिधियों को अवगत करवा दिया गया है और लगभग सभी ग्राम पंचायतों के माध्यम से विकास योजनाएं जोरों पर संचालित होंगे।

बाढड़ा के पास 22 करोड़, झोझूकलां के पास 15 करोड़ जमा

हरियाणा पंचायतीराज के पांच लाख के ई टेंडर की शर्त के कारण उपमंडल के बाढड़ा खंड की ग्राम पंचायतों के खातों में 22 करोड़ व झोझूकलां खंड की ग्राम पंचायतों के पास 15 करोड़ की राशि होने के बावजूद सरपंच निठल्ले बैठने को मजबूर थे वहीं ग्रामीणों को मुलभूत सुविधाओं के लिए तरसना आम बात हो गई थी। प्रदेश सरकार ग्रामीण विकास के क्षेत्र में जिस ई टेंडरिंग सिस्टम को लागू करना चाहती है यह योजना वर्ष 2020 से ही लंबित थी। कोविड व सरपंचों का कार्यकाल अंतिम होने के कारण इसको आगे टालते गए लेकिन मार्च 2022 में इसका पत्र तो जारी कर दिया लेकिन विभाग के अधिकारी खुद ही इसको ठेंगा दिखाते रहे। बाद में नई पंचायतों पर इसको लागु कर दिया है। इससे दोनों पक्षों में टकराव हो गया और ग्राम पंचायतें बड़ी योजनाएं शुरु करने से पीछे हट गई। अब सरपंचों की खर्च करने की क्षमता में वृद्धि से पंचायत प्रतिनिधियों में उत्साह का माहौल है।

ई टेंडर से विकास योजना को ज्यादा सफल मानता रहा विभाग

विकास एवं पंचायत का तर्क है कि ग्राम पंचायतें प्रत्येक योजना में जारी राशि से ज्यादा खर्च दर्शाकर मनमर्जी से चेक जारी कर लेते हैं व जिन कार्यो को पूरा करते उनमें जवाबदेही बहुत कम है वहीं ई टेंडरिंग से निजि कंपनियां आपसी प्रतिस्पर्धा में एक लाख की योजना को सत्तर हजार तक पूरा कर देती हैं तथा उनका तीन वर्ष तक जिम्मेदारी भी रहती है। इसके अलावा ग्राम पंचायतों में बढते गोलमाल को रोकने के लिए सरकार अब टेंडर के माध्यम से राज्य मुख्यालय से सब पर पैनी नजरें रखने की सोच पर काम कर रही थी लेकिन सीएम नायब सिंह सैनी ने सरपंचों की सभी बकाया मांगों को एक ही झटके में पूरा कर दिया है।

पैसे जारी करने के बावजूद सरपंचों के हाथ बांधे

खंड के सरपंच एसोसिएशन अध्यक्ष सरपंच सूबेदार रामचंद्र उमरवास, सरपंच एडवोकेट कुलबीर श्योराण, सरपंच आनंद कुमार, सरपंच शमशेर पंचगावां, ज्ञानवीर सिरसली, सूबेदार सरपंच इंदराज सिंह काकड़ौली इत्यादि ने बताया कि वर्ष 2015 से पहले अशिक्षित पंचायत प्रतिनिधियों को दस दस लाख के विकास कार्य पूरे करवाने का अधिकार दिया जया लेकिन बाद में सरकार ने पंचायती प्रतिनिधियों के चयन में शिक्षा लागू कर दी। आज लगभग सरपंच स्नातक तक शिक्षित है लेकिन सरकार ने जानबूझ कर उनके अधिकार सीमित कर उनके हितों से खिलवाड़ किया है जिससे ग्रामीण विकास पर ग्रहण लगा है। सीएम नायबसिंह सैनी ने कुछ नई मांगे मंजूर की हैं जिनका मंथन चल रहा है।

दस साल से अफसरशाही को बढावा देने में जुटी सरकार

प्रदेश के विकास एवं पंचायत मंत्रालय के पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रणसिंह मान ने कहा कि सरकार ई टेंडर की आड़ में अफसरशाही को बढावा दे रही है। ग्रामीण विकास को पंचायत प्रतिनिधि आपसी भाईचारे से क्रियांविंत करते है लेकिन सरकार सारा काम अनुबंधित कंपनी को भेजकर काम करवाने की बजाए बीच में रुकवा कर जनता के समक्ष परेशानी पैदा कर रही है। भाजपा शासन में बड़ी बड़ी संवेधानिक संस्थाओं से लेकर छोटे स्तर की स्वतंत्र इकाईयों की शक्तियां सीमित कर अफसरशाही को लागू कर दिया है जो लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। एक तरफ तो पहले ही पंचायतीराज के सात साल बाद चुनाव करवाए गए और अब जानबूझ कर उनके अधिकारों में कटौती कर रही है। अब चुनाव समीप देखकर सीएम ने कुछ वायदे किए हैं देखते हैं धरातल पर क्या होता है।

सीएम सैनी को विकास पुरुष के रुप में याद रखेंगे सरपंच

जिला परिषद चेयरमैन मंदीप डालावास ने कहा कि लोकसभा चुनाव में सीएम नायबसिंह सैनी व सांसद धर्मबीर सिंह ने पंचायत प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया था कि उनके मांगपत्र से अधिक उनको सम्मान दिया जाएगा जो उन्होंने 13 जुलाई को पूरी कर अपने वायदे पर पूरी तरह खरे उतरे।

सीएम नायब सिंह सैनी ने सरपंचों के सम्मेलन में सरपंच एसोसिएशन के मांगपत्र से अधिक अधिकार देते हुए सरपंचों को गांव में विकास कार्य कराने की सीमा 21 लाख करते हुए सरपंच अब बिना टेंडर के 21 लाख रूपये तक के कार्य करा सकेंगे। विकास के कार्यों के लिए बजट की कमी नहीं रहने देने, किसी कार्य के लिए मिट्टी का भरत का अगर अलग से एस्टीमेट बनातर सरपंच देंगे तो वो भुगतान भी सरकार करेगी।

एचईडब्ल्यू पोर्टल पर सरपंच द्वारा प्रस्ताव अपलोड करने के बाद 10 दिन में कनिष्ट अभियंता एस्टीमेट बनाने के लिए बाध्य होगा। सरपंचों को प्रशासनिक कार्यों के लिए जाने पर 16 रूपये किमी की दर से यात्रा भत्ता मिलेगा।

जिला या उपमंडल स्तर पर कोर्ट में पैरवी के लिए 1100 की बजाय 5500 रूपये प्रति केस और उच्च न्यायालय के लिए 5500 से बढ़ाकर 33000 प्रति केस होगी। राज्य स्तरीय कार्यक्रम गांव में होने पर सरपंच का स्थान उपायुक्त व पुलिस अधिक्षक के साथ होगा।

ग्राम पंचायतों के लिए 3000 कम्प्यूटर ऑपरेटर नियुक्त किए गए हैं। पंचायत जीईएम पोर्टल से लैपटॉप, प्रिंटर खरीद पाएंगी अपंजीकृत ठेकेदार एक साल में 50 लाख तक के कार्य ही कर पाएगा।

हर बड़े टेंडर की जानकारी मेसेज द्वारा सरपंच को मिलेगी। पंचायत को स्टांप ड्यूटी और बिजली बिल सेस पंचायत के अकाउंट में सीधा आएगा। गांव में पेयजल की समस्या अगर ग्राम पंचायत नहीं हल कर पाएगी, तो पंचायत के प्रस्ताव पर उस कार्य को पब्लिक हेल्थ विभाग कराएगा।

ग्राम पंचायत पर राष्ट्रीय पर्व या विशिष्ट आयोजन के लिए पंचायत फंड से 30000 रूपये तक कर पाएँगे। पंचायत राष्ट्रीय पर्व की गतिविधियों के प्रचार, झंडा या मिठाई की सीमा को 500 से बढ़ाकर 5000 किया गया सरपंच ग्राम सचिव की एसीआर पर टिप्पणी करने का अधिकार भी दिया जाएगा।