Charkhi Dadri News : महंगे भाव के खाद बीज की फसलें तबाही की कगार पर, बरसात के अभाव में बाजरा ग्वार बिजाई ठप्प

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Charkhi Dadri News : महंगे भाव के खाद बीज की फसलें तबाही की कगार पर, बरसात के अभाव में बाजरा ग्वार बिजाई ठप्प
बिजाई के इंतजार में खाली पड़े खेत।
  • कपास का साठ फिसदी रकबा घटा, दो लाख बीस हजार एकड़ रकबा बिजाई के इंतजार में

प्रविन्द्र सांगवान | बाढड़ा | कृषि बाहुल्य दादरी जिले में दो माह की भीषण गर्मी ने किसान की परंपरागत खेतीबाड़ी व मिट्टी दोनों का संतुलन गड़बड़ा दिया है। पिछले डेढ माह से लगातार गर्मी के कारण जमीन पूरी तरह गर्म परत में बदल गई है वहीं पिछले वर्ष के मुकाबले साठ फिसदी कम कपास की बिजाई होने व उसमें से भी पंद्रह प्रतिशत रकबा गर्मी के कारण खराब होने से अब बरसात के दर्शन न होने से ग्वार बाजरा की फसल बिजाई इंतजार में रह गई है। बरसाती पानी पर निर्भर खरीफ सीजन की फसलों के भविष्य को लेकर किसानों में असमंजस के हालात बने हुए हैं।

दक्षिणी हरियाणा के रेतीले दादरी जिले में कुल 2 लाख 73 हजार एकड़ रकबा कृषि क्षेत्र में प्रयोग किया जाता है जिसमें मौजूदा समय में 38 हजार एकड़ में कपास व ढाई हजार एकड़ में हरे चारे के तौर पर प्रयोग किया गया है वहीं शेष बचा सवा दो लाख एकड़ भूमि केवल बाजरे ग्वार की बिजाई के इंतजार में खाली पड़ी नजर आ रही है। खरीफ सीजन की शुुरआत के साथ ही तेज गर्मी व बिजली संकट के कारण समय पर सिंचाई न होने से केवल कपास के कुछ हिस्से की बिजाई संभव हो पाई वहीं शेष बची दोनों फसलों का भविष्य बरसात पर टिका हुआ है।

क्षेत्र के किसान कपास व सरसों दोनों फसलों के अंतिम दौर में खराब होने से अब कम बिजाई करते हैं वहीं बाजरे का उचित भाव मिलने के कारण प्रतिवर्ष उसका रकबा बढ रहा है। मौजूदा सीजन में किसानों ने अप्रैल मई माह में ही भूमि की अच्छी तरह जुताई करके तैयार करके छोड़ दी थी लेकिन समय पर बरसात न होने से उसके अरमानों पर पानी फिर गया है।

इस सीजन की 25 जून से अगेती बिजाई की जानी थी लेकिन अभी तक गर्म वातावरण होने व यह फसल ट्यूबवैल सिंचाई से पूर्ति संभव नहीं होने के कारण किसान की निगाहें हर पल आसमान की तरफ टकटकी लगाए हुए हैं। उम्मीद है कि अगले सप्ताह तक बरसात होती है तो किसान जिले के दो लाख एकड़ में युद्धस्तर पर बाजरा बिजाई करेगा और अगले माह भी बरसात में देरी हुई तो किसान के पास 15 से 25 जुलाई तक बाजरे की पछेती बिजाई का समय बचा रहेगा।

नगदी फसल कपास पर संकट मंडराया

खरीफ की फसलों में कपास की नगदी फसल के रुप में पहचाना जाता है लेकिन रेतीली भूमि से भूमिगत जल से मेल न खाने व मिट्टी के ऊर्वरा शक्ति में कमी आ गई है। भूमि की शक्ति का साथ न देने से कपास की फसलों में पकावट के दौर में हर बार कोई न कोई रोग की चपेट में आ जाता है जिससे हर बार महंगे भाव के खाद बीज इस्तेमाल कर लंबे रकबे में बिजाई करने वाले किसान अब तौबा करने लगे हैं।

वर्ष 2023 के खरीफ सीजन में जिले में 90 हजार एकड़ में बोई गई कपास का क्षेत्र मौजूदा सीजन में घटकर केवल 38 हजार एकड़ रह गया और उसपर भी भीषण गर्मी व बिजली संकट के कारण समय पर सिंचाई न होने से के कारण 15 प्रतिशत रकबे पर खराबे का असर आ चुका है।

महंगे भाव के खाद बीज की लागत किसान की बूते से बाहर

किसान नवीन कुमार बाढड़ा, नंबर कपूर सिंह काकड़ौली ने बताया कि रबी व खरीफ सीजन की फसल बिजाई में खरीफ सीजन की बिजाई बहुत परेशानी पैदा करती है। वातावरण में गर्मी से भूमि में गर्माहट व सिंचाई की कमी के कारण इस सीजन में कई बार एक ही खेत में दो बार फसलें बिजाई करना मजबूरी बन जाता है।

पहले घरों का ही बीज दोबारा प्रयुक्त होता था लेकिन अब मार्केट से ही बीज लाकर बोना किसान की जेब पर भारी पड़ रहा है जिसके चलतजे किसान अकेले ट्यूबवैल की बजाए बरसात का इंतजार कर रहा है और मेघा बरसने के बाद बिजाई में ही अपनी फसल को सुरक्षित मानता है। किसान पिछले एक माह से बरसात के इंतजार में है ताकि कपास की फसल को बचा सके और ग्वार बाजरे की बिजाई कर सके।

बीज विक्रेताओं के पास करोड़ों का स्टाक बिक्री के इंतजार में

कृषि क्षेत्र भी आजकल बड़ी बड़ी नामीगिरामी कंपनियों के लिए बड़ा व्यवसाय बन गया है और संबधित जिले की मिट्टी, पानी के आधार पर बड़ी बड़े कारखानों से बीज के पैक तैयार कर मई माह में ही उपमंडल, जिले व ग्रामीण स्तर पर संचालित खाद बीज केन्द्रों पर पहुंच जाते हैं लेकिन अब की बार किसान के साथ ही कंपनियों की भी नींद उड़ गई है।

पहले तो कपास के बीज की खरीद में गिरावट व अब समय पर बरसात न होने से खाद बीज विक्रेता बाजरे व ग्वार के बीज की बिक्री के इंतजार में है। बताया जा रहा है कि निजि कंपनियों ने यहां पर बहुत बड़ी मात्रा में बीज का भंडारण किया है लेकिन मौसम की गर्मी ने उनको भी दोरोहे पर खड़ा कर दिया है।

किसान धैर्य बरतें, बाजरे की समय पर बिजाई की पूरी उम्मीद

डा. चंद्रभान श्योराण।

जिला कृषि विषय विशेषज्ञ डा. चंद्रभान श्योराण ने कहा कि किसान बरसात में देरी को लेकर किसी तरह से असमंजस में नहीं रहे जल्द ही बरसात आने की संभावना है और किसान कपास के बाद शेष बची फसलों की बिजाई कर सकता है। किसान भाइयों के लिए सुझाव है कि बाजरा और ग्वार की बिजाई करने से पहले बिजाई के समय के अनुसार ही किस्मों का चयन करें।

अगेती बिजाई का समय चल रहा है लेकिन अगर वर्षा देरी से भी होती है तो बाजरा और ग्वार की बिजाई 15 जुलाई तक भी संभव है लेकिन ऐसी परिस्थिति में पछेती किस्मों का ही चयन करें। किसान कुछ भूमि जिसमें कपास व सरसों के पकावट में खराबी की स्थिति बनती है वहां पर हरी खाद तैयार करने के लिए ढेंचा या अन्य फसल बोकर जमीन की ऊर्वरा शक्ति को बढा सकते हैं।

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