- अन्नदाता को दीपावली से पहले बड़ा तोहफा, किसानों के खातों में पहुंची करोड़ों की मुआवजा राशी
(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। प्रदेश सरकार ने दीपावली से पहले फसलों की एमएसपी में वृद्धि के साथ ही अब किसानों को नया तोहफा दिया है। सरकार के आदेश पर विधानसभा चुनाव की आचार सहिंता में फंसी वर्ष 2023 में खराबे की भेंट चढी कपास फसल की करोड़ों रुपयों की मुआवजा राशी वितरण करने का फैसला लेते हुए अन्नदाताओं के खातों में करोड़ों की राशी भेजी है जिससे उनमें खुशी की लहर दौड़ गई है। अकेले बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र के दो दर्जन गांवों के किसानों के खातों में आनलाईन राशी आने की सूचना मिली है जिससे उनको रबी सीजन की फसल बिजाई में मदद मिलेगी।
प्रदेश के दक्षिणी हरियाणा में पहले जहां खरीफ सीजन में केवल ग्वार, बाजरा की फसलों की बिजाई की जाती थी लेकिन समय के साथ भूमिगत ट्यूबवैल व नहरी पानी के विस्तार के कारण अब कपास की भी बड़े स्तर पर उत्पादित होने लगी है। पिछले कुछ समय से भूमि में पोषक तत्वों की कमी के कारण कपास व गेहूं दोनों फसलें पकाई के दौर में रौनक खो देती है जिससे किसानों की कमर टूट जाती है। खरीफ सीजन की मौजूदा दौर में भी कपास का रकबा सबसे अधिक होने के कारण किसानों की इसपर भविष्य टिका हुआ है लेकिन पिछले वर्ष के खरीफ सीजन के कपास के पौद्ये मुरझा कर बाद में सारे पत्ते पीले होकर सारी फसलें काली पड़ रही हैं।
फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
इससे कपास की फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है। माना जा रहा है कि भूमि की ऊर्वता में कमी, पोषक तत्वों में कमी व मामूली सुखापन आने से यह झुलसा रोग बनता है। किसान जागेराम श्योराण, रामफल काकड़ौली, शंकर, दीपक श्योराण, नंबरदार महेन्द्र रुदड़ौल, नरेश कादयान हंसावास इत्यादि किसानों ने बताया कि उन्होंने अपने खेत की कृषि विभाग की हिदायतों के अनुसार खाद बीज इस्तेमाल कर कपास की बिजाई की जो पककर तैयार है लेकिन उस समय अचानक ही सारी कपास के पौधे पहले पीले व फिर काले पड़ गए हैं जो किसानों के लिए बड़ा झटके के समान है क्योंकी कपास के बीज खाद से लेकर किटनाशकों पर भारीभरकम लागत आती है। वह कृषि विभाग को बार बार सूचित कर चुके है लेकिन कोई समाधान नहीं हो पाया और उनकी फसलें तबाह हो गई थी।
उस समय भाकियू अध्यक्ष हरपाल भांडवा, महासचिव ओमप्रकाश उमरवास, किसान सभा अध्यक्ष मा. रघबीर सिंह काकड़ौली इत्यादि के प्रतिनिधि मंडल ने धरना प्रदर्शन कर उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा तथा बाद में तात्कालीन कृषि मंत्री जेपी दलाल से मुलाकात कर उनको प्रभावित फसल के पौद्ये दिखाए। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि जिनका बीमा है उनको कंपनी से व जिनका बीमा नहीं है उनको ई क्षतिपूर्ति से नुकसान की भरपाई करवाई जाएगी। इसके बाद उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ ही बीमा कंपनी को जमीनी स्तर पर सर्वे करवाया और आखिरकार मार्च माह में बजट जारी कर दिया लेकिन पहले लोकसभा व फिर विधानसभा चुनाव की आचार सहिंता के कारण करोड़ों का बजट वितरण अधर में लटक गया।
अब चुनाव प्रक्रिया पूरी होते ही बीमा कंपनियों ने गांव चांदवास, जगरामबास, गोपी, काकड़ौली हठ्ी, काकड़ौली सरदारा, डालावास, हुई इत्यादि दो दर्जन से अधिक सभी प्रभावित गांवों के कपास उत्पादक किसानों के खातों में करोड़ों रुपयों की राशी भेजी है। भाजपा विधायक उमेद पातुवास, जिला परिषद चेयरमैन मंदीप डालावास, दी केन्द्रिय सहकारी बैंक चेयरमैन सुधीर चांदवास, जिला पार्षद इंजीनियर सुनील हड़ौदी ने प्रभावित सभी किसानों को मुआवजा भेजने पर सीएम नायब ििसंह सैनी को आभार प्रकट किया है।
जिला कृषि विषय विशेषज्ञ डा. चंद्रभान श्योराण ने बताया कि वर्ष 2023 के खरीफ सीजन के अगस्त के दूसरे सप्ताह से सितंबर के मौजूदा समय तक मौसम का तापमान ऊचतम स्तर पर रहने से खतों में खड़ी कपास की फसल का सूखना पैराविल्ट रोग होने से कपास बहुत बड़े रकबे में खराबे की भेंट चढ गई थी। कृषि विभाग की सजगता से कोबाल्ट क्लोराइड का छिडक़ाव करवाया गया लेकिन रोग का पौद्ये पर प्रभाव ज्यादा आने से उस समय में इससे ज्यादा लाभ नहीं हो पाया था। प्रभावित पौधे सूख जाने के बाद दवा का असर नहीं हुआ जिस पर सरकार ने ई क्षतिपूर्ति व बीमा कंपनियों के माध्यम ये नुकसान का सर्वे करवा कर मुआवजा जारी करवाया है।
किसानों के नुकसान की भरपाई करवाई: जेपी दलाल
प्रदेश के पूर्व वित्त, कृषि मंत्री व भाजपा नेता जयप्रकाश दलाल ने बताया कि प्रदेश की भाजपा सरकार किसान व कृषि हितैषी रही है और पिछले पांच साल में कृषि क्षेत्र में सूखा, बाढ या किसी भी प्राकृतिक आपदा में रिकार्ड संख्या में मुआवजा जारी किया गया है।
पिछले खरीफ सीजन 2023 में दादरी, भिवानी, हिसार, सिरसा व महेन्द्रगढ के क्षेत्र में कपास के पौधे में अचानक पीलापन होकर पेड़ खराब हो गई थी जिस पर उन्होंने हर वर्ष इस तरह की शिकायतें बढने पर कृषि विश्वविद्यालय की टीम द्वारा प्रभावित क्षेत्र में कृषि विशेषज्ञों की टीम का दौरा करवाकर रिपोर्ट तैयार करवाई। उस समय उन्होंने किसानों को भरोसा दिया था कि उनके नुकसान की भरपाई करवाए जाएगी और आखिरकार देर शाम सभी प्रभावित फसल उत्पादक किसानों के खातों में मुआजवा राशी डालनी शुरु कर दी है।