(Charkhi Dadari News) बाढड़ा। विधानसभा सत्र में सरकार पर किसी भी क्षेत्र की उपेक्षा का मामला उठने से पहले ही दबाव बन जाता है लेकिन पहली बार विधानसभा सत्र गुजर गया लेकिन राज्य मुख्यालय दादरी में रिक्त पड़े अधिकारियों के पदों पर अधिकारी भेजना भुल गई है। चरखी दादरी जिले में एडीसी, सीईओ जैसे महत्वपूर्ण अधिकारियों के पद रिक्त होने के कारण पीपीपी योजना का पोर्टल डेढ माह से लाक पड़ा है वहीं डी प्लान, जिला परिषद, पंचायत समितियों से संचालित होने वाले ग्रामीण विकास से जुड़ा फंड खर्च करने की प्रक्रिया पूरी तरह बाधित हो गई है।

ना पीपीपी अपडेट, ना विकास कार्य संचालित, भुगतान पर भी लगा ग्रहण, कब मिलेंगे दादरी को एडीसी, सीईओ

मौजूदा वित्त वर्ष पूरा होने के मात्र चार शेष रहने व कई करोड़ रुपये खर्च न होने का मामला सरकार के गले की फांस बन गया है। मामले को विधानसभा सत्र में मुद्दा बनने की संभावना पर विकास एवं पंचायत विभाग महानिदेशक कार्यालय ने दादरी कार्यकारी अभियंता कार्यालय को विशेष पत्र भेज कर विकास योजनाओं के बजट खर्च करने में देरी पर जवाब मांगा लेकिन विपक्ष व सत्तापक्ष द्वारा मामला न उठाने पर जिले की झोली खाली रह गई है।

प्रदेश के मुख्य सचिव ने फरवरी माह के दूसरे सप्ताह में चरखी दादरी जिले के अतिरिक्त उपायुक्त विश्वजीत चौधरी का गुरुग्राम व जिला परिषद सीईओ प्रदीप कौशिक का रोहतक तबादला होने के बाद दोनों महत्वपूर्ण पद रिक्त होने से डेढ माह से सरकारी कामकाज राम भरोसे होकर रह गया है। एडीसी की देखरेख में खर्च होने वाली डी प्लान बजट को मौजूदा वित्त वर्ष में 31 मार्च तक खर्च होना जरुरी था लेकिन बताया जा रहा है 7 करोड़ 50 लाख में से मात्र दो करोड़ ही खर्च हो पाया है वहीं शेष राशि को मात्र 4 दिन के कार्यदिवस में खर्च कर बिल भुगतान करने पर संशय मंडरा रहा है।

इसके अलावा जिला परिषद के बजट खर्च करने को लेकर अफसरशाही अभी तक केवल कछुआ गति से चलती रही जिससे बहुत सारी योजनाएं केवल कागजों के पाईपलाईन में चलती रही। इन दोनों वरिष्ठ पदों के रिक्त होने के कारण जिले के बाढड़ा व झोझूकलां खंड विकास एवं पंचायत कार्यालयों में भी विकास योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। दादरी जिले को केन्द्र व प्रदेश सरकार की नियमित बजट के अलावा सांसद व जिला खनन फंड से भी प्रतिवर्ष करोड़ों रुपयों की धनराशि मिलती है लेकिन आपसी तालमेल की कमी के कारण कई योजनाओं की राशि कागजों में ही लेप्स होने का भय बना हुआ है।

दादरी जिला ग्रामीण विकास को लेकर पहले ही हरियाणा पंचायतीराज विभाग की प्रगति श्रैणी में निचले पायदान पर है और ऊपर से अधिकारियों के पद रिक्त होने से पिछले डेढ माह से विकास संबधी फाईलें अलमारी में बंद होकर रह गई हैं। जिले के एडीसी से लेकर सीईओ जिला परिषद के दोनों महत्वपूर्ण पद पर अधिकारियों की तैनाती न होने से डी प्लान से लेकर जिला परिषद व ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं पर ग्रहण लग गया है।

अकेले दादरी जिले के डी प्लान के 7 करोड़ से लेकर जिला परिषद व ग्रामीण विकास के अन्य लगभग 20 करोड़ की योजनाओं की राशि लेप्स होने का खतरा मंडरा रहा है। जिले के पंचायत प्रतिनिधियों ने जिला परिषद, डी प्लान, पंचायत समितियों के ना अस्टीमेट बनने और ना ही काम पूरा होने के बाद भुगतान होने की समस्या पर सांसद व विधायकों को सारी स्थिति से अवगत करवा कर समाधान की गुहार लगाई है।

22 फरवरी को प्रमुखता से प्रकाशित करने व कांग्रेस, इनेलो जैसे विपक्षी दलों द्वारा इस मामले को विधानसभा सत्र में मुद्दा बनने की संभावना पर विकास एवं पंचायत विभाग महानिदेशक कार्यालय ने दादरी कार्यकारी अभियंता कार्यालय को विशेष पत्र भेज कर विकास योजनाओं के बजट खर्च करने में देरी पर जवाब मांगने की उम्मीद थी लेकिन ना तो सत्तापक्ष को याद आया और ना ही विपक्ष को यह समस्या ध्यान में रही। विभाग ने अधिकारियों की कमी व पुराने कामों का भुगतान में देरी का हवाला देकर अपना पीछा छुटाने का विचार बना रहा है।

ग्रामीण विकास को लगा ग्रहण, जनप्रतिनिधि मायूस

बाढड़ा: दादरी जिले के बाढड़ा व झोझूकलां पंचायत समितियों का कामकाज सबसे चिंतनीय दौर में है। बताया जा रहा है कि यहां के वरिष्ठ अधिकारी किसी भी तरह की बैठकों में ही भागरीदारी नहीं करते और ना ही योजनाओं का अस्टीमेट तैयार कर रहे हैं और तो और यहां पर अधिकारियों द्वारा न तो समय पर भुगतान किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि जिले में विकास योजनाओं के क्रियांवन को लेकर पिछले छह माह से अधिकारी गंभीरता नहीं बरत रहे हैं। जिले में बढ रही शिकायतों में सामना आ रहा है कि अधिकारी चुने गए नुमाईंदों के कामकाज में कमी दर्शाकर योजना पर ही ग्रहण लगा रहे हैं।

मौजूदा समय में जिला परिषद के पास भारीभरकम बजट होने के बावजूद विकास कार्यो में खर्च करने में भारी कंजूसी बरती जा रही है वहीं झोझूकलां, बाढड़ा पंचायत समिति के विकास कार्यो का भुगतान व नए विकास योजनाओं के अस्टीमेट अधर में लटकने की समस्या भी अधिकारियों के पास लंबित होने का मामला भी सीएम नायब सिंह सैनी, सांसद धर्मबीर सिंह, विकास एवं पंचायतीराज के महानिदेश डीके बेहरा के पास पहुंच गया है।

सांसद धर्मबीर तीन बार ले चुके बैठकें

सांसद धर्मबीर सिंह दादरी जिले में विकास योजनाओं के बजट खर्च में देरी को लेकर लगातार सक्रिय हैं और पिछले डेढ माह में तीन बार अधिकारियों की बैठकें ले चुके हैं वहीं उन्होंने राज्य सरकार को अवगत करवा दिया कि जिले के रिक्त पदों पर तुरंत नए अधिकारी लगाने व निचले अधिकारियों को कामों में तेजी लाने की नसीहत दे चुके हैं। जिला परिषद चेयरमैन मंदीप डालावास ने कहा कि जिले में अलग अलग क्षेत्रों में ग्रामीण विकास संबधित कामकाज तेजी से चल रहा था लेकिन एक माह पहले ही अतिरिक्त उपायुक्त व जिला परिषद सीईओ का तबादला होने से विकास कार्य जरुर प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने सांसद धर्मबीर सिंह को सारी स्थिति से अवगत करवाया है।

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