Charkhi dadari News : काकड़ौली, बाढड़ा में सुर्य नमस्कार कार्यक्रम आयोजित

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काकड़ौली, बाढड़ा में सुर्य नमस्कार कार्यक्रम आयोजित
काकड़ौली, बाढड़ा में सुर्य नमस्कार कार्यक्रम आयोजित

(Charkhi dadari News) बाढड़ा। हरियाणा योग आयोग व आयुष विभाग द्वारा निर्देशित हर घर परिवार सूर्य नमस्कार अभियान के अंतर्गत अंतिम दिन शास्त्री वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल काकड़ोली सरदारा, गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल बाढड़ा और गवर्नमेंट हाई स्कूल लाड में योग शिविर का आयोजन किया गया जिसमें में सूर्य नमस्कार योगासन प्राणायाम इत्यादि विभिन्न योगिक क्रियाओं का अभ्यास करवाया गया।

12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जयंती से शुरू होकर 12 फरवरी महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती तक चलाए गए

आयुष योग शिक्षक योगाचार्य दिनेश रोहिला ने बताया कि भारत की गौरवशाली संस्कृति ऋषि परंपरा, योग परंपरा, को आगे बढ़ाने व जनमानस के सर्वांगीण विकास हेतु हरियाणा योग आयोग व आयुष विभाग द्वारा 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जयंती से शुरू होकर 12 फरवरी महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती तक चलाए गए इन दोनों महापुरुषों को समर्पित हर घर परिवार सूर्य नमस्कार अभियान का सफल समापन हुआ? महीने भर चले इस अभियान में समस्त हरियाणा के आयुष योग शिक्षकों के द्वारा प्रदेश के प्रत्येक गांव में जा जाकर ग्रामीणों को योगाभ्यास करवाया गया व इसको अपनी दिनचर्या की आदत बनाने के लिए प्रेरित किया गया।

महर्षि विवेकानंद जिन्होंने 39 वर्ष के अपने अल्प जीवन काल में अनेक महान कार्य किए। उन्होंने वेदों और योग योग ज्ञान को को पूरी दुनिया में प्रसारित करने के लिए अहम भूमिका निभाई।वे युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत थे। उन्होंने भारत को सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर समृद्ध करने के लिए अनेक प्रयास किये।वे एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते थे इसमें भारत की प्राचीन आध्यात्मिक परंपरा और आधुनिक विज्ञान की तकनीक दोनों का समावेश हो।

महर्षि दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के महान समाज सुधारक थे। उन्होंने मध्यकाल में लुप्त हो चुकी भारत की उत्कृष्ट वैदिक संस्कृति एवं सभ्यता की हजारों वर्षों की गरिमामयी विरासत और आत्मगौरव के पुनरुत्थान का अभूतपूर्व कार्य किया।जिन्होंने 21 वर्ष की अल्प आयु में सांसारिक माया से मोह भांगकर एक समृद्ध परिवार को त्याग कर सन्यासी मार्ग को अपनाया। आर्य समाज की स्थापना की संपूर्ण भारतीय जनमानस को उन्होंने वेदों की ओर लौटने का आह्वान किया ताकि भारतीय संस्कृति का पुनरुत्थान हो सके। महर्षि दयानंद ने वेद के उपदेशों के माध्यम से भारतीय समाज को एक नया जीवन दिया। महर्षि ने बाल विवाह, पर्दा प्रथा, जाति प्रथा, छुआछूत जैसी अनेक सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध जीवनपर्यंत संघर्ष किया। महर्षि सन्यासी के साथ-साथ एक सच्चे दोस्त भक्त थे जिनके विचारों से प्रभावित होकर लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, श्रद्धानंद, विनायक दामोदर, राम प्रसाद बिस्मिल, भगत सिंह, गोविंद रानाडे जैसे तमाम राष्ट्र चिंतकों ने भारत के स्वाभिमान, स्वाधीनता और स्वावलंबन के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

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