Charkhi dadari News : पूर्व मुख्यमंत्री चौटाला की याद

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पूर्व मुख्यमंत्री चौटाला की याद
पूर्व मुख्यमंत्री चौटाला की याद

(Charkhi dadari News) बाढड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री औमप्रकाश चौटाला के निधन से दक्षिणी हरियाणा के किसान ने एक तरह से अपने पारिवारिक सदस्यों जैसे महापुरुष को खो दिया है। किसी भी बात पर चेहरे पर कमजोरी नहीं लाने वाले चौटाला विपक्ष पर सदैव हमलावर रहे लेकिन अपने पुराने साथी के लिए दिनरात तत्पर रहे। कादमा व मंढियाली किसान कांड को राष्ट्रीय स्तर पर लाकर देशभर को कादमा मे एकत्रित करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री का बाढड़ा,कादमा क्षेत्र से रहा विशेष लगाव रहा है। लगभग 90 साल की आयु मे भी वह हर माह किसी न किसी कार्यक्रम मे शरीक रहकर खेतीबाड़ी पर आम किसानों के साथ बैठकर चर्चा करते थे और सत्ता हो या विपक्ष, सरकार के मंत्रियों से ज्यादा साधारण कार्यकर्ता की बात को अधिक महत्व देते थे जिसके कारण उनके कार्यकर्ता जिले के किसी विधायक, सांसद, मंत्री या अधिकारी की बजाय उनसे दुखदर्द सांझा करने मे अधिक रुचि लेते थे।

पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को बाढड़ा,कादमा क्षेत्र से रहा विशेष लगाव, हर माह किसी न किसी कार्यक्रम में रहे शरीक, खेतीबाड़ी पर आम किसान की तरह करते थे चर्चा

पूर्व मुख्यमंत्री चौटाला चंडीगढ़ या दिल्ली बैठकर राज करने की बजाए गांव, बडे बडे कस्बों मे पहुंच कर आमजन के सुखदुख मे रहकर राजनीति करने की विचारधारा को अधिक महत्व देते थे। 1990 के दशक से पहले उनका ज्यादातर जुडाव सिरसा, हिसार, जींद, रोहतक, सोनीपत के जाट बाहुल्य क्षेत्रों में ही था लेकिन 1995 मे भिवानी जिले के किसान बाहुल्य कादमा गांव में किसानों के जले हुए ट्रांसफार्मर न बदलने के विवाद में चली महापंचायत में पुलिस की गोलियों से पांच किसानों की मौत व दो दर्ज घायल होने की घटना पर ओमप्रकाश चौटाला कादमा पहुंचे और फिर यहां पर सारे भारत के कांग्रेस विरोधी ताकतों को एक मंच पर लाकर भजनलाल सरकार को चलता कर दिया।

बाद मे आई हविपा सरकार मे भी किसानों की मांगें पूरी नहीं होने पर कादमा से पांच किलोमीटर दूरी पर मंढियाली पहाडी क्षेत्र की रेलवे लाईनों पर फिर धरना प्रदर्शन शुरू हो गया और क ई किसानों को बलिदान होना पडा तो चौटाला ने यहां पर पूर्व पीएम चरणसिंह, महेंद्र सिंह टिकैत समेत देश के बडे बडे नेताओं को बुलाकर देश मे मजबूत विपक्ष की बानगी पेश की। उसके बाद तो पहले ओमप्रकाश चौटाला व फिर अजय चौटाला की यह राजनैतिक कर्मभूमि बन गई और अब तक यह जुडाव बना हुआ है।

सत्ता हो या विपक्ष, सरकार के मंत्रियों से ज्यादा साधारण कार्यकर्ता की बात को अधिक महत्व देते थे चौटाला     

उन्होंने ही पहली बार प्रदेश में खंड स्तर पर सरकार आपके द्वार नामक कार्यक्रम शुरुआत कर पंच सरपंचों व आमजन की शिकायतें, समस्याएं दूर करने की पहल आरंभ कर आमजन का दिल जीत लिया था। वर्ष 1999 से वर्ष 2004 तक के शासन में बाढड़ा विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक सडकों का निर्माण, वृद्धावस्था केंद्रों, युवाओं को रोजगार मे वरियता मिली जिसके कारण चौटाला परिवार के लिए बाढडा सीट सुरक्षित माना जाता है। उनके विश्व स्त रहे पूर्व कर्नल रघबीर छिललर, महेंद्र शास्त्री को कैबिनेट मंत्री के बराबर दर्जे का पद मिला वहीं कर्नल छिललर, रणबीर सिंह मंदौला को विधायक व पूर्व चेयरमैन विजय पंचगावा, एडवोकेट दरियाव सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष नरेश द्वारका, राजेंद्र सिंह हुई समेत अन्य जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को पूरा मान सम्मान मिला।

पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के निधन पर उनके नजदीकी इनेलो जिलाध्यक्ष विजय पंचगावा ने बताया कि उनका निधन देश के किसान मजदूर कमेरे वर्ग का मसीहा का चला जाना है। सत्तर के दशक में देवीलाल मुख्यमंत्री बनने से पहले गांव के लोगों को पता नहीं था कि मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक चंडीगढ़ में कहा रहते हैं और मिलना तो एक सपने के समान था लेकिन ओमप्रकाश चौटाला ने लोगों को चंडीगढ़ बुलाकर न ई परंपरा शुरुआत की जो बाद मे दूसरे दलों के नेताओं को अपनाना पडा।

वह देश की राजनीति में एकमात्र ऐसे महापुरुष थे जो भाग्य से अधिक कर्म में विश्वास करते थे और जब भी समय मिलता आमजन से मिलने निकल जाते थे। पुराने भिवानी जिले से उनका सबसे अधिक अपनापन रहा और जब भी वह उन्हें कोई समस्या बताते तो वह झट से समाधान भी करते और कहते कि जनसेवा करने का जो सौभाग्य देवीलाल की टीम को मिला है वह और किसी के पास नहीं है मन से मजबूत रहकर अधिकारी से मिलो और लोगों की समस्याएं दूर कराओ कोई परेशानी आए तो बता देना देवीलाल का कार्यकर्ता हूँ और चौटाला साहब ने भेजा है। पूर्व विधायक रणबीर सिंह मंदौला ने कहा कि वह इनेलो पार्टी कै साधारण कार्यकर्ता थे लेकिन ओमप्रकाश चौटाला ने उनको बिना मांगे बुलाकर कहा कि टिकट लेकर चुनाव लडना है। एक बार तो विश्वास नहीं हुआ लेकिन ना केवल मुझे विधायक बनाया बाद मे जिलाध्यक्ष बना और  सदैव जनहित से जुडी मेरी हर मांग को पूरा करवाया।

बाढड़ा : पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला अपने पुराने से पुराने कार्यकर्ता के चेहरा, संपर्क नंबर या उसके संगठन के प्रति निष्ठा को नहीं भुलते थे। जब वर्ष 2000 मे चौटाला मुख्यमंत्री बने तो उनके कटटर समर्थक महेंद्र सिंह शास्त्री के जेवली सिथत आवास पर अचानक पुलिस टीम पहुंची तो सबको चौंका दिया। बाद में बताया गया कि प्रदेश के सीएम ने उनको तत्काल प्रभाव से चंडीगढ़ तलब किया है। इसपर क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया वहीं दूसरे ही दिन उनको हरियाणा लोकसेवा आयोग के सदस्य के रूप में शपथ दिलाई गई जो बहुत ही जिम्मेदारी का पद माना जाता है। चौटाला उनको सदैव साधारण व ईमानदार मानते थे और आजीवन साथ रखते रहे।

चौटाला अपने समर्पित कार्य कर्ता के साथ रहकर बडा अच्छा महसूस करते थे। छह माह पहले अचानक ही वह बिमार हो गए जिस पर उपचार के बाद तेजाखेडा फार्म हाउस में उनको आराम करने के लिए रखा गया। इसी दौरान इनेलो जिलाध्यक्ष विजय पंचगावा अपने पुत्र के विवाह कार्यक्रम के गोद कार्यक्रम के लिए अभयसिंह चौटाला को निमंत्रण पत्र देने गए थे लेकिन बुजुर्ग चौटाला ने कहा कि वह उनके आवास पर आऐंगे। इस पर सबने उनको स्वास्थ्य का हवाला देकर विश्राम करने की अपील की लेकिन चोटाला सिरसा से तीन सौ किलोमीटर दूर निमराणा पहुंच कर सारा दिन वहीं रहकर आशीर्वाद दिया।   इनेलो के पूर्व हल्का अध्यक्ष ऋषिपाल उमरवास, पूर्व मिडिया प्रभारी राजेंद्र सिंह हुई व इनेसो अधयक्ष विजय शयोराण ने कहा कि उनके निधन से किसानों के सबसे हितैषी युग का अंत हो गया है।

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