- अमन सहरावत के ननिहाल में रात्रि से ही छूटे पटाखे, भांजे की कामयाबी पर सवामणी लगाकर आनलाईन बधाई दी
(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। पेरिस ओलंपिक में शुक्रवार की रात्रि को पहलवान अमन सहरावत के ब्रांज मैडल जीतने का ज्योंही फैसला आया तो उनके ननिहाल हड़ौदी में खुशी में एक दूसरे को बधाई देने वालों का तांता लग गया और जमकर पटाखे छोड़े गए। उनके मामा धर्मपाल पूनिया, धर्मबीर सिंह, वजीर सिंह इत्यादि ने विडियो काल करके उनको बधाई दी तथा शनिवार शाम को गांव के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल दादा भैंया धार्मिक स्थल पर सवामणी का वितरण कर मुहं मीठा करवाया। अमन के मामा धर्मपाल सिंह पूनिया ने बताया कि अमन ने उनकी बहन व जीजा का सपना पूरा किया है और जल्द ही उसको गांव में लाकर भव्य स्वागत किया जाएगा।
गांव बिरोहड़ निवासी पहलवान अमन कुमार पहली बार पेरिस ओलंपिक में 57 किलोग्राम की स्पर्धा में भागीदारी कर रहे हैं और सबसे छोटी आयु के खिलाड़ी हैं। ओलंपिक मुकाबलों में उनका मुकाबला प्यूर्तो रिको देश के पहलवान क्रूज से निर्धारित किया था जिसके मुकाबले को लेकर उनके ननिहाल हड़ौदी में सुबह से ही मैच देखने के लिए रौमांचक बना रहा। शाम होते ही सभी लोग मैच को देखते रहे और सांस रोककर एक एक दांव पेंच को देखते रहे। शुक्रवार की रात्रि को पहलवान अमन सहरावत के ब्रांज मैडल जीतने का ज्योंही फैसला आया तो उनके ननिहाल हड़ौदी में खुशी में एक दूसरे को बधाई देने वालों का तांता लग गया और जमकर पटाखे छोड़े गए। जिला पार्षद सुभाष मान, प्रदीप मंढोली, पूर्व सरपंच सुनील एडवोकेट, पंच सुरेन्द्र सिंह, जगबीर चांदनी, एसडीओ जयबीर सिंह, प्रदीप पूनिया, मा. सुरेन्द्र सिंह, वेदपाल, विकास इत्यादि सहित कार्यक्रम में सैंकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।
मामा ने भावुकता में कहा हमारा भांजा देश का हीरो
गांव हड़ौदी निवासी अमन के मामा धर्मपाल सिंह ने बताया कि उनके भांजे का परिवार पिछले पच्चास साल से कुश्ती से जुड़ा है। अमन के ताऊ कुश्ती में हिंद केसरी का खिताब पा चुके हैं और पारिवारिक जुड़ाव के कारण अमन को भी परिवार ने कुश्ती में भेजा। मामा ने भावुक होकर बताया कि उनके भंाजे अमन बिरोहड़ को वर्ष 2013 में उनकी बहन कमलेश व जीजा सोमबीर सिंह वे बड़े चाव से दिल्ली के सतपाल अखाड़े में भेजा था और उसके बाद अगले ही दोनों का निधन हो गया जिसके बाद अमन व भंाजी पूजा की परवरिश में दोनों परिवारों ने कोई कमी नहीं छोड़ी। सतपाल सिंह के मार्गदर्शन व कड़े प्रशिक्षण के बाद अमन का खेल लगातार सुधरता गया। उन्होंने 21 वर्ष की आयु में ही उनका ओलंपिक गेम्स के लिए चयन करने पर खेलप्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई। ओलंपिक में अब तक संपन्न हुए सभी मुकाबलों में उसका प्रदर्शन बहुत शानदार रहा वहीं शुक्रवार को हुए मुकाबले में उनकी मेहनत व समय पर सटिक दांव ने उसके भाग्य को ही बदल दिया है। भंाजे की ऐतिहासिक जीत पर उनके लिए जीवन का सबसे बड़ा सुखी पल है और सबसे छोटी आयु होने के कारण वह अगले ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रहेगा। आज हमारा भांजा इस देश का हीरो है।
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