वहीं शिरोमणि अकाली दल ने चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा की नई बिल्डिंग के लिए एनजीटी की ओर से मंजूरी दिए जाने पर एतराज जताया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का है। केंद्र सरकार चंडीगढ़ पर अवैध तरीके से कब्जा करवा रही है।
विधानसभा के नए भवन को लेकर 2023-24 के बजट में 50 करोड़ की राशि का प्रावधान किया जा चुका है। ईको जोन में होने के कारण इस जमीन पर किसी तरह का कोई निर्माण नहीं हो सकता था। इसलिए चंडीगढ़ प्रशासन ने इस जमीन को लेने पर आपत्ति जता दी थी। बताया जा रहा है कि यह जमीन अब जल्द ही चंडीगढ़ प्रशासन को ट्रांसफर कर दी जाएगी। विधानसभा के नए भवन के लिए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने काफी प्रयास किए थे। उन्होंने इस मुद्दे को कई बार पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने रखा था। पर्यावरण की क्लीयरेंस के लिए भी उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से भी मुलाकात की थी। इसके लिए उन्होंने सभी का आभार भी जताया। गुप्ता ने मौजूदा स्पीकर हरविंदर कल्याण से उम्मीद जताई है कि उनके नेतृत्व में हरियाणा का नया विधानसभा भवन चंडीगढ़ में भव्य रूप से बनेगा।
पंजाब जता चुका है विरोध
हरियाणा के नए विधानसभा भवन के लिए पंजाब विरोध जता चुका है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत अन्य मंत्रियों ने चंडीगढ़ में नए भवन के लिए जमीन देने का विरोध जताया था। साथ ही चंडीगढ़ प्रशासन से नई विधानसभा और हाईकोर्ट के लिए चंडीगढ़ में जमीन की मांग की थी। दरअसल प्रस्तावित नए परिसीमन लागू होने के बाद हरियाणा में विधायकों की संख्या 90 से बढ़कर 126 हो जाएगी। हरियाणा विधानसभा में सिर्फ 90 विधायकों के बैठने की जगह है। परिसीमन के बाद 126 विधायकों का बैठना मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में नए भवन की जरूरत पड़नी थी।
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