मनीषीश्रीसंत ने अंत मे फरमाया याद रखें आप जिसे अपनाते हैं उसी की तरफ बढने लग जाते हैं और जिससे नफरत करते हैं उससे दूर होते जाते हैं चाहे आप गरीबी अपनाये या अमीरी, ये सब आपके हाथ में ही होता है।आप जो विश्वास करेंगे वही बन जायेंगे, अगर आप अमीरों से नफरत करते हैं तो सीधे से आपके दिमाग में इसका गलत संकेत जायेगा, चाहे आपको पता चले या नहीं और आपका दिमाग कभी अमीर बनने के लिए न तो तैयार होगा और न ही आपके अमीर बनने में कोई मदद करेगा। हम जो बनना चाहते हैं उसी से हमे नफरत हो तो हम वह कैसे बन पाएंगे मुझे यकीन है आप अमीर बनना चाहते हैं. तो अपने अंदर के बिरोधाभास को खत्म कीजिये और उन लोगों का सम्मान करना सुरु कर दीजिये जो अपनी मेहनत की बल पर ऊचाई तक पहुचे हैं उनको कोसने के बजाये उनसे सीखिए उनके प्रयासों, लगातार कोशिशों और मेहनत से सीखिए. यकीनन यह सब करके आप उनका कोई फायदा नही करेंगे बल्कि अपनी ही मदद करेंगे यह सब करके आप अपने लिए समृद्धि के दरवाजे खोल रहे है. आजकल मैं देखती हूँ हर जगह लोग विरोधभास वाली सोच रखते हैं चाहते कुछ और हैं और करते कुछ और ही हैं, जैसे- सबको शहरों, गावों, सडकों में सब जगह सफाई चाहिए लेकिन जहाँ चाहे वहीं खुद कूड़ा फेंक देते हैं, हर किसी को देश में एकता चाहिए लेकिन खुद धर्म, जाति के नाम पर लड़ते रहेंगे।
मनीषीश्रीसंत ने अंत मे फरमाया देखादेखी के चक्कर में किसी नौकरी को पाने में वे जितनी मेहनत करते है उतनी मेहनत अगर वे उस काम में करने लगे, जिसमे उनकी रूचि है तो वे कई गुना अधिक सफल हो सकते हैं, क्योंकि जब आदमी अपनी रूचि से काम करता है तो वह अपने काम पर फोकस करता है जो उसके काम की गुणवत्ता को कई गुना बढ़ा देता है जिससे उसके सफल होने के मौके कई गुना बढ़ जाते हैं. यदि आप भी इस तरह की किसी रेस में सामिल हो चुके हैं तो जरा सोचिये और खुद से पूछिये , क्या आप उस काम को करने में बहुत खुश महसूस कर रहे हैं या करेंगे? क्या इसी काम में आपकी रूचि है?