Chandigarh News: खुश रहने का आपका अपना हक:मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक

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Chandigarh News, चंडीगढ़: आज संसार मे हर कोई परेशान है आनंद मे है तो वो है जो किंतु परंतु किये बगैर गुरू के बताये मार्ग पर चल रहा है। अपने बच्चे को सामने खेलता देख अक्सर यह सोचती इसी तरीके से एक दिन मेरा भी बचपन बीता था अब मेरे बच्चे को मैं अपनी आंखों के सामने देख रही हूं जैसे वह बचपन मानो फिर से जी रही हूं….धीरे-धीरे मैंने यह सीख लिया कि हमारी खुशियों की चाबी किसी और के हाथ में नहीं होती हमारी खुशियों की चाबी होती है हमारे हाथ में और उस दरवाजे का ताला भी हमें ही खोलना है अपने दिल के हर अरमान रखिए हर अरमान पूरे करिए मगर खुद से कभी दूसरों से आशा मत करिए कि कोई आपको अगर पूछेगा आपसे अपने दिल की बातें कहेगा चाहे आपं का कितना भी करीबी हो तो ही आपकी जिंदगी में खुशी है तो ही सामने वाले को आपसे प्यार है। प्यार और इज्जत आज मुझे मेरी मां बहन मेरी सास और ननद उतनी ही देते हैं जितने कि मैं शायद आशा भी नहीं करती मगर जिस दिन से मैंने आशा करना छोड़ दिया और अपनी खुशियों की चाबी से अपनी खुशियों के दरवाजे खुद खोलने शुरू कर दिए तब से मेरी जिंदगी में मुझे कभी भी अपने मन के उत्साह और खुशी के लिए किसी और पर निर्भर करने की जरूरत नहीं है मैं हर पल खुश रहती हूं और अपने हर पल को जीती हूं…. ये शब्द मनीषीसंतश्रीमुनिविनयकुमार जी आलोक ने सैक्टर-24 सी  अणुव्रत भवन  तुलसीसभागार में सभा को संबोधित करते हुए कहे।

मनीषीश्रीसंत ने अंत मे फरमाया याद रखें आप जिसे अपनाते हैं उसी की तरफ बढने लग जाते हैं और जिससे नफरत करते हैं उससे दूर होते जाते हैं चाहे आप गरीबी अपनाये या अमीरी, ये सब आपके हाथ में ही होता है।आप जो विश्वास करेंगे वही बन जायेंगे, अगर आप अमीरों से नफरत करते हैं तो सीधे से आपके दिमाग में इसका गलत संकेत जायेगा, चाहे आपको पता चले या नहीं और आपका दिमाग कभी अमीर बनने के लिए न तो तैयार होगा और न ही आपके अमीर बनने में कोई मदद करेगा। हम जो बनना चाहते हैं उसी से हमे नफरत हो तो हम वह कैसे बन पाएंगे  मुझे यकीन है आप अमीर बनना चाहते हैं. तो अपने अंदर के बिरोधाभास को खत्म कीजिये और उन लोगों का सम्मान करना सुरु कर दीजिये जो अपनी मेहनत की बल पर ऊचाई तक पहुचे हैं उनको कोसने के बजाये उनसे सीखिए उनके प्रयासों, लगातार कोशिशों और मेहनत से सीखिए. यकीनन यह सब करके आप उनका कोई फायदा नही करेंगे बल्कि अपनी ही मदद करेंगे यह सब करके आप अपने लिए समृद्धि के दरवाजे खोल रहे है. आजकल मैं देखती हूँ हर जगह लोग विरोधभास वाली सोच रखते हैं चाहते कुछ और हैं और करते कुछ और ही हैं, जैसे- सबको शहरों, गावों, सडकों में सब जगह सफाई चाहिए लेकिन जहाँ चाहे वहीं खुद कूड़ा फेंक देते हैं, हर किसी को देश में एकता चाहिए लेकिन खुद धर्म, जाति के नाम पर लड़ते रहेंगे।

मनीषीश्रीसंत ने अंत मे फरमाया देखादेखी के चक्कर में किसी नौकरी को पाने में वे जितनी मेहनत करते है उतनी मेहनत अगर वे उस काम में करने लगे, जिसमे उनकी रूचि है तो वे कई गुना अधिक सफल हो सकते हैं, क्योंकि जब आदमी अपनी रूचि से काम करता है तो वह अपने काम पर फोकस करता है जो उसके काम की गुणवत्ता को कई गुना बढ़ा देता है जिससे उसके सफल होने के मौके कई गुना बढ़ जाते हैं.     यदि आप भी इस तरह की किसी रेस में सामिल हो चुके हैं तो जरा सोचिये और खुद से पूछिये , क्या आप उस काम को करने में बहुत खुश महसूस कर रहे हैं या करेंगे? क्या इसी काम में आपकी रूचि है?