Chandigarh News: मनीषीसंत देश मे अध्यात्मिकता की लहर पैदा कर रहे है- सीएम हरियाणा

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Chandigarh News: मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक के लेख का मै प्रतिदिन अखबारो मे बराबर पढऩे का मौका मिलता रहता है। मनीषीसंत के आज पहली बार दर्शन कर अपने आपको धन्य महसूस कर रहा हूं। हिंदुस्तान की धरती संतो मुनियों की धरती है और यह धरती हमेशा से ही गौरवान्वित होती रही है।

मनीषीसंत ने राजधानी दिल्ली से लेकर पंजाब,हरियाणा व ट्राईसिटी मे अध्यात्मिक की जो लहर पैदा कर रहे है वो आज के समय की सबसे बडी जरूरत है।ये शब्द हरियाणा मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी ने मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक ने शिष्टाचारक मुलाकात की।

सीएम हरियाणा ने कहा मैने बहुत पढा कि जैन संतो की चर्या पृथ्वी पर सबसे कठिन है लेकिन आज मनीषीसंत को साक्षात देखकर उसे नजदीक से देख भी लिया। मनीषीसंत का जीवन तप त्याग का अनूठा संगम है। मनीषीसंत की इस उम्र मे भी कार्य करने की क्षमता बेजोड है, मनीषीसंत सादगी, विनम्रता और विशालता की जीती जागती मिशाल है।

आध्यात्मिकता का किसी धर्म, संप्रदाय या मत से कोई संबंध नही- मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक
इस दौरान मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक ने कहा अध्यात्मिकता का मतलब है, भौतिकता से परे जीवन का अनुभव करना. यह एक व्यक्तिगत अनुभव है। आध्यात्मिकता का आधार स्वयं का आत्मनिरीक्षण है. आध्यात्मिकता के ज़रिए, व्यक्ति अपने अस्तित्व को समझता है और अपने आनंद का स्रोत खुद को ही मानता है।

आध्यात्मिकता का किसी धर्म, संप्रदाय या मत से कोई संबंध नहीं है। आप अपने अंदर से कैसे हैं, आध्यात्मिकता इसके बारे में है। आध्यात्मिक होने का मतलब है, भौतिकता से परे जीवन का अनुभव कर पाना। अगर आप सृष्टि के सभी प्राणियों में भी उसी परम-सत्ता के अंश को देखते हैं, जो आपमें है, तो आप आध्यात्मिक हैं।

मनीषीसंत ने आगे कहा अगर आपको बोध है कि आपके दुख, आपके क्रोध, आपके क्लेश के लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है, बल्कि आप खुद इनके निर्माता हैं, तो आप आध्यात्मिक मार्ग पर हैं। आप जो भी कार्य करते हैं, अगर उसमें सभी की भलाई निहित है, तो आप आध्यात्मिक हैं। अगर आप अपने अहंकार, क्रोध, नाराजगी, लालच, ईष्र्या और पूर्वाग्रहों को गला चुके हैं, तो आप आध्यात्मिक हैं।

बाहरी परिस्थितियां चाहे जैसी हों, उनके बावजूद भी अगर आप अपने अंदर से हमेशा प्रसन्न और आनंद में रहते हैं, तो आप आध्यात्मिक हैं। अगर आपको इस सृष्टि की विशालता के सामने खुद की स्थिति का एहसास बना रहता है तो आप आध्यात्मिक हैं। आपके अंदर अगर सृष्टि के सभी प्राणियों के लिए करुणा फूट रही है, तो आप आध्यात्मिक हैं।

मनीषीसंत ने अंत मे फरमाया आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि आप अपने अनुभव के धरातल पर जानते हैं कि मैं स्वयं ही अपने आनंद का स्रोत हूं। आध्यात्मिकता मंदिर, मस्जिद या चर्च में नहीं, बल्कि आपके अंदर ही घटित हो सकती है। यह अपने अंदर तलाशने के बारे में है। यह तो खुद के रूपांतरण के लिए है। यह उनके लिए है, जो जीवन के हर आयाम को पूरी जीवंतता के साथ जीना चाहते हैं। अस्तित्व में एकात्मकता व एकरूपता है और हर इंसान अपने आप में अनूठा है। इसे पहचानना और इसका आनंद लेना आध्यात्मिकता का सार है।