Chandigarh News|चंडीगढ़: शहर की स्वयंसेवी संस्था युवसत्ता, इंटरनेशनल सिख कन्फेडरेशन और पीसबिल्डर्स इंडिया फोरम की ओर से वीरवार को चंडीगढ़ के सेक्टर 28 स्थित गुरु ग्रंथ साहिब भवन में ‘नेतृत्व विफलताओं और राजनीतिक उदासीनता के बीच मणिपुर का संकट’ विषय पर एक चर्चा का आयोजन किया। इस चर्चा में मुख्य वक्ता ब्रदर पीटर (बॉबी मैथ्यू चाको) थे, जो केरल स्थित एनजीओ दिव्यकारुण्य मिशन के उपाध्यक्ष हैं तथा जिन्होंने मणिपुरी शरणार्थियों के साथ काम करने के लिए बड़े पैमाने पर यात्रा की थी। उन्होंने विभिन्न जनजातियों और धार्मिक नेताओं से मिलकर कई शांति स्थापना गतिविधियां भी शुरू की थीं।
इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में कर्नल जेएस मुल्तानी, इंटरनेशनल सिख कन्फेडरेशन के शेर जगजीत सिंह, युवसत्ता के संस्थापक प्रमोद शर्मा, चंडीगढञ के पूर्व डीपीआई स्कूल्स एसके सेतिया, चंडीगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष प्रो. देवी सिरोही और छाया पत्रकार पंकज शर्मा शामिल थे। विषय का परिचय देते हुए कर्नल मुल्तानी ने बताया कि मणिपुर जो कभी बहुत सुंदर, शांतिपूर्ण और मिलनसार तथा सरल लोगों वाला राज्य था, अब एक खंडित राज्य है जो जातीय संघर्ष, व्यवस्थागत उपेक्षा और बढ़ती अस्थिरता से ग्रस्त है। अशांति और तनाव के बीच-बीच में उभरने से मणिपुर एक खुले युद्ध क्षेत्र में बदल गया है।
ब्रदर पीटर ने कहा कि मई 2023 में जब से इम्फाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक समुदाय मैतेई लोगों और आसपास की पहाड़ियों के कुकी-ज़ोमी आदिवासी समुदाय के बीच जातीय लड़ाई शुरू हुई है, तब से मणिपुर संघर्ष, हिंसा और अविश्वास से ग्रस्त है। एकीकृत कमान और अपनी जिम्मेदारी से विमुख होती प्रतीत होने वाली राज्य सरकार के अभाव में, सुलगते जातीय संकट ने मणिपुर को संघर्ष क्षेत्र में बदल दिया है, जहां अक्सर हिंसा भड़कती रहती है। पिछले 19 महीनों में हिंसा ने 250 से अधिक लोगों की जान ले ली है और 1,00,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं – इनमें से कई लोग अब राहत शिविरों में रह रहे हैं या राज्य की सीमाओं से बाहर चले गए हैं। हिंसा से त्रस्त मणिपुर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी हैरान करने वाली है क्योंकि जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से उन्होंने राज्य का दौरा नहीं किया है। मणिपुर में शासन की निष्क्रियता नई दिल्ली के गंभीर हस्तक्षेप के बिना बहुत लंबे समय से बनी हुई है।
शेर जगजीत सिंह ने कहा कि जन्म सखी जैसे सिख इतिहास में वर्णित है कि जब श्री गुरु नानक देव जी भारत के उत्तर पूर्वी भाग में यात्रा कर रहे थे, तो उन्होंने मणिपुर में प्रवेश किया, वहां दो शिष्यों से मुलाकात की, एक संगत की स्थापना की और इम्फाल के माध्यम से कछार चले गए। और अब समय आ गया है कि लोग कुछ निर्णायक कदम उठाएं, ताकि मणिपुर में शांति की ताकतों और विवेक की आवाज को मजबूत किया जा सके। उन्होंने कहा कि जल्द ही इंटरनेशनल सिख कन्फेडरेशन -आईएससी और युवसत्ता के स्वयंसेवक मणिपुर में श्री गुरु नानक देव जी से जुड़े स्थानों का दौरा करेंगे। युवसत्ता के संस्थापक और पीसबिल्डर्स इंडिया फोरम के प्रतिनिधि प्रमोद शर्मा ने अपने समापन भाषण में महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘शांति का कोई रास्ता नहीं है, शांति ही रास्ता है’। और आने वाले दिनों में वे मणिपुर में परिवर्तनकारी बदलाव के लिए कुछ निर्णायक कार्रवाई के लिए पीसबिल्डर्स के अपने नेटवर्क को और व्यापक बनाने की योजना बना रहे हैं।