Chandigarh News : यूके के क् लाइमेट-कंपैटिबल ग्रोथ नेटवर्क ने क्लाइमेट-कंपैटिबल ग्रोथ पर महत्वपूर्ण कार्यशाला की शुरुआत की

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Chandigarh News | चंडीगढ़ : चंडीगढ़ क्लाइमेट-कंपैटिबल ग्रोथ पर अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में शुरू हुई। दो-दिवसीय प्रतिष्ठित कार्यशाला “उत्तर भारत प्रारंभिक कार्यशाला – क्लाइमेट-कंपैटिबल ग्रोथ (CCG)” का आयोजन पंजाब विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग द्वारा यूके के क्लाइमेट-कंपैटिबल ग्रोथ नेटवर्क (CCG) और ब्रिटिश डिप्टी हाई कमीशन, चंडीगढ़ के सहयोग से किया जा रहा  है।इस दो-दिवसीय कार्यशाला के मुख्य अतिथि ब्रिटिश डिप्टी हाई कमिश्नर चंडीगढ़, सुश्री कैरोलाइन रोवेट और पंजाब विश्वविद्यालय के अनुसंधान विकास प्रकोष्ठ की निदेशक प्रो. योजना रावत थीं। अपने उद्घाटन भाषण में, सुश्री रोवेट ने बताया कि यूके सरकार अपने “क्लाइमेट-कंपैटिबल ग्रोथ” कार्यक्रम के माध्यम से विकासशील देशों में कम-कार्बन विकास और अनुसंधान पहल का समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि जलवायु संकट को कुछ अलग-अलग प्रयासों या किसी एक देश की कार्रवाई से हल नहीं किया जा सकता। इसके लिए वैश्विक सहयोग और त्वरित, निरंतर प्रयास आवश्यक हैं।प्रो. रावत ने हरित नवाचारों में निवेश करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए विकास, स्थिरता और लचीलेपन का मार्ग तैयार करेगा। उन्होंने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय की इस कार्यक्रम में भागीदारी केवल एक परियोजना नहीं है, बल्कि विकसित भारत (विकसित राष्ट्र) के लिए स्थायी विकास को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता और मूल्यों का प्रतिबिंब है।
इस कार्यशाला का समन्वय यूके के क्लाइमेट-कंपैटिबल ग्रोथ नेशनल पार्टनरशिप्स टीम की डॉ. एलिजाबेथ टेनीसन, ब्रिटिश हाई कमीशन चंडीगढ़ की सीनियर एडवाइजर सुश्री मधु मिश्रा, और पंजाब विश्वविद्यालय की प्रो. रमनजीत कौर जौहल व प्रो. सुमन मोर ने किया। उन्होंने बताया कि यह नेटवर्क मुख्य रूप से जलवायु-संगत स्थायी शहरों, हरित ऊर्जा और स्थायी कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर काम करेगा। डॉ. टेनीसन ने कार्यशाला को लेकर उत्साह व्यक्त करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम उत्तर भारत के प्रमुख विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर जलवायु-संगत विकास को समर्थन देने वाले अनुसंधान परियोजनाओं का सह-निर्माण करने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय के साथ मजबूत साझेदारी की सराहना की और भविष्य में सहयोग की आशा जताई।
सुश्री मिश्रा ने कहा कि “क्लाइमेट-कंपैटिबल ग्रोथ” कार्यक्रम आर्थिक विकास को पर्यावरणीय संरक्षण के साथ संतुलित करने की एक सक्रिय रणनीति है।कार्यशाला का पहला तकनीकी सत्र “ग्रीन एनर्जी” पर केंद्रित था, जिसकी अध्यक्षता पंजाब विश्वविद्यालय के CIL निदेशक प्रो. गौरव वर्मा ने की। इस सत्र में पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी के निदेशक श्री एम.पी. सिंह ने पंजाब की हरित ऊर्जा प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला। बायोशक्ति के निदेशक श्री गुरजोत सिंह ने औद्योगिक अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन पर चर्चा की। ICF कंसल्टिंग के निदेशक श्री पुनीत गोयल ने ग्रीन हाइड्रोजन पर वैश्विक दृष्टिकोण साझा किया, जबकि यूसीएल एनर्जी इंस्टीट्यूट, लंदन के रिसर्च फेलो श्री लियोनहार्ड होफबाउर ने ऊर्जा प्रणाली मॉडलिंग पर CCG के शोध को प्रस्तुत किया। प्रो. वर्मा ने सत्र का समापन करते हुए टिकाऊ विकास के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों के विकास की आवश्यकता पर बल दिया।
दोपहर का सत्र “सस्टेनेबल एग्रीकल्चर” पर केंद्रित था, जिसकी अध्यक्षता पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के पूर्व कुलपति डॉ. बी.एस. घुम्मन ने की। इस सत्र में पंजाब के पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन निदेशालय के  गुरहरमिंदर सिंह ने टिकाऊ कृषि प्रथाओं और कार्बन क्रेडिट पर प्रस्तुति दी।