Chandigarh News |चंडीगढ: आज जिस दौर से समाज गुजर रहा है वह बेहद ही नाजुक स्थिति वाला दौर है। अभिभावको को समझना होगा कि बच्चो के अंदर अच्छे संस्कारो का समन्वयय हो। जिस तरह से युवा अपराध की दुनिया की तरफ बढ रहा है यह चितंनशील विषय है। कई कारक हैं जो युवा पीढ़ी को अपराध करने के लिए उकसाते हैं। यहाँ इनमें से कुछ पर एक नजऱ डाली गई है शिक्षा की कमी, बेरोजग़ारी, पावर प्ले, जीवन की ओर पनपता असंतोष, बढ़ती प्रतिस्पर्धा निष्कर्षयह माता-पिता का कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों का पोषण करें और उन्हें अच्छा इंसान बनने में मदद करें। देश के युवाओं के निर्माण में शिक्षक भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं। उन्हें अपनी ज़िम्मेदारी गंभीरता से निभानी चाहिए। ईमानदार और प्रतिबद्ध व्यक्तियों को पोषित करके वे एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर रहे हैं। ये शब्द मनीषीसंतश्रीमुनिविनयकुमार जी आलोक ने सैक्टर-24 सी अणुव्रत भवन तुलसीसभागार में रविवारीय सभा को संबोधित करते हुए कहे।
मनीषीश्रीसंत ने अंत मे फरमाया जिंदगी को रास्ता बनाना आता है, बस आप नाविक की तरह तूफान में पतवार थामे रहे। समय कैसा भी हो आप सबसे जरूरी हैं. आप हैं तो आसमां में तारे, समंदर में मौजें हैं. कम से कम एक दोस्त हो, जिससे कुछ कहते हुए मन डरे न. उसके सामने सब उडेल सकें.बड़े, बुजुर्ग हमारे साथ रहने के लिए हैं, अनाथालय में नहीं. उन्हें आदर, बच्चों को प्रेम दें.मन के अंधेरे, दूसरों के लिए जमी मैल, अप्रिय याद को हर कोने में प्रेम की रोशनी फैला दें.सबसे जरूरी बात फिर दोहराता हूं ‘बच्चे आपके हैं, आपके लिए नहीं.’ उनका जन्म आपके सपने पूरे करने के लिए नहीं, अपने सपने पूरे करने को हुआ है. किसी के सपने में बाधा मत बनिए, भले ही वह आपके बच्चे क्यों न हों. बाधा किसी को नहीं सुहाती। इसलिए, प्रेम करिए. बच्चों को ताजी हवा के झोंके दीजिए. बड़ों को वह आदर दीजिए, जिसे पाने का अरमान आप आंखों में संजो रहे हैं!