Chandigarh News: पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के इस दावे का खंडन किया है कि पुनर्वास योजनाओं में मालिकाना हक देने का कोई प्रावधान नहीं है। बंसल ने कहा है कि चंडीगढ़ स्मॉल फ्लैट्स योजना-2006 में 20 साल की अवधि समाप्त होने के बाद आवंटित फ्लैट की खरीद के लिए योजना तैयार करने का प्रावधान है।
बंसल ने केंद्र सरकार के रुख को शहर में सभी पुनर्वास कॉलोनियों में रहने वाले निवासियों के लिए एक बड़ा झटका और अन्याय बताया है। कहा कि दशकों से समाज के कमजोर वर्गों से जुड़े इन लोगों ने चंडीगढ़ को आधुनिक बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है, लेकिन वे खुद झुग्गियों में रहते रहे हैं।
कांग्रेस ने 1975 से उनके पुनर्वास के लिए योजनाएं शुरू की थीं। जब वे नियमों में किसी आवश्यक संशोधन के साथ मालिकाना हक दिए जाने की उम्मीद कर रहे थे तो एनडीए सरकार ने उनकी उम्मीदों को धराशायी कर दिया है। बंसल ने कहा कि यह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वयं के स्वामित्व वाले घर उपलब्ध कराने के घोषित उद्देश्य के भी खिलाफ हैं। इसने छोटे फ्लैट योजना के तहत आगे के निर्माण को बीच में ही रोक दिया है और नए आवंटियों के लिए लाइसेंस शुल्क 800 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 3,000 रुपये कर दिया है, जिसे गरीब लोग वहन करने में असमर्थ हैं।

स्कीम के अनुसार जल्द बनानी थी पॉलिसी, अधिकारियों ने नहीं दिया ध्यान

रिहैबिलिटेशन कॉलोनी वेलफेयर एसोसिएशन-38वेस्ट के महासचिव वकील जीवाराज ने कहा कि 2006 की स्मॉल फ्लैट्स स्कीम के तहत लाभार्थियों को किराए के मासिक आधार पर फ्लैट आवंटित किए गए थे, जिसमें बाद में स्वामित्व देने का प्रावधान था। हालांकि, इस योजना के खंड 20 के तहत अब तक सक्षम प्राधिकारी-सचिव चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड द्वारा स्वामित्व प्रदान करने की कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। लाभार्थियों को उम्मीद थी कि वे वर्षों से रह रहे फ्लैट्स के कानूनी मालिक बन जाएंगे, लेकिन योजना के क्रियान्वयन में हो रही देरी ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। प्रशासनिक स्तर पर इस मामले में ठोस कार्रवाई न होने के कारण हजारों परिवार अनिश्चितता में हैं।