Chandigarh News: विजेता वही होता है जो विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारता:

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Chandigarh News: विजेता वही होता है जो विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारता और विपरीत परिस्थितियों में वही अपने पथ से नहीं डिगता जिसे खुद पर भरोसा रहा हो। कहते है कि प्रतिभा किसी सुविधा या पैसों की मोहताज नहीं होती। यदि मन में लक्ष्य हासिल करने की सच्ची लगन हो तो विपरीत परिस्थितियों में भी बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है।

भिवानी बोर्ड द्वारा घोषित किए बारहवीं के परीक्षा परिणामों में हासी के तीन विद्यार्थियों ने प्रतिकूल परिस्थितियों में उत्कृष्ट परिणाम हासिल कर इस बात को साबित कर दिखाया है। जिसने भी खुद पर भरोसा किया, आगे चलकर पूरी दुनिया ने उसका भरोसा किया।

एक बच्चा जो चार वर्ष की उम्र तक बोल नहीं पाता था और जिसने सात वर्ष की उम्र तक पढऩा भी नहीं सीखा था उस पर किसने विश्वास किया होगा कि यह अयोग्य समझा जाने वाला बालक आगे जाकर सापेक्षता का सिद्धांत देगा। हां,ये आइंसटीन ही थे। ये शब्द मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजी आलोक ने सैक्टर 24सी अणुव्रत भवन में सभा को संबोधित करते हुए कहे।

मनीषीसंत ने आगे कहा महात्मा गांधी, विंस्टन चर्चिल, मोहम्मद अली, स्पीलबर्ग जैसे अनेक उदाहरण हैं जिन्हें अपने शुरुआती जीवन में भयानक पराजय झेलनी पड़ी, जिनका उपहास उड़ाया गया, लेकिन उन्होंने खुद पर भरोसा बनाए रखा और ये आज मानव समुदाय के लिए अनुकरणीय हैं। स्वयं पर भरोसा ही सफलता की कुंजी है, क्योंकि यह किसी भी प्रकार के भय को हावी नहीं होने देता है।

भयमुक्त प्रयास सफलता लाता ही है। आत्मविश्वास जूझने की शक्ति प्रदान करता है। सफल व्यक्तियों का जीवन हमें प्रेरित करता और उनकी तरह सभी सफल होना चाहते हैं, लेकिन यहां यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि हम सफलता को सिर्फ अंतिम परिणाम के आधार पर ही न आंकें। सफलता के अनेक चरण होते हैं और अंतिम सफलता भी उसी का एक हिस्सा है।

मनीषीश्रीसंत ने अंत मे फरमाया आप में इतनी शक्ति है कि यदि चाहें तो अपनी शक्तियों का विस्तार करके इतिहास रच सकते हैं। व्यक्ति तीन प्रकार के होते हैं। एक वे हैं जो किसी काम के बारे में सुनते ही यह कह देते हैं कि यह काम हमसे होगा ही नहीं। इस प्रकार वे हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं और दूसरे की राह ताकते रहते हैं कि कोई दूसरा उसका काम कर ही देगा।

दूसरे वे जो उस काम को करना चाहते हैं और शुरू भी करते हैं, लेकिन किसी कठिनाई के सामने आते ही उसे छोडकऱ पीछे लौट जाते हैं। यह जाने बगैर कि इसका अंजाम क्या होगा। तीसरे वे जो काम शुरू करने से पहले दस बार सोचते हैं, लेकिन जब सोच लेते हैं तो फिर काम खत्म करके और उसका परिणाम लेकर ही दम लेते हैं। इन्हें सर्वश्रेष्ठ कहा जाता है। मेरा मानना है कि ऐसे लोगों से भगवान भी पूछते हैं कि बताओ आपकी इच्छा क्या है, मैं उसे पूरी करता हूं।

हालांकि ऐसा बनना आसान नहीं है, क्योंकि इसके लिए आपको अपने हृदय में संकल्प शक्ति धारण करनी होगी। अब सवाल उठता है कि यह होगा कैसे? हम तो जीवन भर योजनाएं बनाते रहते हैं और करने के समय कुछ नहीं कर पाते हैं, जबकि हमें अपने जीवन के महत्व को समझना चाहिए और यह मानना चाहिए कि इस पृथ्वी पर हमारा जन्म लेना एक महत्वपूर्ण घटना है।