Chandigarh News: मधुर शास्त्रीय गायन एवं सरोद सितार की भीनी स्वर लहरियों से सजा 54वें अखिल भारतीय भास्कर राव नृत्य और संगीत सम्मेलन का दूसरा  दिन

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Chandigarh News: अखिल भारतीय भास्कर राव सम्मलेन के दूसरे दिन आज यहां टैगोर थिएटर में शहर के जानी मानी  शास्त्रीय गायिका डॉ. निवेदिता सिंह द्वारा मधुर गायन और दिल्ली के युवा एवं प्रतिभाशाली   जोड़ी मोहन बंधुओं द्वारा खूबसूरत  सितार सरोद वादन की जोड़ी ने खूबसूरत प्रस्तुति पेश की।    केंद्र के सचिव श्री. सजल कौसर  के साथ गुरु मां डॉ. शोभा कोसर भी इस अवसर पर उपस्थित थीं। केंद्र के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे यूट्यूब और फेसबुक पर भी इस कार्यक्रम का रोजाना सीधा प्रसारण किया जा रहा  है।

एक विद्वान, शिक्षक और कलाकार के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा पर मुहर लगाते हुए  डॉ निवेदिता सिंह  जिनके मंचीय प्रदर्शन हमेशा मनभावन संगीतमय स्वरों का स्वाद के साथ साथ   सुखदायक संतुष्टि के सामंजस्य को बनाये रखने वाली कलाकार है।   आज अपनी मधुर प्रस्तुति से इन्होने दर्शकों का मन जीत लिया।
दूसरी ओर आज के दूसरे कलाकार जोड़ी लक्ष्य मोहन और आयुष मोहन, जिन्हें मोहन ब्रदर्स के नाम से जाना जाता है, सेनिया-मैहर घराने का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे कुशल युवा संगीतकारों में से हैं। पंडित बलवंत राय वर्मा, पद्मभूषण श्रीमती शरण रानी और पद्मश्री पंडित तेजेंद्र नारायण मजूमदार जैसे प्रतिष्ठित गुरुओं से प्रशिक्षित, उन्होंने अपने सितार और सरोद जुगलबंदी से दुनिया भर के श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है। उन्होंने लॉस एंजिल्स में ग्रैमी संग्रहालय में प्रदर्शन करने वाले पहले भारतीय संगीतकारों के रूप में इतिहास बनाया और उन्हें ग्लोबल इंडियन म्यूजिक एकेडमी अवार्ड्स के लिए नामांकित किया गया।। भारत में, उन्होंने सवाई गंधर्व, तानसेन समारोह और सप्तक सहित प्रसिद्ध समारोहों में प्रदर्शन किया है। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में TEDx वार्ता और व्याख्यान प्रदर्शन भी दिए हैं।  सितार और सरोद के उनके अनूठे मिश्रण ने उन्हें आलोचकों की प्रशंसा दिलाई है और इस जोड़ी को इंडिया टुडे द्वारा ‘शास्त्रीय संगीत के अग्रदूत’ के रूप में सम्मानित किया गया है। आज प्राचीन कला केंद्र के संस्थापक स्वर्गीय श्री एम एल कौसर  की पुण्य तिथि थी और इस अवसर पर केंद्र से जुड़े शुभचिंतकों द्वारा पुष्प श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
आज के कार्यक्रम की शुरुआत डॉ निवेदिता सिंह के  संगीतमई पेशकश से हुई।    आलाप के बाद निवेदिता सिंह ने राग रागेश्री में निबद्ध बड़े ख्याल की बंदिश  “शुभ दिन धरी आज ” विलम्बित एक ताल में प्रस्तुत की । इसके पश्चात अपनी मोहक  आवाज में “पिया तोसे लागे मोरे नैना ” बोल के साथ उनकी अगली प्रस्तुति द्रुत तीन ताल में निबद्ध थी। इसके उपरांत इन्होने  छोटे ख्याल की द्रुत तीन ताल में एक रचना मोरे पियवा मोहे कल नहीं आवे पेश की।  उन्होंने अपने कार्यक्रम का  समापन खमाज से सजे सूफ़िआना कलाम आवो सखी सहेलियों से किया । उनके साथ. तबले पर श्री दुर्जय भौमिक और श्री. हारमोनियम पर विदुषी पारोमिता मुख़र्जी  ने बखूबी संगत करके  अपनी  उत्कृष्ट  प्रतिभा  का  पर्दर्शन  किया
इस मधुर प्रस्तुति के बाद मोहन बंधुओं ने अपनी अनूठी जुगलबंदी पेश करने के लिए  मंच संभाला। उन्होंने अनोखे राग हेम बिहाग  को चुना और आलाप और जोड़ के साथ शुरुआत की और इसके बाद द्रुत गति में झाला पेश किया और इसके बाद  उन्होंने राग किरवानी से सजी विलम्बित तथा द्रुत  रचनाएँ पेश की। उन्होंने राग मा ज खमाज में  मनभावन धुन के साथ अपने कार्यक्रम का  समापन किया। उनके साथ प्रख्यात तबला वादक उस्ताद रफ़ीउद्दीन साबरी ने बखूबी संगत करके समां बांधा।
कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को मोमेंटो और उत्तरीया   देकर सम्मानित किया गया। कल अभय रुस्तम सोपोरी के संतूर वादन और सम्राट दत्ता तथा शांतनु  के भरतनाट्यम नृत्य की खूबसूरत प्रस्तुतियां पेश की जाएँगी।