Chandigarh News: गाजीपुर रोड पर सुखना चौ के किनारे जंगल के हजारों पेड़ों की जिंदगी खतरे में

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Chandigarh News: एक तरफ तो सरकारों तथा प्रशासन का जोर धरती के नीचे वाला पानी बचाने की तरफ लगा हुआ है और जगह-जगह पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर डक्स बनाकर बारिश का पानी धरती के नीचे भेजने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं ताकि आने वाली पीढियां को पीने वाले पानी की कमी से न जूझना पड़े, दूसरी तरफ जीरकपुर के गाजीपुर रोड पर सनसिटी अल्टिमा प्रोजेक्ट के बिल्डर द्वारा अपने प्रोजेक्ट में बेसमेंट की खुदाई के दौरान धरती से लगातार निकल रहा हजारों लीटर साफ पानी वापस धरती में डालने की बजाय सुखना चौ में बहाया जा रहा है। जब के गर्मियों के दिनों में शहर के बहुत से क्षेत्र में लोगों को पानी के टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है। इस बर्बाद किया जा रहे पानी की तरफ अधिकारियों का कोई ध्यान नहीं जा रहा।
यह पानी जिस रास्ते से सुखना चौक में जा रहा है वह रास्ता शामलात जमीन है जहां पर ग्रीन प्लैनेट सोसाइटी द्वारा जंगल बनाने के लिए पौधे लगाए जा रहे हैं और हजारों की संख्या में पौधे लगाए भी जा चुके हैं। करीब 2 महीने पहले भी बिल्डर द्वारा यह पानी धरती के नीचे से एक पाइप डालकर सुखना चौक में बहाया जा रहा था लेकिन मामला सुर्खियों में आने के बाद बिल्डर द्वारा बाहर जंगल को पानी देने के बहाने एक छोटी सी टंकी बनवाकर और साथ में एक तालाब बनवाकर यह पानी ग्रीन प्लैनेट सोसाइटी को जंगल के लिए देने के बहाने फिर से सुखना चौ में बहाना शुरू कर दिया।
इस प्रकार से हो रही प्रतिदिन हजारों लीटर पानी की बर्बादी की तरफ अधिकारियों का ध्यान क्यों नहीं गया? यहां पर यह भी सवाल उठता है कि क्या अधिकारी किसी रसूखदार बिल्डर पर कार्रवाई करने से बचने की कोशिश तो नहीं कर रहे? नियमों के अनुसार अगर कोई आम व्यक्ति पीने वाले पानी को निर्माण कार्य करने अथवा अपनी गाड़ी धोने के लिए प्रयोग करता है तो नगर कौंसिल द्वारा उसका चालान किया जाता है क्योंकि वह पीने वाले पानी को बर्बाद कर रहा होता है लेकिन यहां पर प्रतिदिन हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है फिर भी यहां पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

गाजीपुर रोड पर सुखना चौ के किनारे जंगल के हजारों पेड़ों की जिंदगी खतरे में

ग्रीन प्लैनेट सोसाइटी द्वारा सुखना चौक के किनारे घना जंगल बनाया जा रहा है और हजारों की संख्या में पेड़ पौधे लगाई जा रहे हैं दूसरी ओर सनसिटी अल्टिमा प्रोजेक्ट के बिल्डर द्वारा प्रोजेक्ट का मुख्य रास्ता होने के बावजूद पीछे से इस जंगल के बीचो-बीच ग्रेवल डालकर रास्ता बना लिया गया है और प्रोजेक्ट में से निकलने वाली मिट्टी को बड़े-बड़े टिप्परों में भरकर दूसरे प्रोजेक्ट में भेजा जा रहा है जिसके कारण एक तरफ तो सुखना चौ का बेड बर्बाद हो रहा है और दूसरी तरफ बहुत भारी मात्रा में धूल उड़ने के कारण आसपास के पेड़ पौधों को नुकसान पहुंच रहा है।
यहां पर यह सवाल उठता है कि नगर कौंसिल द्वारा एक बिल्डर को जंगल में से जो के श्यामलाल जमीन में बना हुआ है उसमें से बड़े-बड़े टिप्पर निकालने के लिए रास्ता बनाने की इजाजत कैसे दे दी है? अगर बिल्डर ने अपने स्तर पर जंगल में से यह रास्ता बनाया है और बिना इजाजत के अपने टिपर पर यहां से निकल रहा है तो इतने महीना के बाद भी उसके खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की गई?

क्या कहना है ग्रीन प्लैनेट सोसाइटी के अध्यक्ष सुमित भारद्वाज का

सनसिटी प्रोजेक्ट के बिल्डर द्वारा इस जंगल के रास्ते सुखना चौ में पानी गिराने संबंधी ग्रीन प्लैनेट सोसाइटी के अध्यक्ष सुमित भारद्वाज ने कहां के बिल्डर द्वारा यह पानी जंगल के लिए जरूर दिया हुआ है लेकिन ज्यादातर पानी सुखना चौक में जा रहा है और बर्बाद हो रहा है जो के नहीं होना चाहिए। जंगल में से बने रास्ते संबंधी सुमित भारद्वाज ने कहा कि यहां पर पहले भी रास्ता था लेकिन यहां से सिर्फ ट्रैक्टर अथवा हमारे अन्य वाहन ही जाते थे।
सनसिटी अल्टिमा प्रोजेक्ट के बिल्डर का इधर से कोई रास्ता नहीं था। कुछ महीनो से बिल्डर द्वारा इस रास्ते से टिप्पर निकाले जा रहे हैं। जिसके कारण यहां पर धूल उड़ती है और वह पौधों पर जम जाती है इस संबंधी हमने 17 दिसंबर 2024 को डिपार्टमेंट ऑफ़ एनवायरनमेंट इन क्लाइमेट चेंज तथा पंजाब बायोडायवर्सिटी बोर्ड को पत्र लिखा है जिसमें इस धूल मिट्टी से पौधों को होने वाले नुकसान संबंधी जानकारी मांगी है लेकिन ढाई महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक उनका कोई जवाब नहीं आया उनके द्वारा रिपोर्ट आने के बाद ही अगली कार्रवाई की जाएगी।
सनसिटी अल्टिमा प्रोजेक्ट के बिल्डर द्वारा अगर साफ पानी सुखना चौक में गिराया जा रहा है तो उसे मौके पर टेक्निकली देखना पड़ेगा कि वहां पर क्या है। उस जगह पर पौधे भी लगाए जा रहे हैं। अगर धरती के नीचे से निकल रहा पानी बर्बाद हो रहा है उसे सेंट्रल ग्राउंड वॉटर अथॉरिटी वाले चेक करेंगे। अशोक पथरिया, कार्यकारी अधिकारी नगर कौंसिल जीरकपुर।