Chandigarh News | जीरकपुर : बीते 4 अक्टूबर को यहां के ढकोली क्षेत्र में स्थित कृष्ण एनक्लेव में होकर गुजरते हुए बरसाती नाले के किनारे बना हुआ एक मकान ताश के पत्तों की तरह बिखर गया था। गनीमत यह रही के जब यह मकान गिरा था तो उसे समय घर में परिवार का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था वरना किसी जानी नुकसान से इनकार नहीं किया जा सकता था। इसके बाद प्रशासन के हाथ पांव फूल गए थे और अधिकारियों द्वारा इस क्षेत्र में कार्रवाई करने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे क्योंकि नियमों के अनुसार इस नाले के किनारे किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता। लेकिन यहां पर बहुत से मकान बने हुए हैं और गली इतनी तंग है कि यहां पर कोई फायर ब्रिगेड की गाड़ी अथवा कोई अन्य गाड़ी नहीं आ सकती जिसके चलते अगर यहां कोई बड़ा हादसा हो जाए तो बचाव कार्य करना बहुत ही मुश्किल होता है। उसे समय भी जब यह मकान गिरा था तो फायर ब्रिगेड की गाड़ी को गालीके बाहर ही खड़ी करना पड़ा जिसके चलते यहां से सामान निकालने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
किसकी इजाजत से फिर से बनाया गया है यह मकान?
कृष्ण एनक्लेव ढाकोली में नाले के किनारे जब यह मकान गिरा था तो उसे समय अधिकारियों द्वारा कहा जा रहा था के इस नाले के किनारे कोई भी निर्माण नहीं किया जा सकता तथा जो भी यहां पर निर्माण किए गए हैं उन्हें यहां से हटाकर सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा जाएगा लेकिन दो से तीन महीने के बीच इसी जगह पर फिर से मकान बनाकर तैयार हो चुका है। अब यहां पर यह सवाल उठता है कि यह मकान किसकी इजाजत से बनाया गया है? क्या नगर कौंसिल अधिकारियों को इसकी जानकारी है या नहीं?
अगर यहां फिर से कोई हादसा होता है तो किसकी होगी जिम्मेदारी ?
जिक्र योग्य है कि नाले के बिल्कुल किनारे पर बने हुए इस मकान में फिर से कोई हादसा होने से इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि नल का पानी फिर से इस मकान की अथवा अन्य मकानों की नींव में बरसात के दिनों में आ सकता है जिससे किसी भी प्रकार का कोई हादसा हो सकता है तथा जानी नुकसान भी हो सकता है ऐसा हादसा होने की सूरत में क्या नगर कौंसिल अधिकारी ही जिम्मेवार होंगे क्योंकि उन्होंने फिर से हो रहे इस निर्माण को नहीं रोका।
नगर कौंसिल जीरकपुर के कार्यकारी अधिकारी नहीं देते हैं पत्रकारों को कोई जानकारी
डिप्टी कमिश्नर मोहाली आशिक जैन द्वारा नगर कौंसिल जीरकपुर के कार्यकारी अधिकारी अशोक पथरिया को शहर में किसी भी काम संबंधी आधिकारिक बयान देने के लिए नियुक्त किया गया है लेकिन उन्हें किसी भी मामले संबंधी जानकारी लेने के लिए जब भी फोन किया जाता है तो उनके द्वारा पत्रकारों का फोन नहीं उठाया जाता अथवा फोन काट दिया जाता है। एक बार तो उन्होंने यहां तक भी कह दिया था कि आप अगर कोई जानकारी लेनी है तो दफ्तर के समय में ही फोन किया करो। 5:00 बजे के बाद मैं घर पहुंच जाता हूं इसलिए आपसे कोई भी बात नहीं कर सकता।