Chandigarh News: पहले राष्ट्रीय सांस्कृतिक पीथीयन खेल 1630 वर्षों बाद इतिहास रचने के लिए तैयार

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Chandigarh News: चंडीगढ़ –  पहले राष्ट्रीय सांस्कृतिक पीथीयन खेल, एक ऐतिहासिक और नवाचारपूर्ण आयोजन, 1630 वर्षों पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए तैयार हैं, जो कला, संस्कृति और पारंपरिक खेलों के उत्सव को एक साथ जोड़ते हैं। इस आयोजन की घोषणा आज चंडीगढ़ के यूटी गेस्ट हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आधुनिक पीथीयन खेलों के वैश्विक संस्थापक श्री बिजेंद्र गोयल और पीथीयन काउंसिल ऑफ इंडिया के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई।

श्री बिजेंद्र गोयल ने पीथीयन खेलों के ऐतिहासिक महत्व पर जोर देते हुए बताया कि इन खेलों की शुरुआत प्राचीन ग्रीस में हुई थी, जहां इन्हें ओलंपिक्स के साथ मनाया जाता था। उन्होंने कहा कि ये खेल सांस्कृतिक कूटनीति में एक परिवर्तनकारी क्षण का प्रतीक हैं। ओलंपिक्स जहां खेलों पर केंद्रित हैं, वहीं पायथियन खेल विश्व की विभिन्न सभ्यताओं की कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत का उत्सव मनाने के उद्देश्य से आयोजित होते हैं। इन खेलों के माध्यम से हम एक वैश्विक सांस्कृतिक आंदोलन की नींव रख रहे हैं, जहां कलाकार, पारंपरिक खेल खिलाड़ी और मार्शल आर्ट्स प्रेमी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकते हैं।

आयोजन की मुख्य विशेषताएंः
प्रतिभागीः 3,000 से अधिक कलाकार और खिलाड़ी विभिन्न विधाओं में भाग लेंगे।
कला श्रेणियांः संगीत, नृत्य, गायन, कविता, चित्रकारी और पेंटिंग।
पारंपरिक खेलः म्यूजिकल चेयर्स, रोलर म्यूजिकल चेयर्स, बोरी दौड़, मल्लखंब, योग, आर्म रेसलिंग, रस्साकशी और टेनिस वॉलीबॉल।
मार्शल आर्ट्सः गतका, ताइक्वांडो, कराटे, बागातुर और मुवा थाई।
विशेष आकर्षणः प्राचीन खेल गदायुद्ध का पुनरुत्थान, ई-स्पोर्ट्स और 50-बॉल क्रिकेट का परिचय।

श्री गोयल ने आगे कहा कि राष्ट्रीय सांस्कृतिक पायथियन खेल न केवल भारत की कलात्मक और सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करेंगे, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर कलात्मक प्रतियोगिताओं और पारंपरिक खेलों के आयोजन को दिशा देंगे। यह पहल सरकारों को अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक आयोजनों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करेगी और विश्वभर के कलाकारों और खिलाड़ियों के लिए नए अवसर उत्पन्न करेगी।

श्री बी.एच. अनिल कुमार, पायथियन काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष, ने खेलों के आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव को उजागर करते हुए कहा कि आधुनिक पायथियन खेल कला, संस्कृति और पारंपरिक खेलों का जश्न मनाने के लिए एक अनूठा वैश्विक मंच प्रदान करते हैं। यह पहल पर्यटन को बढ़ावा देने, रोजगार सृजन करने और भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। यह सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो सांस्कृतिक कूटनीति का माध्यम बनकर देशों के बीच एकता को बढ़ावा देगा।

श्री पंकज नैन, आईपीएस, पीथीयनकाउंसिल ऑफ इंडिया के कार्यकारी अध्यक्ष, ने आयोजन की तैयारी और प्रबंधन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम इस ऐतिहासिक आयोजन की मेजबानी करके उत्साहित हैं। इन खेलों की योजना अधिकतम भागीदारी, समावेशिता और उत्कृष्टता सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। ताऊ देवी लाल स्टेडियम सांस्कृतिक आदान-प्रदान और कलात्मक अभिव्यक्ति का केंद्र बनेगा।

श्री राजेश जोगपाल, आईएएस, पीथीयन काउंसिल ऑफ इंडिया के महासचिव, ने कहा कि राष्ट्रीय सांस्कृतिक पीथीयन खेल कलात्मक और पारंपरिक खेल आयोजनों में एक नया मापदंड स्थापित करेंगे। यह केवल प्रतिभा का उत्सव नहीं, बल्कि एक समावेशी, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और वैश्विक स्तर पर जुड़े हुए भारत के निर्माण की दिशा में एक कदम है।

यह आयोजन भारत की कलात्मक क्षमता और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाने वाले रंगीन उद्घाटन और समापन समारोहों का गवाह बनेगा। खेलों से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित होने की उम्मीद है, जो भविष्य के वैश्विक सांस्कृतिक आयोजनों की नींव रखेगा।