Chandigarh News: सेक्टर-32 स्थित गोस्वामी गणेश दत्त सनातन धर्म कॉलेज के पोस्ट ग्रेजुएट इक्नॉमिक्स और एंट्रप्रेन्योरशिप विभाग की ओर से “व्यापार समझौतों के अर्थशास्त्र” विषय पर एक विशेष लेक्चर का आयोजन किया गया। बिट्स, पिलानी के इक्नॉमिक्स एंड फाइनेंस विभाग के असिसटेंट प्रोफेसर डॉ. राहुल अरोड़ा मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अजय शर्मा, रजिस्ट्रार और विभागाध्यक्ष डॉ. विवेक शर्मा डीन आर्ट्स आशुतोष शर्मा ने मुख्य वक्ता का पौधे देकर स्वागत किया।
प्रिंसिपल डॉ. अजय शर्मा ने डॉ. राहुल अरोड़ा का स्वागत किया और इस बात पर जोर दिया कि कैसे व्यापार समझौते आर्थिक विकास, बाजार पहुंच और नियामक ढांचे को प्रभावित करके दुनिया को आकार देने के साथ-साथ स्थिरता और समानता के लिए चुनौतियां भी पेश करते हैं। उन्होंने वैश्विक आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के बीच विरोधाभासों पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. अरोड़ा ने व्यापार समझौतों के आर्थिक निहितार्थ, सदस्य देशों के लिए उनके लाभ और लागत तथा व्यापार एकीकरण नीतियों के माध्यम से कल्याण को अधिकतम करने की रणनीतियों के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान की। अपने लेक्चर के दौरान, डॉ. राहुल अरोड़ा ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों के अर्थशास्त्र पर चर्चा की, और इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र आर्थिक विकास के लिए व्यापार नीतियों का लाभ कैसे उठा सकते हैं।
उन्होंने व्यापार एकीकरण नीतियों के तहत कल्याण को बढ़ाने के लिए आवश्यक शर्तों पर प्रकाश डाला और भागीदार अर्थव्यवस्थाओं पर बाजार पहुंच, टैरिफ कटौती और निवेश प्रवाह के प्रभाव की व्याख्या की। सैद्धांतिक अंतर्दृष्टि के अलावा, डॉ. अरोड़ा ने छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के क्वांटिटेटिव एनेलिसिस में विभिन्न अनुसंधान क्षेत्रों से परिचित कराया।
उन्होंने ऑनलाइन सिमुलेशन टूल का उपयोग करते हुए व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया, जिससे छात्र व्यापार सिद्धांतों को लागू करने और वास्तविक दुनिया के व्यापार परिदृश्यों का व्यावहारिक रूप से विश्लेषण करने में सक्षम हुए। कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए, डॉ. विवेक शर्मा ने कहा कि प्रो. राहुल अरोड़ा के लेक्चर ने व्यापार समझौतों और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को आकार देने में उनकी भूमिका की व्यापक समझ प्रदान की।
कार्यक्रम का समापन एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जहां छात्रों और शिक्षकों ने व्यापार से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इस विशेष लेक्चर ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं नीति-निर्माण में अकादमिक संवाद के महत्व को सुदृढ़ किया।