Chandigarh News: भारतीय संगीत एवं कला को पूर्ण रूप से समर्पित देश की अग्रणी सांस्कृतिक संस्था प्राचीन कला केन्द्र शरद ऋतु के आगमन पर संगीत की गरमाहट लाने हेतु तीन दिवसीय हेमंत उत्सव का आयोजन करने जा रहा है । इस कार्यक्रम का आयोजन केन्द्र के एम.एल.कौसर सभागार में किया जा रहा है। मुंबई की जानी मानी युवा शास्त्रीय गायिका अंकिता जोशी ने हेमंत उत्सव के पहले दिन एक सुरमई शाम को संजोया ।इस अवसर पर केंद्र ने अपनी पूर्व एडिशनल रजिस्ट्रार एस नाइक को विनम्र श्रद्धांजलि दी, जिनका कल निधन हो गया था । उनके अद्वितीय योगदान और अथक प्रयासों और समर्पण को केंद्र के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्राचीन कला केंद्र द्वारा हमेशा याद किया जाएगा।
अंकिता एक संगीतमयी परिवार से ताल्लुक रखती है । एक दमदार आवाज और रचनात्मक आत्मविश्वास से भरी अंकिता ने 6 साल की उम्र में ही प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। इस प्रतिभाशाली कलाकार को 5 साल की उम्र से ही उसके चाचा (मामा) श्री लक्ष्मीकांत रावंडे ने संगीत की शिक्षा देनी शुरु कर दी थी। अंकिता को 10 साल की उम्र में पुणे में सवाई गंधर्व संगीत समारोह के ग्रीन रूम में महान गायक संगीत मार्तंड पंडित जसराज जी से मिलने का मौका मिला। बचपन से ही वह हमेशा पंडित जसराज जी की प्रशंसक रही हैं और अपने तरीके से उनके संगीत के भावों का अनुसरण करती रही हैं। ग्रीन रूम में उनके राग बिहाग को सुनने के बाद पंडित जसराज ने उन्हें एक शिष्य के रूप में स्वीकार किया और उनसे मार्गदर्शन के लिए मुंबई आने को कहा, इस तरह संगीत के मार्ग पर उनकी आगे की यात्रा शुरू हुई।
अंकिता ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत राग पुरिया धनाश्री से की । जिसमें विलम्बित एक ताल में निबद्ध रचना ढूंढ़ने जाऊं प्रस्तुत की । इसके पश्चात एक खूबसूरत बोलों से सजी रचना जोकि द्रुत एक ताल में निबद्ध थी,जिसके बोल थे अलबेली घूँघट खोलो , जिसे दर्शकों ने खूब सराहा । अंकिता ने अगली पेशकश में एक ताल में निबद्ध रचना ” मारी रे श्यामा” पेश करके खूबसूरत समां बांधा।