Chandigarh News : आनंद बख्शी के गीतों के नाम रही सुरसंगम की मधुर संगीत शाम

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Sursangam's melodious musical evening was dedicated to Anand Bakshi's songs

(Chandigarh News) चंडीगढ़। सुरसंगम कला मंच के तत्वाधान सेक्टर 10 गवर्नमेंट आर्ट्स के सभागार में आनंद बख्शी द्वारा रचित गीतों की मधुर संध्या का आयोजन हुआ।यह सुंदर स्वर लहरी से महकती संध्या निसंदेह कुछ अलग छटा लिए थी। किसी कवि के दिल में कितने भाव हिलोरे लिए रहते हैं ये इस शाम में चुने गए गीतों से परिभाषित हुआ।आनंद बख्शी की कलम से देश प्रेम में डूबे बोल थे तो बहन भाई का प्रेम लिए गीत भी, महबूब के लिए लिखा दिल का उन्माद था तो भगवान से अधिकारपूर्ण संवाद भी,जिंदगी का फलसफा लिए गीत थे तो इश्क में फना प्रीत भी ,— ठुमरी भी थी तो ग़ज़ल भी।

कुल मिलकर कवि के अंदर छुपे सारे भाव जब गीतों की लय बनकर आपके दिल में उतरते हैं

कुल मिलकर कवि के अंदर छुपे सारे भाव जब गीतों की लय बनकर आपके दिल में उतरते हैं तब आपको उस कवि हृदय के विशिष्ट हुनर का आभास होता है।यदा कदा सुंदर संगीत से सजे गीतों के इतने सुलझे बोलों पर आज तक हमारा ध्यान क्यूँ नहीं गया हम ये सोचने पर मजबूर हो जाते है। तकरीबन हर गाने की रचना के पहलू का व्याख्यान करते किशोर शर्मा जब उस गीत की पृष्ठभूमि पर अपनी विवेचना करते उन गीतों से सवाल लिए दर्शकों से बातें सांझा करते थे तब महसूस होता है कितना जरूरी था कवि के कवित्व भाव को देखना। किशोर जब गीतों के बोल की तुलना रूह या आत्मा और गायक और संगीत को उस रूह को उसे संवारने के संज्ञान से नामित करते हैं तो ये सार्थक भी लगता है और तर्कशील भी के हम गीतों की सफलता सिर्फ गायक से अथवा संगीत रचना से क्यूं आंकते है जबकि गीतकार के बिना तो सब अधूरा है।

इस कार्यक्रम में गीतों को गाने के लिए प्रतिष्ठित लोगो का जमावड़ा जिसमें शहर के जाना माने डॉक्टर, बैंकर , और भिन्न भिन्न व्यवसाय से जुड़े लोग जब गीतों के सुंदर स्वर को मंच पर प्रस्तुत करते थे तो आभास हुआ के उनके दिल में गीत किस तरह अपना घर बनाए उनके शौक ,जज्बे और प्रेम के संगम का उद्घोषक है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के चेयरमैन सुदेश शर्मा समस्त गानों में अपनी विविधता से शामिल चयन से अभिभूत कार्यक्रम को उत्कृष्ट एवं अतुल्य मानक पर सुशोभित करार देते कविहृदय के लिए साहित्य सम्मान की चाह लिए थे।कार्यक्रम संचालन डॉक्टर भारत भूषण द्वारा बड़ा परिपक्व शालीन ,सभ्य और सधे शब्दों से उनके हुनर का परिचारक था। अक्सर संचालक माइक हाथों में थाम अपनी उपस्थिति से दर्शकों को लुभाने के लालच से बच नहीं पाते और कार्यक्रम के प्रारूप की विसंगति बन जाते हैं लेकिन डॉक्टर भारत भूषण अपनी भूमिका को लेकर सचेत श्रेष्ठ संचालन लिए थे।

प्रशासन को जबकि ऐसे कार्यक्रम के लिए सभागार निशुल्क करने चाहिए वह प्रति घंटा शुल्क भी लेते है और अपनी चूक होने पर गारंटी शुल्क ज़ब्त भी कर लेते है जिस पर उन्हें विचार करना चाहिए

प्रशासनिक चूक इस बार भी बिजली कट लिए सुरसंगम के पिछले कार्यक्रम किशोर नाइट में बिजली कट की तरह दोहराता न तो दर्शकों को तोड़ पाया न किसी गायक को लेकिन हां कार्यक्रम ज़रूर एक घंटा अंतराल लिए रहा जो प्रशासन के लिए एक प्रश्न बन उन्हें निरुत्तर बनाता है।बिजली कट होने के बावजूद समय सीमा को सभागार उपलब्धता में जोड़ संचालकों द्वारा दी सिक्योरिटी राशि ज़ब्त कर लेना न उचित है न न्यायपूर्ण लेकिन किशोर शर्मा द्वारा किसी भी आमंत्रित गायक को समय सीमा से बाध्य हो न गवाना भी मंज़ूर न करना उनके समर्पित भाव का चित्रण है जिसके लिए वह और सुर संगम सम्मान के हकदार हैं ।प्रशासन को जबकि ऐसे कार्यक्रम के लिए सभागार निशुल्क करने चाहिए वह प्रति घंटा शुल्क भी लेते है और अपनी चूक होने पर गारंटी शुल्क ज़ब्त भी कर लेते है जिस पर उन्हें विचार करना चाहिए।कम से कम ऐसे कार्यक्रम जो सिर्फ कला और संस्कृति के परिचारक है जहां कोई टिकट नहीं सिर्फ समर्पण है प्रशासन से सहयोग की अपेक्षा करता है।

गायन का जज़्बा लिए उभरते गायक और गायिकाओं के साथ विशिष्ट विधाओं में प्रतिष्ठित गण मान्य एक मंच पर कला के रस से सराबोर सुरसंगम के इस आयोजन की सफलता को प्रमाणित करते हैं और ऐसे कार्यक्रम न सिर्फ गायन बल्कि कविता और भाव, संगीत और संस्कृति के जज़्बे को बढ़ावा देते उस सार्थक आयाम की तरफ अग्रसर है जिसके लिए सरकार प्रयत्नशील है। ऐसे कार्यक्रम की जरूरत आज के परिवेश में अपना विशेष महत्व लिए है। सुर संगम को ऐसे और कार्यक्रमों के लिए शुभ कामनाएं और प्रशासन से पूर्ण सहयोग का अनुरोध।